नरसिम्हा राव बाबरी मस्जिद गिराने से पहले ही राम मंदिर निर्माण कराना चाहते थे, पूर्व मंत्री ने किया खुलासा

By शीलेष शर्मा | Published: August 1, 2020 05:13 PM2020-08-01T17:13:03+5:302020-08-01T17:13:03+5:30

खुलासा नरसिम्हा राव सरकार में उनके अत्यंत निकट रहे केंद्रीय मंत्री ने किया। उनके अनुसार नरसिम्हा राव ने राम मंदिर निर्माण के लिए पूरी कार्ययोजना तैयार कर ली थी लेकिन इस योजना को उस समय झटका लगा जब विभिन्न मठों के शंकराचार्यों और पीठाधीशों के बीच मतभेद पैदा हो गए। 

Narasimha Rao wanted to build Ram temple before demolishing Babri Masjid former minister revealed | नरसिम्हा राव बाबरी मस्जिद गिराने से पहले ही राम मंदिर निर्माण कराना चाहते थे, पूर्व मंत्री ने किया खुलासा

खुलासा नहीं किया गया कि मस्जिद का निर्माण कहाँ होगा,लेकिन राव मंदिर से अलग हट कर मस्जिद का निर्माण कराना चाहते थे।  (file photo)

Highlightsशंकराचार्य  के अलावा कांचीपीठ, द्वारकापीठ और पूरी के शंकराचार्यों को शामिल करने की बात थी, जिसके लिए तत्कालीन नरसिम्हा राव के सलाहकार पीवी आरके प्रसाद को ज़िम्मेदारी दी गयी।इस बीच मुस्लिम समुदाय के विभिन्न धर्म गुरुओं से तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव से मुलाक़ात कराई।राव ने इस योजना में पूरी गोपनीयता बरतते हुए भाजपा नेता अटल बिहारी वाजपेयी को पूरी तरह विश्वास में लिया था। 

नई दिल्लीः दिसंबर 6 ,1992 में बाबरी मस्जिद के गिराने से पहले ही तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव अयोध्या में राम मंदिर निर्माण कराना चाहते थे। 

यह खुलासा नरसिम्हा राव सरकार में उनके अत्यंत निकट रहे केंद्रीय मंत्री ने किया। उनके अनुसार नरसिम्हा राव ने राम मंदिर निर्माण के लिए पूरी कार्ययोजना तैयार कर ली थी लेकिन इस योजना को उस समय झटका लगा जब विभिन्न मठों के शंकराचार्यों और पीठाधीशों के बीच मतभेद पैदा हो गए। 

नरसिम्हा राव चाहते थे कि मंदिर निर्माण का काम गैर राजनीतिक ढंग से किया जाए और उसके लिए एक अलग से शंकराचार्यों और दूसरे मठों के धर्म गुरुओं को एक जुट कर एक ट्रस्ट का गठन हो, जो मंदिर निर्माण का काम करे। इस ट्रस्ट में श्रंगेरी के शंकराचार्य  के अलावा कांचीपीठ, द्वारकापीठ और पूरी के शंकराचार्यों को शामिल करने की बात थी, जिसके लिए तत्कालीन नरसिम्हा राव के सलाहकार पीवी आरके प्रसाद को ज़िम्मेदारी दी गयी।

राव की दैनिक पूजा पाठ का काम देखने वाले गुरुजी एन के शर्मा का कहना था कि उन्होंने इस बीच मुस्लिम समुदाय के विभिन्न धर्म गुरुओं से तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव से मुलाक़ात कराई और उनको आश्वासन दिया गया कि सरकार उनकी भावनाओं का ध्यान रखते हुए मस्जिद निर्माण के लिए भी तैयार है। 

हालाँकि यह खुलासा नहीं किया गया कि मस्जिद का निर्माण कहाँ होगा,लेकिन राव मंदिर से अलग हट कर मस्जिद का निर्माण कराना चाहते थे। राव ने इस योजना में पूरी गोपनीयता बरतते हुए भाजपा नेता अटल बिहारी वाजपेयी को पूरी तरह विश्वास में लिया था। 

इसके अलावा उत्तर प्रदेश और बिहार के  दो प्रशासनिक अधिकारियों को उत्तर भारत में विभिन्न मठों के पीठाधीशों को एक जुट करने की ज़िम्मेदारी सौंपी गयी थी।  चूँकि पीवी आरके प्रसाद नोडल अधिकारी के तौर पर इस काम में लगे थे अतः उन्ही के सुझाव पर तत्कालीन मध्य प्रदेश के मुख्य मंत्री दिग्विजय सिंह को उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश के मठाधीशों को ट्रस्ट में शामिल कराने का काम दिया गया। 

राव नहीं चाहते थे कि विश्व हिन्दू परिषद जो ट्रस्ट के गठन का विरोध कर रही थी और भाजपा जिस तरह चुनावी मुद्दा बनाना चाहती थी उसे राव कामयाब नहीं होने देना चाहते थे।  नरसिम्हा राव की इस योजना में चंद्रा स्वामी की महत्वपूर्ण भूमिका लगातार बनी रही। वे हिन्दू धर्म गुरुओं के बीच तालमेल बैठाने का काम कर रहे थे। 

इस बीच मतभेदों को दूर करने की एक और कोशिश की गयी लेकिन श्रंगेरी पीठ के शंकराचार्य भारती तीर्थ जो उस समय दिल्ली में ही  चातुर्मास कर रहे थे ने एकादशी व्रत होने के कारण उन्होंने  मौन धारण किया हुआ था अतः हिन्दू धर्म गुरुओं के बीच उठे मतभेद को समाप्त नहीं किया जा सका।

नतीजा नरसिम्हा राव की पूरी कार्य योजना उनके चाहने के बावजूद कामयाब नहीं हो सकी जिससे निराश हो कर उन्होंने मंदिर निर्माण के काम में बहुत अधिक रूचि लेना बंद कर दिया तथा मामला अदालत पर छोड़ दिया।  

Web Title: Narasimha Rao wanted to build Ram temple before demolishing Babri Masjid former minister revealed

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