संजय राउत ने साधा पीएम नरेंद्र मोदी पर निशाना, कहा- अगर सरकार चाहती तो रोक सकती थी हिंसा
By अमित कुमार | Published: January 26, 2021 07:19 PM2021-01-26T19:19:05+5:302021-01-26T19:22:35+5:30
ट्रैक्टर रैली के दौरान भड़की हिंसा पर विपक्षी दल लगातार बीजेपी को निशाने पर ले रही है। अब इस मामले में शिवसेना नेता संजय राउत ने अपनी बात रखी है।
नये कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली में किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा पर लगातार राजनेताओं की प्रक्रिया सामने आ रही है। अब शिवसेना के नेता संजय राउत ने भाजपा सरकार को इस हिंसा का दोषी बताया है। संजय राउत ने नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार किसानों की बात आखिर कब सुनेगी। यह किस तरह का लोकतंत्र है?
अपनी बात को आगे जारी रखते हुए राउत ने कहा कि क्या सरकार इसी दिन का बेसब्री से इंतजार कर रही थी? ये लोकतंत्र नहीं भाई..कुछ और ही चल रहा है। जय हिंद" उन्होंने एक अन्य ट्वीट करते हुए कहा कि अगर सरकार चाहती तो आज की हिंसा रोक सकती थी। दिल्ली में जो चल रहा है उसका समर्थन कोई नहीं कर सकता। कोई भी हो लाल किले और तिरंगे का अपमान सहन नहीं करेंगे, लेकिन माहौल क्यूं बिगाड़ गया?
वहीं इस मामले पर पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कहा कि किसानों के शांतिपूर्ण प्रदर्शन से जो साख बनी थी उसे इस हिंसा से नुकसान होगा। सिंह ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘दिल्ली में चौंकाने वाली घटनाएं। कुछ तत्वों द्वारा की जा रही हिंसा अस्वीकार्य है। किसानों के शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन से जो साख बनी थी इससे उसे नुकसान पहुंचेगा। किसान नेताओं ने इन घटनाओं से खुद को अलग कर लिया है और ट्रैक्टर रैली को निलंबित कर दिया है। मैं सभी वास्तविक किसानों से दिल्ली खाली करने और सीमाओं पर लौटने का आग्रह करता हूं।’’
लाठी-डंडे, राष्ट्रीय ध्वज एवं किसान यूनियनों के झंडे लिये हजारों किसान मंगलवार को गणतंत्र दिवस के दिन ट्रैक्टरों पर सवार हो बैरियरों को तोड़ते व पुलिस से भिड़ते हुए लालकिले की घेराबंदी के लिए विभिन्न सीमा बिंदुओें से राष्ट्रीय राजधानी में दाखिल हुए। पंजाब के मुख्यमंत्री ने सोमवार को किसानों से यह सुनिश्चित करने की अपील की थी कि ट्रैक्टर परेड शांतिपूर्ण रहे। तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने और अपनी फसल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर किसान कई सप्ताह से दिल्ली के कई सीमा बिंदुओं पर डेरा डाले हुए हैं। इनमें अधिकतर किसान पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हैं।