टाटा से मिले भाजपा को 356 करोड़ का चंदा, BJP सांसद स्वामी ने सवाल उठाए, कहा- कुछ तो है
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: November 13, 2019 02:01 PM2019-11-13T14:01:28+5:302019-11-13T14:01:28+5:30
भाजपा द्वारा निर्वाचन आयोग को 31 अक्टूबर को दी गई जानकारी के अनुसार पार्टी को वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान चेक और ऑनलाइन भुगतान के दौरान कुल 800 करोड़ रुपये से अधिक का चंदा मिला।
भाजपा को 2018-19 के दौरान टाटा समूह के योगदान वाले एक चुनावी ट्रस्ट से 356 करोड़ रुपये का चंदा मिला। सत्तारूढ़ दल ने यह जानकारी निर्वाचन आयोग में जमा किए गए दस्तावेजों में दी है।
भाजपा द्वारा निर्वाचन आयोग को 31 अक्टूबर को दी गई जानकारी के अनुसार पार्टी को वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान चेक और ऑनलाइन भुगतान के दौरान कुल 800 करोड़ रुपये से अधिक का चंदा मिला। इसमें से लगभग आधा चंदा-356 करोड़ रुपये-टाटा समूह के योगदान वाले ‘प्रोग्रेसिव इलेक्टोरल ट्रस्ट’ से मिला।
इसके बाद भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने भाजपा पर तीखे आरोप लगाए हैं। स्वामी ने चंदे को लेकर भाजपा को घेरा है। उन्होंने बेहग तीखा ट्वीट किया। सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्वीट कर लिखा है कि टाटा ने भाजपा को भारी राशि चंदे में दी है। अगर सरकार एअर इंडिया की कमान टाटा को सौंपती है तो यहां कॉन्फ्लिक्ट ऑफ इंट्रेस्ट होगा।
So Tata donates an hefty amount to BJP. Thus it would be a conflict of interest to had over Air India to him
— Subramanian Swamy (@Swamy39) November 13, 2019
दस्तावेजों के अनुसार भारत के सबसे धनी ट्रस्ट- ‘द प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट’ ने पार्टी को 54.25 करोड़ रुपये का चंदा दिया। इस ट्रस्ट को भारती ग्रुप, हीरो मोटोकोर्प, जुबिलैंट फूडवर्क्स, ओरियंट सीमेंट, डीएलएफ, जेके टायर्स जैसे कॉरपोरेट घरानों का समर्थन प्राप्त है। उपलब्ध कराई गई सूचना 20 हजार रुपये या इससे अधिक के चंदे से जुड़ी है जिसका भुगतान चेक के जरिए या ऑनलाइन किया गया।
चुनावी बांड के रूप में प्राप्त चंदा इसमें शामिल नहीं है। दस्तावेज में कहा गया कि भाजपा को व्यक्तियों, कंपनियों और चुनावी ट्रस्टों की ओर से चंदा मिला। चुनाव संहिता के अनुसार राजनीतिक दलों के लिए वित्त वर्ष के दौरान मिलने वाले समूचे चंदे का खुलासा करना आवश्यक है। वर्तमान में राजनीतिक दलों के लिए ऐसे लोगों और संगठनों के नामों का खुलासा करने की अनिवार्यता नहीं है जो 20 हजार रुपये से कम का चंदा देते हैं या फिर जो लोग चुनावी बांड के रूप में चंदा देते हैं।