Chitragupta Puja 2019: इन 25 सामग्रियों के बिना अधूरी है चित्रगुप्त की पूजा, सातवां वाला है सबसे जरूरी
By मेघना वर्मा | Published: October 29, 2019 08:44 AM2019-10-29T08:44:59+5:302019-10-29T08:44:59+5:30
भगवान चित्रगुप्त को भगवान ब्रह्मा का मानस पुत्र भी कहा जाता है। भगवान चित्रगुप्त सभी प्राणियों के पाप और पुण्यकर्मों का लेखा-जोखा रखते हैं। आदमी का भाग्य लिखने का काम यही करते हैं।
देश भर में आज भाई दूज के साथ चित्रगुप्त पूजा का पर्व मनाया जा रहा है। विशेषकर कायस्थ समाज में चित्रगुप्त पूजा का सबसे महत्वपूर्ण तरीके से मनाया जाता है। कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष के द्वितीया यानी यम द्वितीया (भाई दूज) को चित्रगुप्त जयंती मनाई जाती है। इस दिन धर्मराज और मृत्यु के देवता यमराज के सहायक के तौर पर जाना जाता है। इसी दिन भाई दूज में हर बहन अपने भाई को टीका भी लगाती है।
भगवान चित्रगुप्त को भगवान ब्रह्मा का मानस पुत्र भी कहा जाता है। भगवान चित्रगुप्त सभी प्राणियों के पाप और पुण्यकर्मों का लेखा-जोखा रखते हैं। आदमी का भाग्य लिखने का काम यही करते हैं। हर साल पूरे उल्लास के साथ यह पर्व मनाया जाता है। चित्रगुप्त पूजा के दिन लोग विधि-विधान से चित्रगुप्त भगवान की पूजा करते हैं।
चित्रगुप्त की पूजा करते हुए चित्रगुप्त प्रार्थना मंत्र का जाप करना शुभ माना जाता है। सिर्फ यही नहीं चित्रगुप्त की पूजा करने के लिए खास तरह की सामग्रियों की जरूरत भी होती है। आप भी जानिए कौन से हैं वो सामान जिनसे चित्रगुप्त महाराज की पूजा की जाती है।
चित्रगुप्त पूजा के लिए आवश्यक सामग्री
1. सादा कागज
2. गणेश जी की तस्वीर
3. चौकी
4. लाल कपड़ा
5. कलम
6. खाता या किताब
7.चित्रगुप्त महराज की तस्वीर
8. कलश
9. लोटा
10. दीप
11. दूब
12. आम के पत्ते
13. तुलसी के पत्ते
14. नवैद्य
15. फूल-माला
16. स्याही
17. पंचामृत
18. घी
19. मिठाई
20. हल्दी
21. गंगाजल
22. पान
23. रूई
24. धूप-मौली
25.रोली और चंदन
चित्रगुप्त पूजा का शुभ मुहूर्त
तिथि- 29 अक्टूबर
चित्रगुप्त पूजा का शुभ मुहूर्त
चित्रगुप्त पूजा दोपहर का मुहूर्त- 01:11 PM से 03:25 तक
द्वितीया तिथि शुरू- सुबह 6 बजकर 13 मिनट से
द्वितीया तिथि समाप्त- सुबह 3 बजकर 48 मिनट तक
चित्रगुप्त पूजा विधि
1. पूजा करने वाली जगह को साफ करके एक चौकी रखें।
2. इस चौकी पर श्री चित्रगुप्त जी की फोटो को स्थापित करें।
3. अगर आपके पास चित्रगुप्त की फोटो ना हो तो कलश को प्रतीक मान कर चित्रगुप्त जी को स्थापित करें।
4. इसके बाद दीपक जलाकर गणपति को चन्दन, हल्दी,रोली अक्षत ,दूब ,पुष्प व धूप अर्पित कर पूजा अर्चना करें।
5. श्री चित्रगुप्त जी को भी चन्दन ,हल्दी,रोली अक्षत ,पुष्प व धूप अर्पित कर पूजा अर्चना करें।
6. फल ,मिठाई और विशेष रूप से इस दिन के लिए बनाया गया पंचामृत और पान सुपारी का भोग लगायें।
7. इसके बाद परिवार के सभी सदस्य अपनी किताब,कलम,दवात आदि की पूजा करें और चित्रगुप्त जी के पास रखें।
8. अब परिवार के सभी सदस्य एक सफ़ेद कागज पर रोली से स्वस्तिक बनायें।
9. इसके नीचे पांच देवी देवतावों के नाम लिखें।
10. इस कागज और अपनी कलम को हल्दी रोली अक्षत और मिठाई अर्पित कर पूजन करें।
11. अब सभी सदस्य श्री चित्रगुप्त जी की आरती गाएं।