अद्भुत रहस्य, इस झील का पानी -20 डिग्री पर भी नहीं जमता! बौद्ध सहित हिंदू और सिख धर्म से है गहरा रिश्ता
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: January 14, 2020 02:20 PM2020-01-14T14:20:54+5:302020-01-14T14:20:54+5:30
Gurudongmar Lake: इस झील को लेकर मान्यता है कि इसका एक छोटा सा हिस्सा कभी भी नहीं जमता है और पानी के रूप में बना रहता है।
हिमालय की पर्वत श्रृंखलाओं में ऐसे को कई रहस्य हैं, जिन्हें लेकर कई तरह की बातें होती है लेकिन इन सब में गुरुडोंगमर लेक की कहानी सबसे दिलचस्प है। सिक्किम के लाचेन में करीब 5,430 मीटर की ऊंचाई पर स्थित ये झील दुनिया की सबसे ऊंची झीलों में से एक है और अलौकिक खूबसूरती से घिरा है।
इस झील को लेकर मान्यता है कि इसका एक छोटा सा हिस्सा कभी भी नहीं जमता है और पानी के रूप में बना रहता है। इस झील को बौद्ध, सिख और हिंदुओं के लिए बेहद पवित्र माना गया है।
Gurudongmar Lake: गुरुडोंगमर लेक से जुड़ी क्या हैं कहानियां
माना जाता है कि गुरु नानकदेव जी जब तिब्बत जा रहे थे तो वे यहां अपनी प्यास बुझाने के लिए रूके थे। यहां उन्होंने अपनी छड़ी से जमी हुई बर्फ पर छेद किया और पानी पीने की कोशिश की। इसके बाद से ही यहां झील बन गई। मान्यता है कि भीषण सर्दी, यहां तक कि तापमान जब -20 डिग्री तक पहुंच जाता है, फिर भी यहां का कुछ हिस्सा नहीं जमता।
पानी के नहीं जमने को लेकर एक और कहानी भी कही जाती है जो बौद्ध धर्म से जुड़ी है। इसके अनुसार पहले इस क्षेत्र में सबकुछ भारी ठंड के कारण जमा हुआ रहता था। स्थानीय लोगों को ऐसा विश्वास है कि एक बौद्ध गुरु पदमासांभवा को जब लोगों पानी को लेकर लोगों की मुश्किल का पता चला तो उन्होंने अपनी ऊंगली से इस जमी झील का स्थान छुआ। इसके बाद से झील के इस हिस्से में पानी कभी नहीं जमा।
Gurudongmar Lake: गुरुडोंगमर लेक से जुड़ी ये मान्यताएं भी
इस झील से जुड़ी कई और दिलचस्प मान्यताएं भी हैं जिसके बारे में जानकर आप भी हैरान होंगे। इस झील के बारे में कहा जाता है कि यहां दैवीय शक्ति मौजूद है।
स्थानीय मान्यताओं के अनुसार यहां का पानी पीने से बच्चे पाने की कोशिश कर रही शादीशुदा महिलाओं की समस्या हल होती है। ये खास बात ये भी है कि इस झील को ग्लेशियर से पानी मिलता है और यही त्सो लाहमू लेक का स्रोत भी है जो आगे जाकर तिस्ता नदी का मुख्य स्रोत बन जाता है।