Happy Mahavir Jayanti 2020: महावरी जयंती पर ये SMS, शायरी, Whatsapp Messages भेज कर दें बधाई
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: April 5, 2020 11:05 AM2020-04-05T11:05:28+5:302020-04-06T09:33:36+5:30
महावीर स्वामी का जन्म 599 ईसा पूर्व चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को हुआ था। महावीर अहिंसा के मूर्तिमान प्रतीक थे।
जैन धर्म के प्रवर्तक महावीर स्वामी या वर्धमान महावीर भगवान ऋषभनाथ की परम्परा में 24वें जैन तीर्थंकर थे। हर साल जैन समुदाय बड़ी धूम-धाम से महावीर स्वामी की जयंती को मनाता है। इस साल महावीर जयंती 6 अप्रैल को पड़ रही है।
महावीर स्वामी का जन्म 599 ईसा पूर्व चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को हुआ था। महावीर अहिंसा के मूर्तिमान प्रतीक थे। उनका जीवन त्याग और तपस्या से भरा हुआ था। इनकी माता का नाम 'त्रिशला देवी' और पिता का नाम 'सिद्धार्थ' था।
बचपन में महावीर का नाम 'वर्धमान' था, लेकिन बाल्यकाल से ही यह साहसी, तेजस्वी, ज्ञान पिपासु और अत्यंत बलशाली होने के कारण 'महावीर' कहलाए। भगवान महावीर ने अपनी इन्द्रियों को जीत लिया था, जिस कारण इन्हें 'जीतेंद्र' भी कहा जाता है। विश्वभर के जैन मंदिरों में भगवान महीवर की लोग पूजा अर्चना करते हैं।
इस मौके पर आप अपने दोस्तों और रिश्तेदोरों को भगवान महावीर जयंती पर बधाई संदेश भेज सकते हैं-
अगर किसी से कुछ सीखना है तो
इन लोगों से सिखो
सेवा- श्रवण से
मर्यादा - राम से
अहिंसा - बुद्ध से
मित्रता - कृष्ण से
लक्ष्य - एकलव्य से
दान - कर्ण से
और तपस्या- महावीर से
Happy Mahavir Jayanti 2020
महावीर जयंती के इस पावन पर्व पर
आपको और आपके पूरे परिवार को
मेरे और मेरे परिवार की तरफ से
Happy Mahavir Jayanti 2020
महावीर जिनका नाम हैं
पलिताना जिनका धाम हैं
अहिंसा जिनका नारा हैं
ऐसे त्रिशला नंदन को लाख
प्रणाम हमारा है
Happy Mahavir Jayanti 2020
सत्य, अहिंसा धर्म हमारा,
नवकार हमारी शान है,
महावीर जैसा नायक पाया
जैन हमारी पहचान है
Happy Mahavir Jayanti 2020
जीव हत्या ना करें, किसी को ठेस न पहुचांयें!
अहिंसा ही सबसे महान धर्म है...
सभी जीवों के प्रति सम्मान अहिंसा है...
प्रत्येक आत्मा स्वयं में सर्वज्ञ और आनंदपूर्ण है
आनंद बाहर से नहीं आता...
शांति और आत्म-नियंत्रण अहिंसा है...
Happy Mahavir Jayanti 2020
प्रत्येक जीव स्वतंत्र है, कोई किसी और पर निर्भर नहीं करता
आत्मा अकेले आती है अकेले चली जाती है, न कोई उसका साथ देता है न कोई उसका मित्र बनता है
खुद पर विजय प्राप्त करना लाखों शत्रुओं पर विजय पाने से बेहतर है
स्वयं से लड़ो, बाहरी दुश्मन से क्या लड़ना? वह जो स्वयं पर विजय कर लेगा उसे आनंद की प्राप्ति होगी