Ganga Dussehra 2022: इस बार रवि योग में मनेगा गंगा दशहरा, जानिए कैसे हुआ धरती पर मां गंगाजी का अवतरण
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: June 6, 2022 02:21 PM2022-06-06T14:21:54+5:302022-06-06T14:21:54+5:30
हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रति वर्ष ज्येष्ठ मास शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को यह पर्व मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि माना जाता है कि इसी दिन मां गंगा का अवतरण धरती पर हुआ था।
Ganga Dussehra 2022: गंगा दशहरा पर्व इस बार 9 जून गुरुवार को मनाया जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रति वर्ष ज्येष्ठ मास शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को यह पर्व मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि माना जाता है कि इसी दिन मां गंगा का अवतरण धरती पर हुआ था। इस दिन गंगा नदी में स्नान करने का विशेष महत्व है। गंगा दशहरा वाले दिन लोग मां गंगा की पूजा करते हैं। काशी, हरिद्वार और प्रयाग के घाटों पर गंगा में डुबकी लगाकर पुण्य प्राप्त करते हैं। इस बार गंगा दशहरा पर विशेष संयोग बन रहा है।
गंगा दशहरा पर बन रहा हैं शुभ संयोग
ज्योतिष पंचांग के अनुसार, इस बार गंगा दशहरा पर रवि योग बन रहा है, जिसमें धार्मिक और मांगलिक कार्यों को करना बहुत ही शुभ फलदायी माना गया है। गंगा मां ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को हस्त नक्षत्र में पृथ्वी पर उतरीं थी। इस बार हस्त नक्षत्र 9 जून को सुबह 4 बजकर 32 मिनट से प्रारंभ होकर 10 जून को सुबह 4 बजकर 27 मिनट तक रहेगा।
गंगा दशहरा मुहूर्त 2022
दशमी तिथि प्रारंभ - 09 जून, गुरुवार को सुबह 08 बजकर 22 मिनट
दशमी तिथि समाप्त - 10 जून, शुक्रवार को सुबह 07 बजकर 25 मिनट
हस्त नक्षत्र - सुबह 04:32 बजे से जून 10 को सुबह 4 बजकर 27 मिनट तक
गंगा दशहरा पर इस विधि से करें मां गंगा की पूजा
गंगा दशहरा के दिन पवित्र नदी गंगा में स्नान करें। यदि आप गंगा नदी में स्नान नहीं कर पा रहे हैं तो आप घर पर नहाने के पानी में थोड़ा गंगा जल डालकर स्नान कर सकते हैं। नदी में डुबकी लगाते समय ‘ऊँ नमः शिवायै नारायण्यै दशहरायै गंगायै नमः’ मंत्र का उच्चारण जरूर करें। गंगा दशहरा पर शीतलता प्रदान करने वाली चीजों का दान करें।
धरती पर ऐसे हुआ मां गंगाजी का अवतरण
पौराणिक कथा के अनुसार, माना जाता है भागीरथ अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए धरती पर गंगा को लाए थे। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर मां गंगा ने दर्शन दिए और भागीरथ ने उनसे धरती पर आने की प्रार्थना की। मां गंगा ने कहा “मैं धरती पर आने के लिए तैयार हूं , लेकिन मेरी तेज धारा धरती पर प्रलय ले आएगी। जिस पर भागीरथ ने उनसे इसका उपाय पूछा और गंगा ने शिव जी को इसका उपाय बताया। माना जाता है कि मां गंगा के प्रचंड वेग को नियंत्रित करने के लिए भगवान शिव ने उन्हें अपनी जटाओं में समा लिया जिससे धरती को प्रलय से बचाया जा सके।