चैत्र माह प्रारंभ होते ही 25 मार्च से चैत्र नवरात्रि का शुभारंभ हो शुरू हो रहा है। हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार चैत्र नवरात्र का भी बहुत महत्व है। नवरात्रि के मां दुर्गा के नौ स्वरूपों के पूजन का प्रावधान है। हर दिन पूजन के लिए अलग-अलग मंत्र का प्रावधान है।
1. शैलपुत्री-
नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री की आराधना होती है। इस दिन मां शैलपुत्री की पूजा करने से चंद्रदोष से मुक्ति मिलती है। पीला वस्त्र पहनकर इस दिन पूजा करनी चाहिए। इस बार यह पूजा 25 मार्च को होगी।
वन्दे वांछितलाभाय, चंद्रार्धकृतशेखराम्।वृषारूढां शूलधरां, शैलपुत्रीं यशस्विनीम् ॥
2. ब्रह्मचारिणी
चैत्र नवरात्र के दूसरे दिन मां दूर्गा के दूसरे स्वरूप ब्रह्मचारिणी की पूचा होती है। इस दिन हरे रंग का विशेष महत्व है। हरा रंग बुध ग्रह का प्रतीक माना जाता है।
दधाना करपद्माभ्याम्, अक्षमालाकमण्डलू।देवी प्रसीदतु मयि, ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।
3. चंद्रघंटा
चैत्र नवरात्रि के तीसरे दिन (27 मार्च) को मां चंद्रघंटा की पूजा होगी। इस दिन मां की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। इस दिन भूरे रंग की मान्यता है। भूरा रंग आप को भ्रम की बाधा से दूर रखेगा।
पिंडजप्रवरारूढा, चंडकोपास्त्रकैर्युता।प्रसादं तनुते मह्यं, चंद्रघंटेति विश्रुता।।
4. कूष्मांडा
चैत्र नवरात्रि के चौथे दिन (28 मार्च) मां दुर्गा के कुष्मांडा स्वरूप का दर्शन-पूजन करने से मनुष्य के समस्त पापों का क्षय हो जाता है। इस दिन नारंगी रंग का महत्व है।
सुरासंपूर्णकलशं, रुधिराप्लुतमेव च।दधाना हस्तपद्माभ्यां, कूष्मांडा शुभदास्तु मे।।
5. स्कंदमाता
चैत्र नवरात्रि के 5वें दिन (29 मार्च) मां दुर्गा के स्कंदमाता स्वरूप की पूजा होती है। इस दिन पूजा करने से मोक्ष का मार्ग सुगम होता है। पंचमी के दिन सफेद रंग का महत्व है।
सिंहासनगता नित्यं, पद्माश्रितकरद्वया।शुभदास्तु सदा देवी, स्कंदमाता यशस्विनी।।
6. कात्यायनी
चैत्र नवरात्रि के छठे दिन (30 मार्च) देवी के कात्यायनी स्वरूप की पूजा होती है। इस दिन देवी मां की पूजा करने से जीवन में रूके हुए सारे कार्य पूर्ण होते हैं। बिहार-पश्चिम बंगाल में नवरात्रि के छठे दिन ही पंडालों का कपाट खोलने का रिवाज है।
चंद्रहासोज्ज्वलकरा, शार्दूलवरवाहना।कात्यायनी शुभं दद्यात्, देवी दानवघातनी।।
7. कालरात्रि
चैत्र नवरात्रि के सातवें दिन (31 मार्च) को मां दुर्गा के कालरात्रि स्वरूप की पूजा होगी। देवी कालरात्रि अपने भक्तों को काल से दूर रखती है। इस दिन मां की उपासना से सिद्धियां भी प्राप्त होती हैं।
एकवेणी जपाकर्ण, पूरा नग्ना खरास्थिता।लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी, तैलाभ्यक्तशरीरिणी।वामपादोल्लसल्लोह, लताकंटकभूषणा।वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा, कालरात्रिभयंकरी।।
8. महागौरी
चैत्र नवरात्रि के 8वें दिन (1 अप्रैल) को देवी के महागौरी स्वरूप की पूजा होगी। इस स्वरूप के पूजन मात्र से ही पूर्व संचित समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। इस दिन कई मां के कई उपासक निर्जला उपवास भी रखते हैं।
श्वेते वृषे समारूढा, श्वेताम्बरधरा शुचि:।महागौरी शुभं दद्यात्, महादेवप्रमोददाद।।
9. सिद्धिदात्री
चैत्र नवरात्रि के आखिरी दिन यानि नवमी (2 अप्रैल) को मां दुर्गा के सिद्धिदात्री स्वरूप की पूजा होगी। देवी का यह स्वरूप समस्त प्रकार की सिद्धियां प्रदान करने वाला है।
सिद्धगंधर्वयक्षाद्यै:, असुरैरमरैरपि।सेव्यमाना सदा भूयात्, सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।।