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Chaitra Navratri: चैत्र नवरात्रि की शुरुआत इस बार मृत्यु पंचक में, आखिर क्या हैं इसके मायने और ये कितना शुभ, जानिए सबकुछ

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: March 20, 2020 11:40 IST

Chaitra Navratri: चैत्र नवरात्रि की शुरुआत इस बात पंचक में ही हो रही है। पंचक की शुरुआत 21 मार्च (शनिवार) से है और इसलिए ये मृत्यु पंचक कहा जाएगा।

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ठळक मुद्देपंचक की शुरुआत 21 मार्च से इस बार, 26 मार्च को होगा खत्मचैत्र नवरात्रि की कलश स्थापना 25 मार्च को हो जाएगी, पंचक का नहीं होगा कोई असर

चैत्र नवरात्रि की शुरुआत इस बार 25 मार्च (बुधवार) से हो रही है। हालांकि, खास बात ये भी है इस नवरात्रि की शुरुआत पंचक में होने जा रही है। ज्योतिषों और पंचांग के अनुसार पंचक की शुरुआत 21 मार्च से धनिष्ठा नक्षत्र में होगी और इसका समापन 26 मार्च को सुबह 7.17 बजे होगा। ऐसे में नवरात्रि के घट स्थापन का मुहूर्त पंचक काल में ही होगा। चूकी इस बार पंचक काल शनिवार से शुरू होगा, इसलिए इसे मृत्यु पंचक कहा जा रहा है।

दरअसल वैदिक ज्योतिष के अनुसार दिन के हिसाब से सभी पंचक का प्रभाव अलग-अलग होता है। यह इस बात पर निर्भर है कि पंचक की शुरुआत किस दिन से हुई है।

पंचक की शुरुआत अगर रविवार से होती है तो उसे रोग पंचक कहते हैं, ऐसे ही शनिवार से शुरू होने वाले पंचक को मृत्यु पंचक कहा जाता है। सोमवार से शुरू हुए पंचक को राजपंचक, मंगलवार को अग्नि पंचक, बुध और गुरुवार को अशुभ जबकि शुक्रवार को चोर पचंक कहा जाता है। 

पंचक में नवरात्रि शुभ या अशुभ

पंचक काल को हिंदू मान्यताओं में अशुभ माना गया है। इसमें भी मृत्यु पंचक और भी घातक और अशुभ माना गया है। इसलिए इस काल को लेकर कई तरह के डर मन में बैठे होते हैं। हालांकि, जहां तक नवरात्रि की बात है तो इसे किया जा सकता है। नवरात्रि शक्ति की अराधना का व्रत है। यह बहुत पावन समय होता है और नवरात्रि के 9 दिनों में माता दुर्गा के 9 रूपों की पूजा होती है। इसलिए पंचक का असर इस पर नहीं माना जाएगा।

एक और खास बात ये भी है कि इस बार नवरात्रि की शुरुआत बुधवार से हो रही है। यह हिंदू नववर्ष की शुरुआत का भी दिन होगा। बुधवार का स्वामी बुध ग्रह को बताया गया है। ऐसे में ज्योतिषों के अनुसार इस साल लोग धन के प्रभाव में अधिक होंगे और बुद्धि-विवेक के बल पर धन अर्जित भी कर सकते हैं।

चैत्र नवरात्रि पर घटस्थापना का मुहूर्त

चैत्र नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि 24 मार्च को दोपहर 2:57 बजे से ही शुरू हो जाएगी। वैसे, उदया तिथि को देखते हुए पूजा की शुरुआत 25 तारीख से होगी। प्रतिपदा तिथि 24 मार्च को दोपहर 2.57 से 25 मार्च को दिन में 5.26 बजे तक है। ऐसे में कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त 25 मार्च ही माना जाएगा। खास बात ये भी है कि इस बार चैत्र नवरात्रि के व्रत में किसी भी तिथि का क्षय नहीं हो रहा है। ऐसे में माता के भक्त पूरे नौ दिनों तक उनकी पूजा अर्चना और व्रत कर सकेंगे।

टॅग्स :चैत्र नवरात्रिनवरात्रिनवरात्री महत्व
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