Goga Navami: आज है गोगा नवमी, जानें सांपों के देवता गोगा जी से जुड़े चौंका देने वाले रहस्य

By गुणातीत ओझा | Published: August 13, 2020 11:00 AM2020-08-13T11:00:46+5:302020-08-13T11:00:46+5:30

गोगा जी राजस्थान के लोक देवता हैं। गोगा नवमी जन्माष्टमी के दूसरे दिन मनाई जाती है। गोगा नवमी हिन्दू और मुसलमान दोनों मनाते हैं। आइए आपको गोगा नवमी से जुड़ी रोचक बातें बताते हैं।

Goga Navami: Today is Goga Navami know the staggering secrets related to Goga ji the god of snakes | Goga Navami: आज है गोगा नवमी, जानें सांपों के देवता गोगा जी से जुड़े चौंका देने वाले रहस्य

जानें क्यों मनाई जाती है गोगा नवमी, क्या है इसका महत्व।

Highlightsगोगा जी राजस्थान के लोक देवता हैं। गोगा नवमी जन्माष्टमी के दूसरे दिन मनाई जाती है।गोगा नवमी हिन्दू और मुसलमान दोनों मनाते हैं।

 गोगा नवमी को गुग्गा नवमी के नाम से भी जाना जाता है। गोगा नवमी भादो महीने की कृष्ण पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। इस दिन गोगा देवता की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि गोगा देवता की पूजा करने से सांपों से रक्षा होती है। गोगा देवता को सांपों का देवता भी माना जाता है। गोगा देवता की पूजा रक्षाबंधन से शुरू होकर गोगा नवमी तक चलती है।

कौन थे गोगा जी

राजस्थान राज्य में लोक देवता के रूप में गोगाजी को माना जाता है और लोग उन्हें गोगाजी, गुग्गा वीर, जाहिर वीर, राजा मण्डलिक व जाहर पीर के नाम जानते हैं। यह गोरखनाथ के प्रमुख शिष्यों में से एक थे। राजस्थान के छह सिद्धों में गोगाजी का प्रमुख स्थान है। ऐसा माना जाता है की अगर किसी के घर में सांप निकले तो गोगाजी को कच्चे दूध का छिटा लगा दें इससे सांप बिना नुकसान पहुंचाए चला जाता हैं । जिस घर में गोगा जी की पूजा होती हैं उस घर के लोगो को सांप नहीं काटता है गोगाजी पूरे परिवार की रक्षा करते हैं।

गुरुगोरखनाथ के परमशिष्य थे गोगाजी

गोगाजी गुरुगोरखनाथ के परमशिष्य थे। उनका जन्म विक्रम संवत 1003 में चुरू जिले के ददरेवा गाँव में हुआ था। सिद्ध वीर गोगादेव के जन्मस्थान राजस्थान के चुरू जिले के दत्तखेड़ा ददरेवा में स्थित है जहाँ पर सभी धर्म और सम्प्रदाय के लोग मत्था टेकने के लिए दूर-दूर से आते हैं। कायम खानी मुस्लिम समाज उनको जाहर पीर के नाम से पुकारते हैं तथा उक्त स्थान पर मत्‍था टेकने और मन्नत माँगने आते हैं। इस तरह यह स्थान हिंदू और मुस्लिम एकता का प्रतीक है। मध्यकालीन महापुरुष गोगाजी हिंदू, मुस्लिम, सिख संप्रदायों की श्रद्घा अर्जित कर एक धर्मनिरपेक्ष लोकदेवता के नाम से पीर के रूप में प्रसिद्ध हुए। चौहान वंश में राजा पृथ्वीराज चौहान के बाद गोगाजी वीर और ख्याति प्राप्त राजा थे। गोगाजी का जन्म राजस्थान के ददरेवा (चुरू) चौहान वंश के शासक जैबर (जेवरसिंह) की पत्नी बाछल के गर्भ से गुरु गोरखनाथ के वरदान से भादो सुदी नवमी को हुआ था। गोगाजी का राज्य सतलुज सें हांसी (हरियाणा) तक था।

गोगा नवमी की कथा

गोगा नवमी से जुड़ी एक कथा है प्रचलित है। ऐसा माना जाता है कि जब गोगा जी की शादी के लिए राजा मालप की बेटी सुरियल को चुना गया तो राजा ने शादी करने से मना कर दिया। इससे गोगा जी दुखी हुए और उन्होंने अपने गुरु गोरखनाथ को यह बात बतायी। इस पर गोरखनाथ ने वासुकी नाग को राजा की बेटी पर विष से प्रहार करने को कहा। वासुकी नाग के विष के प्रहार को राजा के वैद्य नहीं तोड़ पाए। इस पर वासुकी वेष बदल कर राजा के पास गए और उनसे गुग्गल मंत्र का जाप करने को कहा। गुग्गल मंत्र के जाप से विष का असर कम हो गया। इसके बाद राजा अपने वचन के अनुसार गोगा देवता से अपनी बेटी की शादी कर दी।

गोगा नवमी की पूजा

इस गोगा नवमी की पूजा हिमाचल प्रदेश, पंजाब और हरियाणा के कुछ इलाकों में होती है। गोगा नवमी का त्यौहार एक दिन नहीं बल्कि आठ दिन तक मनाया जाता है। इस दिन गोगा देवता के मंदिर में पूजा की जाती है।

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