बच्चे को जन्म के 40 दिनों तक याद रहती है अपने पूर्वजन्म की बातें! क्या आप जानते हैं ये रहस्य?
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: August 16, 2019 04:12 PM2019-08-16T16:12:20+5:302019-08-16T16:12:20+5:30
हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार मृत्यु, उसके बाद अंतिम संस्कार और पुनर्जन्म को लेकर भी काफी कुछ वर्णन है। मृत्यु क्या है? क्या पुनर्जन्म भी होता है? क्या मृत्यु के समय काफी दर्द होता है? मृत्यु के बाद क्या होता है और मृत्यु के बाद हम कहां चले जाते हैं? ये ऐसी बातें जिसका जिक्र काफी विस्तार से गरुण पुराण में किया गया है।
मृत्यु इस समूचे ब्रह्मांड का सबसे कड़वा सत्य है। मृत्यु के बाद हमारा क्या होता है और क्या हम किसी दूसरे लोक में चले जाते हैं? क्या इंसान का पुनर्जन्म होता है? ये कुछ ऐसी बातें हैं जिसमें हमेशा से मानव की रूचि रही है। इन तमाम सवालों को लेकर वैज्ञानिक आधार पर कोई भी ठोस तथ्य मौजूद नहीं हैं लेकिन गरुड़ पुराण में मृत्यु को लेकर काफी कुछ कहा गया है।
Garuda Purana: गरुण पुराण क्या है
हिंदू धर्म के 18 महापुराणों में से एक गरुण पुराण भी है। इसमें भगवान विष्णु और गरुड़ पक्षी के बीच संवाद के जरिये धर्म और मानव जीवन को लेकर कई बातें कही गई हैं। इसमें हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार मृत्यु, उसके बाद अंतिम संस्कार और पुनर्जन्म को लेकर भी काफी कुछ वर्णन है। मृत्यु क्या है? क्या पुनर्जन्म भी होता है? क्या मृत्यु के समय काफी दर्द होता है? मृत्यु के बाद क्या होता है और मृत्यु के बाद हम कहां चले जाते हैं? ये ऐसी बातें हैं जिसका जिक्र काफी विस्तार से गरुण पुराण में है। कई लोगों में ऐसी मान्यता है कि जीवित रहते हुए गरुण पुराण नहीं पढ़ना चाहिए। हालांकि, ऐसा कुछ नहीं है। इसे पढ़ने पर कई तरह की जानकारियां आप हासिल कर सकते हैं।
Garuda Purana: मृत्यु से जुड़ी हैरान करने वाली सच्चाई
गरुण पुराण के अनुसार मरने से कुछ घंटे पहले इंसान का पैर ठंडा होने लगता है। जब मृत्यु का सही समय आता है तो मृत्यु के देवता यम आत्मा को राह बताने के लिए उसके करीब पहुंचते हैं। मृत्यु के बाद आत्मा यह स्वीकर नहीं कर पाती अब उसे उसे शरीर से दूर जाना है। आत्मा को कई तरह की आवाजें सुनाई देती रहती हैं और वह कई बार खुद चिल्लाकर अपनी मौजूदगी का भी अहसास कराने की कोशिश करती है। हालांकि, इसे कोई सुन नहीं सकता।
धीरे-धीरे आत्मा को स्वीकार करना पड़ता है कि उसे अब इस लोक को छोड़ना है। वह कई घंटों तक इस दौरान उसी कमरे या मृत्यु के स्थान पर मौजूद रहती है और अपने शरीर और दूसरे लोगों के क्रियाकलापों को निहारती रहती है। अंतिम संस्कार होने के बावजूद आत्माएं कम से कम 7 दिनों तक उसी घर में रहती हैं। कई बार वे इस दौरान अपनी उन पसंदीदा जगहों जैसे ऑफिस, कोई बगीचा, दुकान आदि जगहों पर भी भ्रमण करने जाती हैं, जहां उनका मृत्यु से पहले रोज आना-जाना था। 7 दिन के बाद आत्मा उस परिवार और इस लोक को छोड़ परलोक के लिए निकल जाती हैं।
एक गुफा से होकर है 'परलोक' का रास्ता
ऐसा कहते हैं कि एक बहुत अंधेरी और बड़ी गुफा है जिससे होकर आत्मा को गुजरना पड़ता है। इसलिए कहा जाता है कि मृत्यु के पहले 12 दिन बहुत अहम रहते हैं। परिजनों को सभी क्रियाएं बहुत ध्यान पूर्वक और सही तरीके से करने चाहिए। साथ ही आत्मा की शांति की प्रार्थना करनी चाहिए। गुफा के उस पार प्रकाश से भरपूर एक दूसरी दुनिया नजर आती है और वही वह लोक है जहां आत्मा को जाना होता है। इसी दौरान आत्मा की मुलाकात कई बार पूर्वजों से होती है।
गरुण पुराण के अनुसार यमलोक में प्रवेश के लिए हर दिशा में एक द्वार बना होता है। कौन सी आत्मा किस द्वार से नगरी में प्रवेश करेगी, यह उसके कर्मों के आधार पर तय होता है। गरुण पुराण में बताया गया है कि पूर्व दिशा का मार्ग सुखों से युक्त होता है। इस मार्ग से आने वाली आत्माओं को कोई कष्ट नहीं होता है।
नवजात बच्चों को याद रहती है अपने पूर्वजन्म की बातें!
आत्मा जब दूसरे शरीर में प्रवेश करती है और बच्चे का जन्म होता है तो उसे पहले 40 दिनों तक अपने पूर्वजन्म की याद रहती है। वह उसे ही याद कर हंसता और रोता रहता है। इसके बाद उसकी पूर्वजन्म की स्मृतियां खत्म होने लगती हैं।