Ganga Dussehra 2022 Date: गंगा दशहरा कब है? जानें तिथि, शुभ मुहूर्त और धार्मिक महत्व
By रुस्तम राणा | Published: June 2, 2022 02:21 PM2022-06-02T14:21:44+5:302022-06-02T14:21:44+5:30
इस बार हिंदू पंचांग के अनुसार, गंगा दशहरा 09 जून को मनाया जाएगा। धार्मिक मान्यता है कि माना जाता है कि इसी दिन मां गंगा का आगमन धरती पर हुआ था।
Ganga Dussehra 2022: गंगा दशहरा हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है। यह पर्व हर साल ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन गंगा नदी में स्नान करने का विशेष महत्व है। इस बार हिंदू पंचांग के अनुसार, गंगा दशहरा 09 जून को मनाया जाएगा। धार्मिक मान्यता है कि माना जाता है कि इसी दिन मां गंगा का आगमन धरती पर हुआ था। गंगा दशहरा वाले दिन लोग मां गंगा की पूजा करते हैं। काशी, हरिद्वार और प्रयाग के घाटों पर गंगा में डुबकी लगाने जाते हैं।
गंगा दशहरा मुहूर्त 2022
दशमी तिथि प्रारंभ - 09 जून, गुरुवार को सुबह 08 बजकर 21 मिनट
दशमी तिथि समाप्त - 10 जून, शुक्रवार को सुबह 07 बजकर 25 मिनट
हस्त नक्षत्र - सुबह 04:26 बजे, जून 10 तक।
वरीयान योग- रात्रि 01:50 बजे, जून 10 तक।
गंगा दशहरा का महत्व
गंगा दशहरा, दस शुभ वैदिक गणनाओं के लिए मनाया जाता है जो विचारों, भाषण और कार्यों से जुड़े दस पापों को धोने की गंगा की क्षमता को दर्शाता है। दस वैदिक गणनाओं में ज्येष्ठ माह, शुक्ल पक्ष, दसवां दिन, गुरुवार, हस्त नक्षत्र, सिद्ध योग, गर-आनंद यौग और कन्या राशि में चंद्रमा और वृष राशि में सूर्य शामिल हैं। मान्यता ऐसी है कि इस दिन मां गंगा की पूजा करने से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
ऐसे करें गंगा दशहरा की पूजा
शुभ मुहूर्त में गंगा स्नान करें। यदि घर हैं तो घर में नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
स्नान के दौरान ऊं नम: शिवाय नारायण्यै दशहराय गंगाय नम: का जाप करें।
इस दिन 10 अंक का विशेष महत्व है।
पूजा करते समय सभी सामग्रियों को 10 की मात्रा में चढ़ाएं।
जैसे 10 फूल, 10 दीपक, 10 फल आदि।
गंगा दशहरा की पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, मां गंगा का अवतरण ज्येष्ठ शुक्ल दशमी को हस्त नक्षत्र में हुआ था। माना जाता है भागीरथ अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए धरती पर गंगा को लाए थे। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर मां गंगा ने दर्शन दिए और भागीरथ ने उनसे धरती पर आने की प्रार्थना की। मां गंगा ने कहा “मैं धरती पर आने के लिए तैयार हूं , लेकिन मेरी तेज धारा धरती पर प्रलय ले आएगी। जिस पर भागीरथ ने उनसे इसका उपाय पूछा और गंगा ने शिव जी को इसका उपाय बताया। माना जाता है कि मां गंगा के प्रचंड वेग को नियंत्रित करने के लिए भगवान शिव ने उन्हें अपनी जटाओं में समा लिया जिससे धरती को प्रलय से बचाया जा सके।
गंगा दशहरा पर क्या दान करें
गंगा दशहरा पर शीतलता देने वाली चीजों का दान करना चाहिए। इसमें ठंडे फल, पंखा, मटका ,सत्तू का दान आदि कर सकते हैं। इस दिन घरों में भगवान सत्यनारायण की कथा सुन सकते हैं।