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Chaturmas 2022: 10 जुलाई से प्रारंभ होने जा रहा है चतुर्मास, इन 3 बातों का जरूर रखें ध्यान, जानें नियम

By रुस्तम राणा | Updated: July 7, 2022 14:16 IST

धार्मिक ग्रंथों एवं शास्त्रों में चतुर्मास के लिए कुछ नियम बताए गए हैं, जिनका पालन करने से न केवल आध्यात्मिक सुख पाया जा सकता है। बल्कि सेहत के लिहाज से भी ये नियम जरूरी है।

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Chaturmas 2022: हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह शुक्ल की एकादशी तिथि (देवशयनी एकादशी) से चतुर्मास प्रारंभ हो जाते हैं। इस बार 10 जुलाई से चतुर्मास लग रहे हैं। चतुर्मास से आशय चार माह श्रावण, भाद्रपद, अश्विन और कार्तिक से है। क्योंकि चतुर्मास का अंत कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी ( देवउठनी एकादशी) को होता है। धार्मिक मान्यता है कि चतुर्मास में जगत के पालनकर्ता भगवान विष्णु निद्रासन में चले जाते हैं। ऐसे में सभी शुभ कार्यों को करने या उन्हें शुरू करने की मनाही होती है। धार्मिक ग्रंथों एवं शास्त्रों में चतुर्मास के लिए कुछ नियम बताए गए हैं, जिनका पालन करने से न केवल आध्यात्मिक सुख पाया जा सकता है। बल्कि सेहत के लिहाज से भी ये नियम जरूरी है। आइए जानते हैं चतुर्मास के नियम। 

चतुर्मास में नहीं करें ये काम

चतुर्मास के दौरान विवाह संस्कार सहित गृह प्रवेश और दूसरे सभी मंगल कार्य निषेध माने गये हैं। मान्यता है कि इन महीनों में भगवान गहन निद्रा में होते हैं इसलिए उनका आशीर्वाद नहीं मिल पाता। इन महीनों में किसी भी इंसान को जप-तप, ध्यान और आध्यात्म की मदद लेनी चाहिए। साथ ही सेहत और संयम पर ध्यान होना चाहिए। इन महीनों में संतुलित भोजन करना चाहिए।

चतुर्मास में क्या नहीं खाना चाहिए

धर्म शास्त्रों के अनुसार चतुर्मास में गुड़ का सेवन का बंद कर देना चाहिए। साथ ही इन दिनों तला-भुना भोजन लेने से भी बचना चाहिए। चतुर्मास के दौरान सरसों के तेल का उपयोग टालने की कोशिश करें। इस दौरान बैंगन, मूली और परवल जैसी सब्जी भी नहीं खाएं। साथ ही दूध, पत्तेदार सब्जियां, ज्यादा मसाले वाले भोजन का भी सेवन नहीं किया जाना चाहिए। इसके अलावा मांसाहार और शराब का सेवन भी वर्जित है।

स्वास्थ्य का रखें ध्यान, पलंग पर भी नहीं सोना चाहिए

चतुर्मास के बारे में धर्म शास्त्रों में कहा गया है कि फर्श पर सोना चाहिए और सूर्योदय से पहले उठना चाहिए। पलंग पर न सोएं और खुद को भौतिक सुविधाओं से दूर रखने की कोशिश करें। सहवास न करें और संयम का पालन करें। मान्यता है कि मधुर स्वर पाने के लिए इन दिनों में गुड़, लंबी उम्र और संतान प्राप्ति के लिए तेल, शत्रु बाधा से मुक्ति के लिये कड़वा तेल, और सौभाग्य के लिये मीठे तेल का त्याग किया जाता है। 

इनके पीछे का वैज्ञानिक कारण

इस महीने में संयम बरतने और खानपान के साथ जीवनशैली में बदलाव का वैज्ञानिक कारण भी है। यह महीने आमतौर पर बारिश वाले होते हैं। ऐसे में हवा में नमी बढ़ जाती है कीड़े-मकोड़े और बैक्टीरिया की तादाद भी बढ़ती है। इसलिए इन दिनों में खान-पान और जीवनशैली में सुधार की सलाह वैज्ञानिक दृष्टि से भी सही मानी जा सकती है।

टॅग्स :एकादशीभगवान विष्णु
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