Hartalika Teej 2020: जानें हरतालिका तीज की पूजा विधि और व्रत के जरूरी नियम

By गुणातीत ओझा | Published: August 20, 2020 01:46 PM2020-08-20T13:46:56+5:302020-08-21T11:27:28+5:30

भादों (भाद्रपद) मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज का व्रत किया जाता है। हरितालिका तीज का अर्थ है-‘हरत’ अर्थात हरण करना, ‘आलिका’ अर्थात् सहेली या सखी।

Hartalika Teej Puja Vidhi In Hindi Hartalika Teej Vrat Vidhi In Hindi Hartalika Teej Vrat Kaise Kare | Hartalika Teej 2020: जानें हरतालिका तीज की पूजा विधि और व्रत के जरूरी नियम

hartalika teej 2020

Highlightsभादों (भाद्रपद) मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज का व्रत किया जाता है।हरितालिका तीज का अर्थ है-‘हरत’ अर्थात हरण करना, ‘आलिका’ अर्थात् सहेली या सखी।

भादों (भाद्रपद) मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज का व्रत किया जाता है। हरितालिका तीज का अर्थ है-‘हरत’ अर्थात हरण करना, ‘आलिका’ अर्थात् सहेली या सखी। इस व्रत को हरितालिका इसलिए कहा जाता है कि पार्वती की सखी उसे पिता के घर से हर कर घने जंगल में ले गई थी। इस दिन महिलाएं पूरे दिन निराहार रहकर अपने परिवार की सुख-शांति तथा अखंड सौभाग्य के लिए भगवान से प्रार्थना करती हैं वहीं कुंवारी लड़कियां अच्छे पति की प्राप्ति के लिए यह व्रत करती हैं। विवाहित स्त्रियां और कन्याएं इस व्रत को बहुत श्रद्धा से करती इस व्रत में शिव-पार्वती एवं भगवान गणेश का पूजन किया जाता है।

हरतालिका तीज पूजा विधि (Hartalika Teej Puja Vidhi In Hindi)

धार्मिक कर्म एवं नियमों द्वारा पुण्य प्राप्त करने का संकल्प ‘व्रत’ कहलाता है। व्रत करने वाले को शरीर के कष्ट सहना पड़ते हैं, इसलिए इसे तप भी कहा जाता है। माता पार्वती ने ऐसा ही तप कर भगवान शंकर को पति के रूप में प्राप्त किया था। धर्म ग्रंथों के अनुसार माता पार्वती ने यह व्रत भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को किया था। इस व्रत के प्रभाव से ही उन्हें भगवान शंकर जैसे वर मिला। इस व्रत की विधि इस प्रकार है –

इस दिन महिलाएं निर्जल (बिना कुछ खाए-पीए) रहकर व्रत करती है। इस दिन भगवान शंकर-पार्वती का बालू की मूर्ति बनाकर पूजन किया जाता है। अपने घर को साफ-स्वच्छ कर तोरण-मंडप आदि से सजाएं। एक पवित्र चौकी पर शुद्ध मिट्टी में गंगाजल मिलाकर शिवलिंग, रिद्धि-सिद्धि सहित गणेश, पार्वती एवं उनकी सखी की आकृति (प्रतिमा) बनाएं। प्रतिमाएं बनाते समय भगवान का स्मरण करें। देवताओं का आह्वान कर षोडशोपचार पूजन करें। इस व्रत का पूजन रात्रि भर चलता है। इस दौरान महिलाएं जागरण करती हैं, और कथा-पूजन के साथ कीर्तन करती हैं।

प्रत्येक प्रहर में भगवान शिव को सभी प्रकार की वनस्पतियां जैसे बिल्व-पत्र, आम के पत्ते, चंपक के पत्ते एवं केवड़ा अर्पण किया जाता है। आरती और स्तोत्र द्वारा आराधना की जाती है। भगवती-उमा की अर्चना के लिए निम्न मंत्रों का प्रयोग करें-

ऊँ उमायै नम:, ऊँ पार्वत्यै नम:, ऊँ जगद्धात्र्यै नम:, ऊँ जगत्प्रतिष्ठयै नम:, ऊँ शांतिरूपिण्यै नम:, ऊँ शिवायै नम:

भगवान शिव की आराधना इन मंत्रों से करें-

ऊँ हराय नम:, ऊँ महेश्वराय नम:, ऊँ शम्भवे नम:, ऊँ शूलपाणये नम:, ऊँ पिनाकवृषे नम:, ऊँ शिवाय नम:, ऊँ पशुपतये नम:, ऊँ महादेवाय नम:

पूजन दूसरे दिन सुबह समाप्त होता है तब महिलाएं अपना व्रत तोड़ती हैं और अन्न ग्रहण करती हैं।

हरतालिका तीज व्रत के नियम (Hartalika Teej Vrat Ke Niyam)

-हरतालिका तीज का व्रत निर्जला किया जाता है। यानी पूरा दिन, पूरी रात और अगले दिन सूर्योदय के पश्‍चात अन्‍न और जल ग्रहण किया जाता है।
-यह व्रत कुंवारी कन्‍याएं और सुहागिन महिलाएं रखती हैं।
-इस व्रत को एक बार प्रारंभ करने के पश्‍चात छोड़ा नहीं जाता।
-यदि कोई महिला खराब स्‍वास्‍थ्‍य के चलते यह व्रत नहीं रख पा रही है तो एक बार उद्यापन करने के पश्‍चात फलाहार के साथ यह व्रत रह सकती है।
-हरतालिका व्रत में रात में सोया नहीं जाता है बल्कि पूरी रात प्रभु का भजन कीर्तन करना शुभ माना जाता है।

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