लाइव न्यूज़ :

चैत्र नवरात्रि 2019: 6 अप्रैल से शुरू, व्रत के अलावा कर लें ये 4 काम, मिलेगा शुभ नक्षत्रों का लाभ

By गुलनीत कौर | Updated: March 26, 2019 07:10 IST

पंचांग के अनुसार 5 अप्रैल 2019, दिन शुक्रवार दोपहर 01:36 बजे से ही नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि लग जाएगी जो कि अगले दिन यानी 6 अप्रैल को दोपहर 02:58 बजे तक रहेगी। परंतु नवरात्रि का प्रारंभ 6 अप्रैल को सूर्य उदय होने के बाद से ही माना जाएगा।

Open in App

6 अप्रैल 2019, दिन शनिवार से मां दुर्गा को समर्पित चैत्र नवरात्रि का महापर्व प्रारंभ हो रहा है। यूं तो वर्ष में चार बार नवरात्रि का पर्व आता है, किन्तु इनमें से दो नवरात्रि - चैत्र और आषाढ़ ही लोगों के बीच लोकप्रिय है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवमी तिथि तक कुल नौ दिनों तक नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। इन नौ दिन आदि शक्ति के स्वरूप - मां दुर्गा, माँलक्ष्मी, मां सरस्वती के नौ रूपों की पूजा-अर्चना और व्रत किया जाता है। 

चैत्र नवरात्रि 2019 तिथि:

पंचांग के अनुसार 5 अप्रैल 2019, दिन शुक्रवार दोपहर 01:36 बजे से ही नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि लग जाएगी जो कि अगले दिन यानी 6 अप्रैल को दोपहर 02:58 बजे तक रहेगी। परंतु नवरात्रि का प्रारंभ 6 अप्रैल को सूर्य उदय होने के बाद से ही माना जाएगा। 6 अप्रैल की सुबह 5 बजकर 47 मिनट पर सूर्य उदय होगा और धार्मिक रूप से तभी से नवरात्रि का शुभारंभ होगा। इसी दिन नवरात्रि का शुभ कलश भी स्थापित किया जाएगा। 6 अप्रैल की दोपहर बाद से प्रतिपदा तिथि समाप्त होगी और द्वितीया तिथि लग जाएगी।

चैत्र नवरात्रि पर कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त एवं पूजा विधि जानने के लिए यहां क्लिक करें

चैत्र नवरात्रि पर करें ये 4 काम:

आदि शक्ति के नौ रूपों को समर्पित चैत्र नवरात्रि के पर्व पर नौ दिनों तक देवी की पूजा, व्रत एवं शास्त्रीय उपाय भी किए जाते हैं। कुछ लोग नौ के नौ दिन व्रत करते हैं। कुछ नौ से कम दिन व्रत करते हैं। लेकिन अगर आप नवरात्रि के शुभ अवसर पर व्रत ना कर सकें तो आगे बताए जा रहे चार कार्य अवश्य करें। ये आपको व्रत के सामान फल दिलाएंगे। देवी प्रसन्न होकर कृपा दृष्टि बरसाएंगी।

1) धर्म के अलावा ज्योतिष शास्त्र में भी नवरात्रि का बेहद महत्व है। इसके अनुसार नवरात्रि के शुभ अवसर पर वे सभी शुभ कार्य करने चाहिए जिसमें आपको सफलता की चाहत हो। उदाहरण के लिए ग्रह प्रवेश, मांगलिक कार्य, सोना-चांदी की खरीदारी को नवरात्री के शुभ मौके पर करना चाहिए

2) नवरात्रि के यदि आप रोजाना मंदिर जा रहे हैं तो देवी को प्रसाद का भोग लगाने के साथ 'इत्र' भी अर्पित करें। देवी के सामने इत्र रखन, प्रार्थना करें। थोड़े इत्र का छिड़काव मंदिर में ही करें। इसके बाद बचे हुए इत्र को वापस ले आएं और मां का आशीर्वाद समझ रोजाना इसका इस्तेमाल करें

3) मान्यता है कि नवरात्रि के अपने भक्त को आशीर्वाद देने देवी किसी ना किसी रूप घर आती हैं। इसलिए नवरात्रि के दिनों में घर आए किसी भी मेहमान को बिना भोजन किए जाने ना दें। मेहमानों का आदत करें, उन्हें स्वादिष्ट एवं सात्विक भोजन खिलाएं। ऐसा करेंस ए द्वी प्रसन्न होती है

4) यदि घर में खुशियों का अभाव है, परिवार के सदस्य रोग-शोक से पीड़ित हैं, हर दूसरे कार्य में असफलता हाथ लग रही है तो नवरात्रि के नौ शुभ दिनों में रोजाना शिवलिंग पर जल में काले तिल डालकर अर्पित करें। हुभ नक्षत्रों के प्रभाव से यह उपाय तेजी से काम करेगा और आपके संकट कम हो जाएंगे

टॅग्स :नवरात्रिहिंदू त्योहारपूजा पाठ
Open in App

संबंधित खबरें

पूजा पाठMargashirsha Purnima 2025 Date: कब है मार्गशीर्ष पूर्णिमा? जानिए तिथि, दान- स्नान का शुभ मुहूर्त, चंद्रोदय का समय और महत्व

पूजा पाठDecember Vrat Tyohar 2025 List: गीता जयंती, खरमास, गुरु गोबिंद सिंह जयंती, दिसंबर में पड़ेंगे ये व्रत-त्योहार, देखें पूरी लिस्ट

पूजा पाठVivah Panchami 2025: विवाह पंचमी 25 नवंबर को, वैवाहिक जीवन में प्रेम बढ़ाने के लिए इस दिन करें ये 4 महाउपाय

भारतदरगाह, मंदिर और गुरुद्वारे में मत्था टेका?, बिहार मतगणना से पहले धार्मिक स्थल पहुंचे नीतीश कुमार, एग्जिट पोल रुझान पर क्या बोले मुख्यमंत्री

पूजा पाठKartik Purnima 2025: कार्तिक पूर्णिमा आज, जानें महत्व, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

पूजा पाठ अधिक खबरें

पूजा पाठसभ्यता-संस्कृति का संगम काशी तमिल संगमम

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 06 December 2025: आज आर्थिक पक्ष मजबूत, धन कमाने के खुलेंगे नए रास्ते, पढ़ें दैनिक राशिफल

पूजा पाठPanchang 06 December 2025: जानें आज कब से कब तक है राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त का समय

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 05 December 2025: आज 4 राशिवालों पर किस्मत मेहरबान, हर काम में मिलेगी कामयाबी

पूजा पाठPanchang 05 December 2025: जानें आज कब से कब तक है राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त का समय