चारधाम परियोजना : न्यायालय ने कहा- 2018 के दिशानिर्देशों का पालन करना ही होगा

By गुणातीत ओझा | Published: September 9, 2020 07:58 AM2020-09-09T07:58:43+5:302020-09-09T11:47:50+5:30

न्यायमूर्ति आर एफ नरिमन, न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा और न्यायमूर्ति इन्दिरा बनर्जी की पीठ ने वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से सुनवाई करते हुये सालिसीटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि इस परियोजना के लिये 2018 के दिशानिर्देशों का पालन करना ही होगा।

Chardham Project: Court said that 2018 guidelines have to be followed | चारधाम परियोजना : न्यायालय ने कहा- 2018 के दिशानिर्देशों का पालन करना ही होगा

जानें चारधाम परियोजना पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा।

Highlights2018 के सर्कुलर के अनुसार पर्वतीय क्षेत्र में इंटरमीडियट मार्ग की चौड़ाई 5.5 मीटर होनी चाहिए। पिछले साल अगस्त में चारधाम राजमार्ग परियोजना को हरी झंडी मिली थी।

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि उत्तराखंड के चार पवित्र स्थलों को जोड़ने वाली सभी मौसम के अनुकूल सड़क बनाने संबंधी चारधाम राजमार्ग परियोजना के मामले पर्वतीय क्षेत्र में सड़कों की चौड़ाई के बारे में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के 2018 के सर्कुलर का पालन करना होगा। न्यायमूर्ति आर एफ नरिमन, न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा और न्यायमूर्ति इन्दिरा बनर्जी की पीठ ने वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से सुनवाई करते हुये सालिसीटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि इस परियोजना के लिये 2018 के दिशानिर्देशों का पालन करना ही होगा।

चार धाम सड़क मार्ग परियोजना के अंतर्गत यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ को हर मौसम के अनुकूल सड़क मार्ग से जोड़ा जायेगा। पीठ ने मेहता से कहा, ‘‘आपको अपने 2018 के दिशानिर्देशों का पालन करना होगा। कैसे आप अपने ही दिशानिर्देशों के अनुसार नहीं चलेंगे?’’ मेहता ने कहा कि उच्चाधिकार प्राप्त समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंपी है और इसमें सड़क की चौड़ाई सहित कुछ बिन्दु उठाये गये हैं। उन्होंने कहा कि समिति की अल्पसंख्यक राय है कि 2018 के सर्कुलर के अनुसार पर्वतीय क्षेत्र में इंटरमीडियट मार्ग की चौड़ाई 5.5 मीटर होनी चाहिए।

मेहता ने कहा कि इस परियोजना के दायरे में भारत-चीन सीमा भी आती है और चूंकि वहां सेना के वाहनों का आवागमन होता है, इसलिए यह चौड़ाई 5.5 मीटर की बजाये सात मीटर होनी चाहिए। याचिकाकर्ता गैर सरकारी संगठन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता संजय पारिख ने कहा कि प्राधिकारियों ने अनेक निर्देशों का उल्लंघन किया है और इससे इस क्षेत्र में पर्वतों और वृक्षों को बहुत नुकसान पहुंच रहा है। उन्होंने इस परियोजना के लिये वृक्षों की कटाई का मामला भी उठाया।

पीठ ने कहा, ‘‘हम किसी सतत् जांच में शामिल नहीं हो रहे हैं। यहां मुद्दा 2018 के दिशा निर्देशों के बारे में है।’’ पीठ ने कहा कि प्राधिकारी को उचित पौधारोपण भी करना चाहिए। शीर्ष अदालत ने पर्यावरण से जुड़े मसले पर गौर करने के लिये उच्चाधिकार समिति गठित करने के राष्ट्रीय हरित अधिकरण के आदेश में सुधार करते हुये पिछले साल अगस्त में चारधाम राजमार्ग परियोजना को हरी झंडी दी थी।

Web Title: Chardham Project: Court said that 2018 guidelines have to be followed

पूजा पाठ से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे