नंदीग्राम से चुनाव लड़ेंगी सीएम ममता, भाजपा में शामिल शुभेन्दु अधिकारी से टक्कर
By सतीश कुमार सिंह | Published: January 18, 2021 02:27 PM2021-01-18T14:27:30+5:302021-01-18T16:13:01+5:30
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को बिना किसी का नाम लिए हुए कहा कि वह देश को बांटने की इजाजत नहीं देंगी और वह लोगों के लिए काम करती रहेंगी और उनके लिए ही जियेंगी और मरेंगी।
कोलकाताः पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव अप्रैल-मई में होगा। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नंदीग्राम सीट से विधानसभा चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी।
2016 में तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार शुभेन्दु अधिकारी ने चुनाव जीता था। ममता बनर्जी ने नंदीग्राम में एक रैली में कहा कि दल बदलने वालों की चिंता नहीं है, जब तृणमूल कांग्रेस का गठन किया गया था, तब उनमें से कोई साथ नहीं था।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को घोषणा की है कि वह राज्य में आगामी चुनाव नंदीग्राम से लड़ेंगी। बनर्जी ने कस्बे में बैठक की घोषणा की। यह कदम महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस सीट का प्रतिनिधित्व भाजपा में शामिल हुए विद्रोही शुभेन्दु अधिकारी ने किया था। बनर्जी के दो सीटों - बभनीपुर और नंदीग्राम से चुनाव लड़ने की संभावना है।
दिसंबर 2020 में शुभेन्दु अधिकारी भाजपा में शामिल हो गए
पश्चिम बंगाल के पूर्वी मेदिनीपुर जिले में स्थित यह सीट 2016 में शुभेन्दु अधिकारी ने जीती थी। 2009 में उपचुनाव के बाद से इस सीट पर टीएमसी का कब्जा है। सीएम ममता बनर्जी शुभेन्दु अधिकारी को यहां से घेरेगी। 2011 में टीएमसी की फिरोजा बीबी ने इस सीट से जीत दर्ज की थी।
दिसंबर 2020 में शुभेन्दु अधिकारी भाजपा में शामिल हो गए। नंदीग्राम सीट महत्वपूर्ण है, क्योंकि ममता ने यहां पर आंदोलन कर वाम सरकार को उखाड़ फेंका था। पश्चिम बंगाल में 34 साल के वामपंथी शासन को खत्म किया था।
बनर्जी ने सोमवार को नंदीग्राम से चुनाव लड़ने की घोषणा करते हुए विधानसभा चुनाव के लिए अपनी पार्टी तृणमूल कांग्रेस के प्रचार अभियान की शुरुआत की। उन्होंने भाजपा के शुभेंदु अधिकारी को ध्यान में रखकर यह कदम उठाया है जिन्होंने 2016 में तृणमूल उम्मीदवार के तौर पर यह सीट जीती थी।
तृणमूल कांग्रेस ने वाम मोर्चा और कांग्रेस से भाजपा की ‘‘सांप्रदायिक एवं विभाजनकारी’’ राजनीति के खिलाफ लड़ाई में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का साथ देने की अपील की है। हालांकि, दोनों दलों ने इस सलाह को सिर से खारिज कर दिया है।
वहीं कांग्रेस ने इस सलाह के बाद तृणमूल कांग्रेस को पेशकश की है कि वह भाजपा के खिलाफ लड़ाई के लिए गठबंधन बनाने के स्थान पर पार्टी (कांग्रेस) में विलय कर ले। राज्य में मजबूती से ऊभर रही भाजपा का कहना है कि तृणमूल की यह पेशकश दिखाती है कि वह पश्चिम बंगाल में अप्रैल-मई में होने वाले संभावित विधानसभा चुनावों में अपने दम पर भगवा पार्टी का मुकाबला करने का सामर्थ्य नहीं रखती है।
तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ सांसद सौगत रॉय ने पत्रकारों से कहा, ‘‘अगर वाम मोर्चा और कांग्रेस वास्तव में भाजपा के खिलाफ हैं तो उन्हें भगवा दल की सांप्रदायिक एवं विभाजनकारी राजनीति के खिलाफ लड़ाई में ममता बनर्जी का साथ देना चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी ही ‘‘भाजपा के खिलाफ धर्मनिरपेक्ष राजनीति का असली चेहरा’’ हैं।’’
मुख्यमंत्री ने यहां एक रैली में कहा कि दूसरे दलों में जाने वालों को लेकर उन्हें कोई चिंता नहीं क्योंकि जब तृणमूल कांग्रेस बनी थी, तब उनमें से कोई नहीं था। उनका इशारा अधिकारी समेत उन पार्टी नेताओं की ओर था जो भाजपा में शामिल हो गये हैं। उन्होंने कहा कि इन नेताओं ने पिछले कुछ सालों के दौरान ‘अपने द्वारा लुटे गये’ धन को बचाने के लिए पार्टी (तृणमूल कांग्रेस) छोड़ी।
नंदीग्राम से विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार अभियान की शुरुआत की
बनर्जी ने कहा, ‘‘ मैंने हमेशा से नंदीग्राम से विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार अभियान की शुरुआत की है। यह मेरे लिए भाग्यशाली स्थान है। इस बार, मुझे लगा कि यहां से विधानसभा चुनाव लड़ना चाहिए। मैं प्रदेश पार्टी अध्यक्ष सुब्रत बख्शी से इस सीट से मेरा नाम मंजूर करने का अनुरोध करूंगी।’’ मंच पर मौजूद बख्शी ने तुरंत अनुरोध स्वीकार कर लिया। राज्य में 2000 के दशक में पूर्बा मेदिनीपुर के नंदीग्राम में भूमि अधिग्रहण को लेकर चले आंदोलन के चलते ही बनर्जी, 2011 में सत्ता में पहुंची थीं और 34 साल से जारी वाम शासन पर पूर्ण विराम लगा था।
हालांकि पाला बदलकर भाजपा का हाथ मिला चुके अधिकारी आरोप लगा रहे हैं कि जिस क्षेत्र ने बनर्जी को सत्ता के शिखर पर पहुंचाने में मदद पहुंचायी, उस क्षेत्र के लोगों की उन्होंने भुला दिया। बनर्जी फिलहाल दक्षिण कोलकाता के भवानीपुर से विधायक हैं। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘ यदि संभव हुआ तो मैं भवानीपुर और नंदीग्राम दोनों जगहों से चुनाव लडूंगी। यदि मैं भवानीपुर से चुनाव नहीं लड़ पायी तो कोई और वहां से चुनाव लड़ेगा।’’ उन्होंने कहा कि वह ‘कुछ लोगों ’ को बंगाल को भाजपा के हाथों नहीं बेचने देंगी।
‘‘जो पार्टी से चले गये, उन्हें मेरी शुभकामनाएं हैं। उन्हें देश का राष्ट्रपति एवं उपराष्ट्रपति बनने दीजिए। लेकिन आप बंगाल को भाजपा के हाथों बेचने का दुस्साहस नहीं करें। जब तक मैं जिंदा हूं, मैं उन्हें अपने राज्य को भाजपा के हाथों नहीं बिकने दूंगी।’’ राज्य में अप्रैल-मई में विधानसभा चुनाव होने हैं।