Dhanteras 2020: धनतेरस कब है? 12 नवंबर या 13 नवंबर को? जानें सही तिथि और समय

By गुणातीत ओझा | Published: November 11, 2020 06:21 PM2020-11-11T18:21:12+5:302020-11-11T18:25:09+5:30

इस वर्ष कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी ति​​थि का प्रारंभ 12 नवंबर दिन गुरुवार को रात 09 बजकर 30 मिनट से हो रहा है, जो 13 नवंबर दिन शुक्रवार को शाम 05 बजकर 59 मिनट तक है।

dhanteras 2020 know the right date tithi puja muhurat | Dhanteras 2020: धनतेरस कब है? 12 नवंबर या 13 नवंबर को? जानें सही तिथि और समय

dhanteras 2020

Highlightsधनतेरस की तारीख को लेकर लोगों में असमंजस की स्थिति बनी है।कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी ति​​थि को धनतेरस का त्योहार होता है।

Dhanteras 2020 Right Date: इस साल धनतेरस की तारीख को लेकर लोगों में असमंजस की स्थिति बनी है। लोग यह नहीं समझ पा रहे हैं कि धनतेरस 12 नवंबर को है या 13 नवंबर को। दरअसल हिन्दू धर्म के व्रत एवं त्योहार हिन्दी पंचांग की तिथियों के अनुसार ही मनाए जाते हैं। कई बार तिथियां और अंग्रेजी कैलेंडर की तारीखें एक नहीं होती हैं। कई त्योहार और पर्व तिथियों में पड़ने वाली अवधि और काल पर निर्भर करते हैं, इसलिए कई बार त्योहारों की तारीखों पर असमंजस की स्थिति पैदा हो जाती है। धनतेरस की सही तारीख और तिथि क्या है? इसे लेकर परेशान होने की जरूरत नहीं है। आज हम आपको इस बार के धनतेरस को लेकर पैदा हुए सभी असमंजस दूर कर देंगे।

धनतेरस 2020 की सही तिथि और समय

हिन्दी पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी ति​​थि को धनतेरस का त्योहार होता है। इस वर्ष कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी ति​​थि का प्रारंभ 12 नवंबर दिन गुरुवार को रात 09 बजकर 30 मिनट से हो रहा है, जो 13 नवंबर दिन शुक्रवार को शाम 05 बजकर 59 मिनट तक है।

धनतेरस की पूजा प्रदोष काल में ही श्रेष्ठ मानी जाती है, ऐसे में प्रदोष काल 13 नवंबर को प्राप्त हो रहा है। 12 नवंबर को रात्रि से ही त्रयोदशी लग रही है। प्रदोष काल सूर्यास्त से बाद और रात्रि से पहले का समय काल होता है। ऐसे में धनतेरस की पूजा 13 नवंबर को करना ही उत्तम है।

धनतेरस पूजा का मुहूर्त

शुक्रवार 13 नवंबर को शाम 05 बजकर 28 मिनट से शाम 05 बजकर 59 मिनट तक धनतेरस पूजा का शुभ मुहूर्त है। इस 30 मिनट की अवधि में आपको धनतेरस की पूजा कर लेनी चाहिए।

यम  दीपक

अकाल मृत्यु से बचने के लिए धनतेरस के दिन प्रदोष काल में घर के बाहर यमराज के लिए एक दीपक जलाया जाता है। इसे यम दीपम या यम का दीपक भी कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से यमराज प्रसन्न होते हैं और वे उस परिवार के सदस्यों की अकाल मृत्यु से रक्षा करते हैं।

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