Dussehra 2021 Muhurat: विजयादशमी कल, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व
By रुस्तम राणा | Published: October 14, 2021 08:19 AM2021-10-14T08:19:51+5:302021-10-14T08:24:41+5:30
विजयादशमी के दिन शस्त्र पूजन और रावण के पुतले का दहन किया जाता है। सनातन धर्म में इस पावन पर्व का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, अधर्म पर धर्म, असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक माना जाता है।
अच्छाई-पर बुराई की जीत का प्रतीक विजयादशमी पर्व 15 अक्टूबर, शुक्रवार को मनाया जाएगा। इसे दशहरा के नाम से भी जाना जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, दशहरा हर साल आश्विन मास शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के दिन मनाया जाता है। इस दिन शस्त्र पूजन और रावण के पुतले का दहन किया जाता है। सनातन धर्म में इस पावन पर्व का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यता के अनुसार दशहरा पर्व को अधर्म पर धर्म, असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक माना जाता है।
विजयादशमी मुहूर्त
आश्विन शुक्ल पक्ष की दशमी 14 अक्टूबर 2021 को शाम 6.52 बजे से आरंभ हो जाएगी, जो अगले यानी 15 अक्टूबर को शाम 6.02 बजे तक रहेगी। इस दिन विजय मुहूर्त दोपहर 2.02 बजे से 2.48 बजे रहेगा। वहीं अपर्णा पूजा का मुहूर्त दोपहर 1:16 बजे शुरू होगा और दोपहर 3:34 बजे समाप्त होगा।
दशहरा पूजा विधि
सुबह जल्दी उठकर स्नान-ध्यान करें। इसके बाद गेंहू या चूने से दशहरा की प्रतिमा बनाएं। गाय के गोबर से 9 गोले व 2 कटोरियां बनाकर, एक कटोरी में सिक्के और दूसरी कटोरी में रोली, चावल, जौ व फल रखें। अब प्रतिमा को केले, जौ, गुड़ और मूली अर्पित करें। सामार्थ्य के अनुसार ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा दें और गरीबों को भोजन कराएं। रावण दहन के बाद शमी वृक्ष की पत्ती अपने परिजनों को देकर उनका आशीर्वाद लें।
दशहरा के धार्मिक महत्व
विजयादशमी से दो पौराणिक मान्यताएं जुड़ी हुई हैं। पहली मान्यता ये है कि इस दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का वध कर देवलोक को उसके आतंक से मुक्त कराया था। मां शक्ति और महिषासुर के बीच दस दिनों तक युद्ध चला था। वहीं दूसरी मान्यता ये है कि भगवान श्री ने विजयादशमी के दिन लंकापति रावण का वध कर लंका पर विजय प्राप्त की थी और मां सीता को उसके चंगुल से आजाद कराया था। इसलिए हर साल दशहरा के दिन देशभर में रावण के पुतले फूंके जाते हैं।