जयंत पाटिल इंटरव्यू: उप मुख्यमंत्री पद को लेकर NCP में कोई विवाद नहीं, मेरे-अजित पवार के बीच प्रतिस्पर्धा नहीं हो सकती

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: December 16, 2019 08:31 AM2019-12-16T08:31:18+5:302019-12-16T08:33:47+5:30

एनसीपी के वरिष्ठ नेता जयंत पाटिल ने कहा, कठिन स्थिति में प्रदेशाध्यक्ष के रूप में शरद पवार का साथ देना, मेरी नैतिक जिम्मेदारी थी.

Jayant Patil Interview: There is no dispute in NCP regarding Deputy Chief Minister post, Mere-Ajit Pawar cannot compete | जयंत पाटिल इंटरव्यू: उप मुख्यमंत्री पद को लेकर NCP में कोई विवाद नहीं, मेरे-अजित पवार के बीच प्रतिस्पर्धा नहीं हो सकती

एनसीपी के अंदरूनी राजनीतिक संकट में जयंत पाटिल ने बेहद अहम भूमिका निभाई.

Highlights उपमुख्यमंत्री पद को लेकर हमारी पार्टी में कोई विवाद नहीं है-जयंत पाटिलजयंत पाटिल ने बताया, हमारी एक-दूसरे से कोई प्रतिस्पर्धा नहीं हो सकती

अतुल कुलकर्णी.

महाराष्ट्र में शिवसेना-कांग्रेस-एनसीपी सरकार के गठन के बावजूद के अब तक उप मुख्यमंत्री पद को लेकर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी फैसला नहीं कर पाई है। इस मसले पर राज्य के वित्त व नियोजन, जलसंपदा मंत्री जयंत पाटिल ने कहा, एनसीपी के सभी 54 विधायक अजित पवार के साथ हैं. अजित ने कभी भी पार्टी अध्यक्ष शरद पवार के नेतृत्व को चुनौती देने की कोशिश नहीं की. उपमुख्यमंत्री पद को लेकर हमारी पार्टी में कोई विवाद नहीं है.

महाविकास आघाड़ी सरकार में मंत्री के रूप में पदभार संभालने के बाद जयंत पाटिल ने 'लोकमत समाचार' के कार्यालय का दौरा किया. इस दौरान उन्होंने अजित पवार द्वारा की गई बगावत, उसके बाद शिवसेना के साथ गठित हुई सरकार, मंत्रालयों के बंटवारे में विलंब और मंत्रिमंडल के विस्तार में देरी पर विस्तृत रूप से चर्चा की.

प्रश्न : चर्चा है कि आपके और अजित पवार के बीच उपमुख्यमंत्री पद को लेकर विवाद है. क्या यह सच है?

उत्तर: हमारे बीच कोई विवाद नहीं है. हमारी अंडरस्टैंडिंग अच्छी है. हमारी एक-दूसरे से कोई प्रतिस्पर्धा नहीं हो सकती. हमारे दोनों के मन में क्या है, इसकी अपेक्षा शरद पवार के मन क्या है, इसका पार्टी में ज्यादा महत्व है. इसलिए जो वह तय करेंगे वही होगा.

प्रश्न : शरद पवार ने बयान दिया था कि अजित पवार विधायकों, कार्यकर्ताओं की मदद के लिए दौड़ते हैं और हमेशा उपलब्ध रहते हैं. इसलिए हर किसी को लगता है कि उनको नेतृत्व करना चाहिए. उनके इस बयान का क्या अर्थ निकाला जाना चाहिए?

उत्तर- उनकी इस प्रतिक्रिया को मैं अच्छे अर्थों में लेता हूं. क्योंकि शरद पवार ने उनका यथोचित वर्णन किया है. यही सही वर्णन है. इसलिए यदि एक बार शरद पवार ने निर्णय ले लिया तो उनके खिलाफ मैं भी नहीं जाता और अजित पवार भी.

प्रश्न: शरद पवार ने यह भी कहा था कि अत्यंत कठिन परिस्थितियों के समय भी जयंत पाटिल मजबूती से पार्टी के साथ खड़े रहे. इसका आप क्या मतलब निकालते हैं?

