चाणक्य नीति: इस एक गंदी आदत के कारण बिगड़ जाते हैं इंसान के सभी काम
By मेघना वर्मा | Published: May 4, 2020 12:50 PM2020-05-04T12:50:30+5:302020-05-04T12:50:30+5:30
आचार्य चाणक्य ने जीवन के मूल्यों को अपनी इन रणनीतियों में लिखा है।
आचार्य चाणक्य अपनी रणनीतियों के लिए जाने जाते हं। उन्हें लिखी नीतियां आज भी लोगों की जिंदगी में काम आते हैं। आचार्य चाणक्य ने जीवन के मूल्यों को अपनी इन रणनीतियों में लिखा है। इन्हीं रणनीतियों में उन्होंने इंसान की एक ऐसी आदत बताई है जिसकी वजह से उसके सारे काम बिगड़ जाते हैं।
चाणाक्य अपने नीति शास्त्र के 13वें अध्याय में लिखे एक श्लोक में कहते हैं कि इंसान अपनी एक आदत के कारण हमेशा परेशान रहता है। इसी गंदी आदत की वजह से इंसान को अपनी जिंदगी में दुख और दर्द सहना पड़ता है। आइए आपको बताते हैं क्या है वो आदत और कौना सा है वो श्लोक-
अनवस्थितकायस्य न जने न वने सुखम्।
जनो दहति संसर्गाद् वनं संगविवर्जनात।।
आचार्य चाणक्य के इस श्लोक में लिखा है कि मन की चंचलता पर जिसका नियंत्रण रहता है वो सफलता की सीढ़ियों को छूते हैं। आचार्य चाणक्य का कहना है कि मनुष्य का चित्त स्थिर होना चाहिए। जिन मनुष्य का चित्त स्थिर नहीं होता वो हमेशा दुखी रहते हैं।
वहीं चाणक्य कहते हैं कि जिनका चित्त उनके वश में नहीं रहता वो दूसरों के सुख में दुखी होते हैं। ऐसे व्यक्ति को ना तो लोगों के बीच सुख मिलता है और ना अकेले में। चाणक्य के मुताबिक समाज में रहने वाले लोग उस व्यक्ति का साथ नहीं देते। वहीं अकेले रहने पर उनका अकेलापन उसे खा जाता है।
चाणक्य ने बताया था कि दूसरे व्यक्ति के खुशी ना सहन कर पाने वाले लोग हमेशा दुखी होते हैं। इंसान को अपने चित्त यानी मन पर नियंत्रण रखना आना चाहिए। साथ ही चाणक्य ने बताया कि नीच लोगों के लिए पैसा सबकुछ होता है। इसी वजह से पैसों के लिए वो गलत और सही दोनों रास्ते पर चलते हैं।
वहीं मध्यम दर्जे का व्यक्ति धन तो चाहता है मगर सम्मान की बलि देकर नहीं। वहीं महापुरुष लोग धन की चाहत नहीं रखते। उनके लिए मान-सम्मान ही सबसे महत्वपूर्ण है। वही उनका धन होता है।