कांग्रेस छोड़ चुके पुराने साथियों को एकजुट करेगा हुड्डा खेमा, पूर्व सीएम ने सांसद बेटे दीपेंद्र को दी जिम्मेदारी

By बलवंत तक्षक | Published: January 5, 2021 01:05 PM2021-01-05T13:05:07+5:302021-01-05T13:06:36+5:30

हरियाणा में कांग्रेस के 31 विधायक हैं. इनमें 27 विधायक हुड्डा समर्थक हैं, जबकि चार अलग-अलग गुट के हैं. पिछले विधानसभा चुनावों में 12 ऐसे लोगों को टिकट दिए गए थे, जो हुड्डा की पसंद नहीं थे.

haryana congress Former CM Bhupendra Singh Hooda old colleagues unite responsibility to MP son Deepender | कांग्रेस छोड़ चुके पुराने साथियों को एकजुट करेगा हुड्डा खेमा, पूर्व सीएम ने सांसद बेटे दीपेंद्र को दी जिम्मेदारी

पूर्व मंत्री निर्मल सिंह की आस्था बड़े हुड्डा में और उनकी बेटी चित्रा सरवारा की आस्था दीपेंद्र में है. (file photo)

Highlightsहुड्डा पिता-पुत्र ने अपनी गतिविधियों को गति देने की रणनीति तैयार कर ली है. कुछ विधायक बन गए तो कुछ चुनाव हार कर दूसरे नंबर पर रह गए. तमाम नेताओं और टिकट के दावेदारों को वापस कांग्रेस, खास कर अपने साथ जोड़ने की योजना है.

चंडीगढ़ः नए साल में विभिन्न कारणों से पार्टी छोड़ चुके पुराने साथियों को हुड्डा खेमा एकजुट करेगा. पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने यह जिम्मेदारी अपने सांसद बेटे दीपेंद्र सिंह हुड्डा को सौंपी है.

दीपेंद्र ने काम भी शुरू कर दिया है. इस रणनीति के तहत आगे बढ़ने के लिए हुड्डा खेमे ने हरियाणा को तीन हिस्सों में बांटा है. उत्तर हरियाणा की राजनीतिक गतिविधियों को चंडीगढ़ से अंजाम दिया जाएगा, जबकि मध्य हरियाणा की गतिविधियां रोहतक से चलेंगी. दक्षिण हरियाणा में पड़ने वाले जिलों और उनके नेताओं को दिल्ली में बैठ कर साधा जाएगा.

इस दौरान हुड्डा पिता-पुत्र नए साल में प्रदेश का दौरा शुरू करने वाले हैं. किसान आंदोलन के दौरान राज्य में जो राजनीतिक हालात बने हैं, उसके मद्देनजर हुड्डा पिता-पुत्र ने अपनी गतिविधियों को गति देने की रणनीति तैयार कर ली है. इस समय राज्य में कांग्रेस के 31 विधायक हैं. इनमें 27 विधायक हुड्डा समर्थक हैं, जबकि चार विधायकों की अलग-अलग आस्थाएं हैं. वे कभी हुड्डा तो कभी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सैलजा के साथ नजर आते हैं. पिछले विधानसभा चुनावों में 12 ऐसे लोगों को टिकट दिए गए थे, जो हुड्डा की पसंद नहीं थे.

टिकट से वंचित रहे कई कांग्रेसी दूसरे दलों में चले गए

टिकट से वंचित रहे कई कांग्रेसी दूसरे दलों में चले गए. इनमें से कुछ विधायक बन गए तो कुछ चुनाव हार कर दूसरे नंबर पर रह गए. हुड्डा की कोशिश ऐसे तमाम नेताओं और टिकट के दावेदारों को वापस कांग्रेस, खास कर अपने साथ जोड़ने की योजना है.

स्थानीय निकाय चुनावों में पूर्व केंद्रीय मंत्री विनोद शर्मा की पत्नी शक्तिरानी शर्मा अंबाला से मेयर का चुनाव जीत गई हैं. ऐसे में अब उनकी घर वापसी के लिए माहौल बनाया जा रहा है. विनोद शर्मा हुड्डा सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं. पूर्व मंत्री निर्मल सिंह की आस्था बड़े हुड्डा में और उनकी बेटी चित्रा सरवारा की आस्था दीपेंद्र में है. लिहाजा उनसे भी बातचीत की जा रही है.

हुड्डा खेमे को पता है कि आने वाले दिनों में प्रदेश संगठन में बदलाव होना

हुड्डा खेमे को पता है कि आने वाले दिनों में प्रदेश संगठन में बदलाव होना है. मौजूदा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी सैलजा की हाईकमान में मजबूत पकड़ है. लिहाजा उन्हें केंद्र में कोई बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है. ऐसे में प्रदेश अध्यक्ष के पद पर हुड्डा खेमा अपनी गोटी फिट करने की जुगत में है.

शहरी निकाय चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवारों की हार की समीक्षा पर मंथन करने की मांग इसी मकसद से की जा रही है. पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा ने अपने बेटे दीपेंद्र को उन विधायकों व उम्मीदवारों से भी लगातार संपर्क साधने को कहा है, जिन्हें वे वर्ष 2019 के विधानसभा चुनावों में टिकट दिलाने में कामयाब नहीं हो सके थे. ऐसे तमाम नेताओं से दीपेंद्र संपर्क साध रहे हैं. ऐसे में हुड्डा खेमे की कोशिश आने वाले चुनावों तक अपनी टीम को मजबूत करने की है.

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