Rafale aircraft: राजनीतिक रस्साकशी पर विराम, दोषारोपण से लेकर राफेल के भारतीय धरती पर उतरने तक का सफर

By भाषा | Published: July 29, 2020 08:04 PM2020-07-29T20:04:52+5:302020-07-29T20:04:52+5:30

हरियाणा में राफेल विमानों का पहला बैच अंबाला पहुंचा। पीएम ने बधाई दी। राजनाथ सिंह ने कहा कि दुश्मन चेत जाए। कांग्रेस ने कहा कि सरकार को हिसाब देनी होगी।

Rafale aircraft break political war accusation journey Indian soil congress bjp pm modi | Rafale aircraft: राजनीतिक रस्साकशी पर विराम, दोषारोपण से लेकर राफेल के भारतीय धरती पर उतरने तक का सफर

राहुल गांधी के आरोप मतदाताओं को अपनी ओर नहीं खींच सके और भाजपा नीत राजग अधिक बड़े जनादेश के साथ केंद्र में वापस आया। (photo-ani)

Highlightsराष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूती प्रदान करने वाला बताया था तो वहीं कांग्रेस ने इसमें भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था।उच्चतम न्यायालय की ओर से क्लीन चिट दिये जाने के बाद इसकी खरीद में अवरोध समाप्त हो गया था। मामले में अदालत की निगरानी में जांच की मांग करने वाली जनहित याचिकाओं को दिसंबर 2018 में खारिज कर दिया।

नई दिल्लीः भारतीय धरती पर बुधवार को पांच राफेल लड़ाकू विमानों के उतरने के साथ ही इस मुद्दे पर सालों से चल रही राजनीतिक रस्साकशी पर विराम लग गया।

सत्तारूढ़ भाजपा ने जहां इस सौदे को राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूती प्रदान करने वाला बताया था तो वहीं कांग्रेस ने इसमें भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था। हालांकि सौदे को उच्चतम न्यायालय की ओर से क्लीन चिट दिये जाने के बाद इसकी खरीद में अवरोध समाप्त हो गया था।

अंबाला वायु सेना केंद्र में बुधवार को लड़ाकू विमानों के पहुंचने पर भाजपा के कई नेता उत्साहित दिखे लेकिन राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप की लंबी लड़ाई के बाद यह दिन आया है। सौदे के आलोचकों ने इसे शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी और वहां हार गये थे।

जांच की मांग करने वाली जनहित याचिकाओं को दिसंबर 2018 में खारिज कर दिया

उच्चतम न्यायालय ने 59 हजार करोड़ रुपये में 36 लड़ाकू विमानों की खरीद के मामले में अदालत की निगरानी में जांच की मांग करने वाली जनहित याचिकाओं को दिसंबर 2018 में खारिज कर दिया और कहा था कि उसे इसमें कुछ गलत नजर नहीं आया। हालांकि इसके बाद भी राजनीतिक दोषारोपण का दौर जारी रहा।

तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में, राफेल सौदे में रिश्वत के आरोप लगाये थे और इसे चुनावी मुद्दा बनाया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भाजपा ने विपक्ष पर भ्रष्टाचार के बेबुनियाद आरोप लगाकर देशहित से समझौता करने का इल्जाम लगाया और कहा कि फ्रांसीसी विमान भारतीय वायु सेना की क्षमताओं को कई गुना बढ़ाएंगे।

अधिकतर राजनीतिक जानकारों का मानना है कि राहुल गांधी के आरोप मतदाताओं को अपनी ओर नहीं खींच सके और भाजपा नीत राजग अधिक बड़े जनादेश के साथ केंद्र में वापस आया। चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री के खिलाफ राहुल गांधी के ‘चौकीदार चोर है’ जैसे नारे चुनाव में कांग्रेस की पराजय के साथ उसके लिए प्रतिकूल साबित हुए।

राफेल लड़ाकू विमान खरीदने के लिए 23 सितंबर, 2016 को 59 हजार करोड़ रुपये का सौदा किया था

राजग सरकार ने फ्रांसीसी कंपनी दसॉल्ट एविएशन से 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने के लिए 23 सितंबर, 2016 को 59 हजार करोड़ रुपये का सौदा किया था। इससे पहले भारतीय वायु सेना के लिए 126 मध्यम बहुभूमिका वाले लड़ाकू विमान खरीदने की करीब सात साल की कवायद कांग्रेस नीत संप्रग सरकार में सफल नहीं हुई थी।

कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने मोदी सरकार पर प्रक्रिया की अनदेखी करने का आरोप लगाया। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि विमानों की जो कीमत संप्रग सरकार के समय तय की गयी थी, उससे बहुत अधिक दाम चुकाये जा रहे हैं। तत्कालीन रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने संसद में कांग्रेस के प्रदर्शनों के बीच कहा था कि वास्तव में मोदी सरकार ने जो सौदा किया है, वह संप्रग के समय किये गये करार से 20 फीसद सस्ता है।

हालांकि सरकार ने सौदे की कीमत का ब्योरा देने से इनकार करते हुए कहा कि विमान की सुरक्षा विशेषताओं को सार्वजनिक करना राष्ट्रीय हितों के साथ समझौता होगा। पिछले साल फरवरी में कैग की एक रिपोर्ट में भी व्यापक तौर पर सरकार के रुख का समर्थन करते हुए कहा गया था कि संप्रग सरकार के समय विमान की जिस कीमत पर चर्चा हुई थी, राजग ने उससे 2.86 प्रतिशत सस्ती दर पर सौदा किया है।

इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने 14 दिसंबर, 2018 को सौदे की जांच की याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि राफेल की खरीद में निर्णय लेने की प्रक्रिया पर संदेह करने की कोई गुंजाइश नहीं है। अदालत ने पिछले साल नवंबर में अपने फैसले पर पुनर्विचार की याचिकाओं को खारिज करते हुए सौदे को लेकर चल रहे राजनीतिक विवाद पर विराम लगा दिया था। 

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