Hariyali Teej 2020:हरियाली तीज का त्योहार भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित होता है। माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव और पार्वती जी का पुर्नमिलन हुआ था। सावन महीने में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को 108 साल की तपस्या के बाद देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने का वरदान प्राप्त किया था। इसी कारण इस व्रत को रखने से स्त्रियों को सुहाग और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस दिन हरे वस्त्र, हरी चुनरी, हरा लहरिया, हरा श्रृंगार, मेहंदी, झूला-झूलने का भी रिवाज है। इस दिन मां की पूजा करने के बाद उनकी आरती करना बेहद जरूरी होता है तभी पूजा संपन्न मानी जाती है।
माता पार्वती की आरती (Parvati Ji Ki Aarti):
जय पार्वती माता जय पार्वती माताब्रह्म सनातन देवी शुभ फल कदा दाता।जय पार्वती माता जय पार्वती माता। अरिकुल पद्मा विनासनी जय सेवक त्राताजग जीवन जगदम्बा हरिहर गुण गाता।जय पार्वती माता जय पार्वती माता।सिंह को वाहन साजे कुंडल है साथादेव वधु जहं गावत नृत्य कर ताथा।जय पार्वती माता जय पार्वती माता।सतयुग शील सुसुन्दर नाम सती कहलाताहेमांचल घर जन्मी सखियन रंगराता।जय पार्वती माता जय पार्वती माता।शुम्भ निशुम्भ विदारे हेमांचल स्यातासहस भुजा तनु धरिके चक्र लियो हाथा।जय पार्वती माता जय पार्वती माता।सृष्टि रूप तुही जननी शिव संग रंगरातानंदी भृंगी बीन लाही सारा मदमाता।जय पार्वती माता जय पार्वती माता।देवन अरज करत हम चित को लातागावत दे दे ताली मन में रंगराता।जय पार्वती माता जय पार्वती माता।श्री प्रताप आरती मैया की जो कोई गातासदा सुखी रहता सुख संपति पाता।जय पार्वती माता मैया जय पार्वती माता।
शिव जी की आरती (Shiv Ji Ki Aarti):
ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥ॐ जय शिव ओंकारा॥एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे।हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे॥ॐ जय शिव ओंकारा॥ दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे। त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥ अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी। त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥ श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे।सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥ कर के मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूलधारी।सुखकारी दुखहारी जगपालन कारी॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥ ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका। मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥ लक्ष्मी व सावित्री पार्वती संगा। पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥ पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा। भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥ जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला। शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥ काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी। नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥ त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे। कहत शिवानन्द स्वामी, मनवान्छित फल पावे॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