उत्तर- पार्टी संकट में थी. ऐसा लग रहा था कि हमारे 15 से 20 विधायक ही आएंगे. शरद पवार ने कड़ी मेहनत की. हमारे 54 विधायक चुनकर आए. उसके बाद भी पार्टी पर संकट आया. ऐसी कठिन स्थिति में प्रदेशाध्यक्ष के रूप में उनका साथ देना, मेरी नैतिक जिम्मेदारी थी. अनेक लोगों के समर्थन से मैंने यह जिम्मेदारी बखूबी निभाई. इसलिए मेरे बारे में उन्होंने अपनी राय जाहिर की.

प्रश्न : देवेंद्र फड़नवीस ने दावा किया है कि शरद पवार से चर्चा करने के बाद ही अजित पवार ने बगावत की और भाजपा के साथ जाने का निर्णय लिया था. क्या ऐसा सच में हुआ था?

उत्तर- फड़नवीस ने अजित पवार को साथ लेकर सुबह 7 बजे शपथ ली, इसी में सब निहित है. भाजपा के पास 105 विधायक थे. शिवाजी पार्क को छोड़ दीजिए, लेकिन राजभवन में शाम 6 बजे सभी लोगों को बुलाकर शपथ ली होती तो महाराष्ट्र को पता चलता कि उन्होंने क्या किया? परंतु ऐसा नहीं करने से फड़नवीस की छवि खराब हुई. जिन्होंने अजित पवार पर आरोप लगाए उन्होंने ही उनको साथ लेकर सरकार बनाई. इसलिए उन पर लगे सारे आरोप अपने आप खारिज हो गए. फड़नवीस ने शपथ लेते समय क्या-क्या गलतियां कीं, इसकी फेहरिस्त बहुत लंबी है.

प्रश्न : आप कहते हैं कि अजित पवार और शरद पवार एक ही हैं. इसलिए इस आक्षेप को बल मिलता है कि उनका भाजपा के साथ जाने का निर्णय, पहले से तय था?

उत्तर- मुुझे नहीं लगता कि इसको बल मिलता है. इस चर्चा का कोई मतलब नहीं है. वह एक दुर्घटना थी. मैंने जब अजित पवार से बातचीत की तब वे अडिग थे. उसके बाद शरद पवार ने उनसे बात की और उन्होंने अपना रुख बदल लिया. इसलिए जो कुछ हुआ वह गलत था, पर अब सब कुछ ठीक हो गया है. यह हमारे लिए सबसे बड़ी खुशी की बात है.

प्रश्न : अजित पवार ने इस्तीफा दे दिया था. आप लगातार उनके संपर्क में थे. वे वापस पार्टी में आए. उस समय उनसे मिलकर आपने कहा क्या था? किस तरीके से आपने, दिलीप वलसे पाटिल और सुनील तटकरे ने इस संकट को सुलझाया...?

उत्तर- जो घटना हुई वह दुर्भाग्यपूर्ण थी. हम सभी लोग शरद पवार के साथ खड़े थे. जब अजित पवार का इस्तीफा आया उस समय सबसे पहले मैंने अकेले ही उनसे मुलाकात की. उसके बाद हम लोगों ने उनसे कई मर्तबा मुलाकात की. उनको शरद पवार की भूमिका समझाई. वह उन्होंने समझी और वे वापस आ गए.

प्रश्न : ऐसा क्या कहा आपने, जो वे समझ गए और वापस आ गए?

उत्तर- हम दोनों ने एक-दूसरे से क्या कहा, इसके बारे में आप उन्हीं की जुबानी सुनें तो अच्छा होगा. मेरे और उनके बीच हुई चर्चा निजी थी. मैं उसको बता दूं, यह उचित नहीं होगा. लेकिन, जो कुछ हुआ उससे पार्टी के सभी लोगों को पेरशानी हुई. संकट आया, पर हमारी पार्टी इससे और निखर कर सामने आई.

प्रश्न : अजित पवार के इस तरह नाराज हो जाने की यह पहली घटना नहीं है, इसके पूर्व भी कई बार ऐसा हो चुका है. उनके साथ ऐसा क्या हो जाता है?

उत्तर- कोई बात पसंद नहीं आई, तो ऐसा हो जाता है. एक बार तो वे मंत्री पद से इस्तीफा देकर निकल गए थे. उन्होंने यशवंतराव चव्हाण की समाधि पर जाकर प्रायश्चित भी किया.

Web Title: Jayant Patil Interview: There is no dispute in NCP regarding Deputy Chief Minister post, Mere-Ajit Pawar cannot compete

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