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Annapurna Jayanti 2019: अन्नपूर्णा जयंती आज, पढ़िए देवी पार्वती ने क्यों लिया था अन्नपूर्णा का रूप-जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधी

By मेघना वर्मा | Updated: December 12, 2019 08:54 IST

अन्नपूर्णा देवी को माता पार्वती का रूप माना जाता है। मान्यता है कि मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा तिथि को माता पार्वती ने अन्नपूर्णा का अवतार लिया था।

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ठळक मुद्देभगवान शिव ने पृथ्वीवासियों के कल्याण के लिए भिक्षुक का रूप धारण किया था।अन्नपूर्णा जयंती मनाने का मकसद ये भी है कि किसी भी तरह से खाने की बर्बादी ना की जाए।

हिन्दू पंचाग के अनुसार मार्गशीर्ष महीने की पूर्णिमा तिथी को हर साल मां अन्नपूर्णा की जयंती मनाई जाती है। इस साल यह जयंती 12 दिसंबर को पड़ी है। अन्नपूर्णा देवी को अन्न की देवी कहा जाता है। माना जाता है कि जो जातक इस दिन मां अन्नपूर्णा की मन से सेवा करता है उसको जीवन भर कभी भूखों नहीं मरना पड़ता। सिर्फ यही नहीं अन्न का अपमान करने वाले किसी भी इंसान से अन्नपूर्णा मां रुठ भी जाती हैं।

ऐसे हुई थी मां अन्नपूर्णा की उत्पत्ति

अन्नपूर्णा देवी को माता पार्वती का रूप माना जाता है। मान्यता है कि मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा तिथि को माता पार्वती ने अन्नपूर्णा का अवतार लिया था। इसी दिन भगवान शिव ने पृथ्वीवासियों के कल्याण के लिए भिक्षुक का रूप धारण किया था। जिसके बाद भगवान शिव को माता पार्वती ने देवी अन्नपूर्णा के रूप में भोजन कराया था। इसी के बाद से देवी अन्नपूर्णा की यह जयंती हर साल मार्गशीर्ष महीने की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है।

लोक कथाओं के अनुसार माना जाता है कि जब मृत्युंजय भगवान शिव, अपनी नगरी यानी काशी में लोगों की आत्मा को सद्गति यानी कि मोक्ष प्रदान कर रहे थे तब माता पार्वती नेअन्नपूर्णा का रूप धारण कर मृतकों के साथ आए जीवित लोगों के खानपान की व्यवस्था देखी थी। अन्नपूर्णा जयंती मनाने का मकसद ये भी है कि किसी भी तरह से खाने की बर्बादी ना की जाए।

अन्नपूर्णा जयंती का शुभ मुहूर्त

मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ 11 दिसंबर को दिन में 10 बजकर 59 मिनट से हो रहा है, जो 12 दिसंबर को सुबह 10 बजकर 42 मिनट तक रहेगा। 12 दिसंबर दिन बुधवार को अन्नपूर्णा जयंती मनाई जाएगी।

अन्नपूर्णा जयंती की पूजा विधि

1. अन्नपूर्णिमा जयंती के दिन जल्दी उठकर स्नान आदि कर लें। 2. आज के दिन शुद्ध और पवित्र होकर ही रसोईघर में प्रवेश करें।3. किचन को गुलाबजल या गंगाजल से शुद्ध करें।4. इसके बाद मंदिर में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करते हुए देवी अन्नपूर्णा की भी अर्चना करें।5. इसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती की आरती जरूर करें।6. आप चाहें तो इस दिन प्याज-लहसुन का उपयोग किए बिना भोजन बनाएं।

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