चैत्र नवरात्रि 2018: पंडित जी से जानें घटस्थापना का शुभ मुहूर्त और सरल पूजा विधि

By गुलनीत कौर | Updated: March 17, 2018 10:19 IST2018-03-17T10:18:48+5:302018-03-17T10:19:33+5:30

ज्योतिर्विद पं दिवाकर त्रिपाठी से जानें नवरात्रि में कलश स्थापित करने की सरल विधि एवं शास्त्रीय नियम।

Chaitra Navratri 2018 Ghatasthapana puja date, time and vidhi | चैत्र नवरात्रि 2018: पंडित जी से जानें घटस्थापना का शुभ मुहूर्त और सरल पूजा विधि

चैत्र नवरात्रि 2018: पंडित जी से जानें घटस्थापना का शुभ मुहूर्त और सरल पूजा विधि

18 मार्च 2018 से हिन्दू धर्म के पवित्र त्योहार 'चैत्र नवरात्रि' का शुभारम्भ होगा। उत्थान ज्योतिष संस्थान के निदेशक ज्योतिर्विद पं दिवाकर त्रिपाठी पूर्वांचली के मुताबिक इस बार नवरात्रि 9 नहीं बल्कि 8 दिन के होंगे क्योंकि अष्टमी और नवमी तिथि एक ही दिन की है। नवरात्रि की प्रतिपदा से व्रत रखे जाएंगे और हिन्दू परिवारों में घटस्थापना की पूजा की जाएगी। घटस्थापना का शुभ मुहूर्त 18 मार्च की सुबह सूर्योदय यानी 6 बजकर 6 मिनट से ही प्रारंभ होना माना जा रहा है।

ज्योतिर्विद पं दिवाकर त्रिपाठी ने बताया कि हालांकि प्रतिपदा तिथि 17 मार्च की शाम 06 बजकर 5 मिनट से ही प्रारंभ हो जाएगी जो कि अगले दिन सायं 6 बजकर 8 मिनट तक रहेगी किन्तु 18 मार्च को उदया तिथि के कारण नवरात्रि इसी दिन से प्रारंभ हुआ माना जाएगा। और घटस्थापना पूजा भी इसी दिन की जाएगी। घत्स्थापाना का शुभ मुहूर्त इसदिन सुबह सूर्योदय से प्रारंभ हो जायेगा किन्तु पंचांग की मानें तो सुबह 09 बजे से 12 बजे तक का मुहूर्त घटस्थापना के लिए उत्तम है। इसी समय पर नवरात्रि कलश स्थापना कर लें। चलिए आगे आपको बताते हैं कलश स्थापना के लिए आवश्यक पूजन सामग्री एवं सरल शास्त्रीय विधि।

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कलश स्थापना की विधि

आवश्यक सामग्री: मिटटी का पात्र, शुद्ध साफ की हुई मिटटी (जिसमें पत्थर ना हो), शुद्ध जल से भरा हुआ तांबे या पीतल का कलश, कलावा धागा, अशोक या आम के पांच पत्ते, कलश को ढकने के लिए मिटटी का ढक्कन, अक्षत, एक नारियल, सुपारी, कुछ सिक्के, लाल कपड़ा या चुनरी, मिठाई, लाल गुलाब या फूलों की माला

इस तरह करें कलश स्थापना: ज्योतिर्विद पं दिवाकर त्रिपाठी के अनुसार कलश स्थापना के लिये प्रतिपदा के दिन स्नानादि कर पूजा स्थल को शुद्ध कर लें। इसके बाद लकड़ी के एक आसन पर लाल रंग का वस्त्र बिछायें। वस्त्र पर श्री गणेश जी का स्मरण करते हुये थोड़े चावल रखें। अब मिट्टी की वेदी बनाकर उस पर जौ बोयें, फिर इस पर जल से भरा मिट्टी, सोने या तांबे का कलश विधिवत स्थापित करें। कलश पर रोली से स्वास्तिक या ऊँ बनायें। कलश के मुख पर रक्षा सूत्र भी बांधना चाहिये साथ ही कलश में सुपारी, सिक्का डालकर आम या अशोक के पत्ते रखने चाहिये।

अब कलश के मुख को ढक्कन से ढक कर इसे चावल से भर देना चाहिये। एक नारियल लेकर उस पर चुनरी लपेटें व रक्षासूत्र से बांध दें। इसे कलश के ढक्कन पर रखते हुए सभी देवी-देवताओं का आह्वान करें और अंत में दीप जलाकर कलश की पूजा करें व षोडशोपचार से पूजन के उपरान्त फूल व मिठाइयां चढा कर माता का पूजन ध्यान पूर्वक करें। इस घट पर कुलदेवी की प्रतिमा भी स्थापित की जा सकती है। कलश की पूजा के बाद दुर्गा सप्तशती का पाठ भी करना चाहिये।

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ध्यान दें:

- कलश स्थापना कर रहे हैं तो कुछ बातों का विसेह्श ख्याल रखें ताकि आप पाप के भागी ना बने। सबसे पहली बात ये कि पूजा में इस्तेमाल होने वाला कलश तांबे, सोने, चांदी या पीतल का ही हो। यह कलश लोहे या स्टील का नहीं होना चाहिए
- कलश स्थापित करते समय उसे स्थापित करने वाले व्यक्ति का शरीर एवं हाथ दोनों शुद्ध होने चाहिए
- कलश स्थापित करते समय मन में देवी का ध्यान करें और किसी भी बुरी भावना को मन-मस्तिष्क में ना आने दें
- विधि के दौरान इस्तेमाल होने वाली चुनरी या काल कपड़ा नया और साफ हो, कहीं से भी फटा हुआ ना हो
- यदि कलश के साथ आप देवी की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित कर रहे हैं तो उसपर भी चुनरी अर्पित करें

Web Title: Chaitra Navratri 2018 Ghatasthapana puja date, time and vidhi

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