मध्य प्रदेश: 22 बागी विधायकों को आज विधानसभा अध्यक्ष के सामने होना होगा पेश, बताना होगा- किसके दबाव में दिया इस्तीफा
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: March 13, 2020 09:09 IST2020-03-13T09:09:06+5:302020-03-13T09:09:06+5:30
ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी में शामिल होते ही मध्य प्रदेश सरकार पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं । दोनों पार्टियों ने अपने-अपने विधायकों को राज्य की राजधानी से दूर भेज दिया है। सिंधिया के नजदीकी 22 विधायकों के इस्तीफों से मध्य प्रदेश में सत्ताधारी कांग्रेस गिरने की कगार पर पहुंच गई है।

मध्य प्रदेश के 22 विधायक (फाइल फोटो)
भोपाल:मध्य प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष ने कांग्रेस के 22 बागी विधायकों को आज (13 मार्च) उनके समक्ष पेश होने का नोटिस जारी किया था। विधानसभा अध्यक्ष एन पी प्रजापति ने 22 बागी विधायकों को नोटिस जारी करते हुए यह स्पष्ट करने को कहा है कि क्या उन्होंने स्वेच्छा से इस्तीफा दिया है अथवा किसी के दबाव में यह कदम उठाया है? विधानसभा अध्यक्ष एन पी प्रजापति ने यह कदम तब उठाया जब राज्य के मंत्री जीतू पटवारी को कर्नाटक के बेंगलुरु में एक रिजॉर्ट में जाने से पुलिस ने कथित तौर पर रोका और उन्हें हिरासत में ले लिया। माना जा रहा है कि 22 में से 19 विधायक इसी रिजॉर्ट में ठहरे हैं। जिन 22 विधायकों को नोटिस जारी किया गया है उन्हें वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य माधराव सिंधिया का समर्थक माना जा रहा है। सिंधिया ने 10 मार्च को कांग्रेस से इस्तीफा दिया और 11 मार्च को भाजपा (BJP) में शामिल हुए हैं।
सोशल मीडिया पर जीतू पटवारी और सुरक्षाकर्मियों के भिड़ते हुए वीडियो वायरल
पुलिस सूत्रों ने बताया कि मंत्री और उनके समर्थकों को थोड़ी देर के लिए हिरासत में लिया गया था। सोशल मीडिया में एक वीडियो भी जारी हुआ जिसमें पटवारी सुरक्षाकर्मियों से कथित तौर पर भिड़ते हुए दिखाई दे रहे हैं। सूत्रों ने बताया कि पटवारी विधायकों को मनाने के लिए यहां आए थे। इस बीच कांग्रेस ने आरोप लगाया कि मध्य प्रदेश के उसके दो मंत्रियों को पुलिस ने बेंगलुरु में गिरफ्तार किया है। कांग्रेस के विधि प्रकोष्ठ के प्रमुख एवं राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा ने संवाददाता सम्मेलन में आरोप लगाया कि मध्य प्रदेश के दो मंत्री जीतू पटवारी एवं लाखन सिंह प्रदेश के हाट पिपलिया विधासभा सीट के कांग्रेस विधायक मनोज चौधरी के पिताजी नारायाण चौधरी के साथ अपने विधायकों की तलाश में बेंगलुरू गये थे। उन्होंने आरोप लगाया कि बेंगलुरू पुलिस ने उनके दो मंत्रियों के साथ मारपीट की।
BJP का दावा- 16 मार्च को विधानसभा में शक्ति परीक्षण कराने की मांग करेगी
बहरहाल बड़ी संख्या में विधायकों के इस्तीफे से मध्य प्रदेश सरकार पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। इस बीच भाजपा ने कहा है कि वह 16 मार्च को विधानसभा में शक्ति परीक्षण कराने की मांग करेगी। इस पर कांग्रेस का कहना है कि 22 विधायकों के इस्तीफे पर निर्णय होने के बाद मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार शक्ति परीक्षण का सामना करने के लिए तैयार है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने अचरज जताया कि ये विधायक विधानसभा अध्यक्ष से खुद मिलकर उन्हें अपना इस्तीफा क्यों नहीं सौंप रहे हैं? विधानसभा में भाजपा के मुख्य सचेतक नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि चूंकि सरकार अल्पमत में आ गई है इसलिए हम राज्यपाल से शक्ति परीक्षण कराने की मांग करेंगे। भाजपा की इस मांग के बारे में पूछे जाने पर दिग्विजय सिंह ने कहा, ‘‘जैसा कि कमलनाथ (मुख्यमंत्री) पहले ही कह चुके हैं कि हम शक्ति परीक्षण के लिए तैयार हैं, लेकिन शक्ति परीक्षण के पहले विधायकों के इस्तीफे पर निर्णय होना चाहिए।’’ भाजपा पर कांग्रेस विधायकों को कब्जे में रखने का आरोप लगाते हुए सिंह ने कहा, ‘‘यह प्रजातांत्रिक व्यवस्था के खिलाफ है। वह उन्हें छोड़ें। अगर स्पीकर साहब (विधानसभा अध्यक्ष) के सामने वे अपना पक्ष खुद रखते हैं, उसके बाद जो भी निर्णय होगा, उसे हम स्वीकार करेंगें।’’
मध्य प्रदेश का मौजूदा गणित समझिए
कांग्रेस के बागी विधायकों के त्यागपत्र से पहले प्रदेश कांग्रेस 114 विधायकों की संख्या के साथ कमजोर बहुमत पर खड़ी थी। राज्य में फिलहाल विधानसभा की कुल 228 सीटें हैं। कांग्रेस सरकार को चार निर्दलीय, बसपा के दो और सपा के एक विधायक का भी समर्थन हासिल है। प्रदेश विधानसभा में भाजपा विधायकों की संख्या 107 है।