बिहार चुनाव में मिले झटकों के बाद जेडीयू में मंथन, बदले गए 41 जिलों के अध्यक्ष, दिग्गजों को मिली जिम्मेदारी
By एस पी सिन्हा | Published: January 27, 2021 06:11 PM2021-01-27T18:11:17+5:302021-01-27T18:11:17+5:30
जेडीयू ने बिहार चुनाव में मिले सबक के बाद पार्टी में बड़े स्तर पर बदलाव की तैयारी कर ली है. पार्टी में लगातार मंथन जारी है. इस बीच कई जिलों के अध्यक्षों को बदल दिया गया है.
पटना: बिहार विधानसभा चुनाव में लगे झटके के बाद चेते नीतीश कुमार ने अपनी पार्टी के तकरीबन सभी जिलाध्यक्षों को बदल दिया है. पिछले विधानसभा चुनाव में उम्मीदों के अनुसार प्रदर्शन न कर पाने को लेकर जदयू में लगातार मंथन और समीक्षाओं का दौर जारी है.
इसके साथ ही संगठन को मजबूती देने के लिए कई बदलावों की शुरुआत भी कर दी गई है. पार्टी ने 41 जिलों के अध्यक्षों को एक साथ बदल दिया है. चुनाव हारने वाले मंत्री-विधायकों के साथ-साथ हेवीवेट माने जाने वाले नेताओं को अब जिलाध्यक्ष की जिम्मेवारी सौंपी गई है.
संतोष निराला समेत कई नेताओं को जिम्मेदारी
जदयू ने पूर्व मंत्री संतोष निराला, पूर्व विधायक राहुल शर्मा जैसे कई नेताओं को जिलाध्यक्ष बनाया है. प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा की ओर से जारी जिलाध्यक्षों की सूची में ऐसे कई नाम हैं जो पिछला चुनाव हार गये थे. पार्टी ने सांसद से लेकर मंत्री-विधायक रह चुके नेताओं को जिलाध्यक्ष बनाकर मैदान में उतारा है.
कुछ अपवादों को छोड़ बाकी सभी पुराने जिलाध्यक्षों को बदल दिया गया है. अभी हाल में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद छोड़कर आरसीपी सिंह को कमान सौंप दी थी.
प्रदेश अध्यक्ष अध्यक्ष बशिष्ठ नारायण सिंह ने भी सेहत का हवाला देते हुए पद छोड़ दिया था. उनकी जगह उमेश कुशवाहा को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है. सूत्रों का कहना है कि बहुत जल्द पार्टी में कई अन्य स्तरों पर बदलाव देखने को मिल सकता है.
जेडीयू ने अपने मुखपत्र को अब 6 भाषाओं में छापेगी
इस बीच अपनी पैठ बढाने के लिए जदयू अपने मुखपत्र 'जदयू संधान' का प्रकाशन दो से बढाकर छह भाषाओं में करने की योजना बनाई है. इसके संकेत आरसीपी ने दिए हैं. जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह ने कहा कि जिस पार्टी में विचारों की धार होगी, वही आगे चलेगी.
उन्होंने कहा कि 'जदयू संधान' का उद्देश्य पार्टी के विचारों को जन-जन तक पहुंचाना है. धार अगर पार्टी में है तो जीवंत रहेगी. जो दल जनकल्याण के लिए समर्पित है, वह आगे भी चलता रहेगा.
जदयू संधान का प्रकाशन फिलहाल हिंदी व अंग्रेजी में हो रहा है. आरसीपी ने बताया कि शीघ्र ही इसका उर्दू संस्करण भी आएगा. उन्होंने कहा कि इस पत्रिका को भविष्य में मैथिली, भोजपुरी तथा अंगिका में भी निकाला जाएगा. हर संस्करण के लिए बुद्धिजीवी प्रकोष्ठ के पदाधिकारियों को संपादन के लिए जिम्मेदारी दी गई है.
पत्रिका के लिए सामग्री जुटाने का काम भी पार्टी नेता ही करते हैं. जदयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा ने कहा कि जदयू संधान लोगों से जुडने और उन तक पार्टी का संदेश पहुंचाने का बड़ा माध्यम साबित होगा.