'न्यायपालिका में RSS विचारधारा के लोगों को भरने की कोशिश कर रही है मोदी सरकार'

By भाषा | Updated: March 30, 2018 22:20 IST2018-03-30T22:20:53+5:302018-03-30T22:20:53+5:30

कांग्रेस नेता ने कहा कि दूसरी संस्था न्यायपालिका है, जिस पर सरकार लगातार प्रहार कर रही है। उन्होंने (न्यायमूर्ति) चेलमेश्वरजी द्वारा प्रधान न्यायाधीश को लिखे एक पत्र का हवाला भी दिया। 

government is trying to fill the RSS ideology in the judiciary says kapil sibal | 'न्यायपालिका में RSS विचारधारा के लोगों को भरने की कोशिश कर रही है मोदी सरकार'

'न्यायपालिका में RSS विचारधारा के लोगों को भरने की कोशिश कर रही है मोदी सरकार'

नई दिल्ली, 30 मार्चः कांग्रेस ने केन्द्र की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार पर लोकतंत्र की विभिन्न संस्थाओं पर आक्रमण करने का आरोप लगाते हुए शुक्रवाक को दावा किया कि वह न्यायपालिका में आरएसएस की विचारधारा वाले लोगों को भरने की कोशिश कर रही है। कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने संवाददाताओं से बातचीत करते हुए आरोप लगाया कि इन्होंने (भाजपा सरकार ने) शिक्षा की संस्थाओं में तो आरएसएस के प्रचारक भर दिए, अब ये कोशिश कर रहे हैं कि न्यायपालिका में भी आरएसएस प्रचारक या उनकी मानसिक सोच के लोग भर दिये जाएं। 

उन्होंने कहा कि हमें यह मंजूर नहीं है और हम इसका विरोध करेंगे तथा जरूरत पड़ी तो इस बात को न्यायपालिका में भी उठायेंगे। मुझे ऐसा लगता है कि जब पूरे देश में अंधेरा हो जाए तो चौकीदार भी सो जाता है।

उन्होंने आरोप लगाया कि इस सरकार ने हर संस्था पर आक्रमण किया है। प्रधानमंत्री जब शुरू में आये तो उन्होंने संसद में माथा टेका और कहा कि वह कभी इसकी मर्यादा का उल्लंघन नहीं करेंगे। अब रोज उसकी मर्यादा का उल्लंघन हो रहा है। आप तो अविश्वास प्रस्ताव के नोटिस पर भी बहस नहीं होने देते। हर विधेयक जिस पर राज्यसभा में चर्चा होनी चाहिए, उसे सरकार धन विधेयक बताकर राज्यसभा में चर्चा ही नहीं होने देती। ताकि विपक्ष मतदान न कर सके।

उन्होंने प्रधानमंत्री से प्रश्न किया कि जब आप संसद में सवाल ही नहीं लेते हैं तो आपने मत्था क्यों टेका? संसद के बाद सरकार की दृष्टि मीडिया और न्यायपालिका पर है। यही दो संस्था हैं जो लोकतंत्र की रक्षा कर सकती हैं। 

कांग्रेस नेता ने कहा कि दूसरी संस्था न्यायपालिका है, जिस पर सरकार लगातार प्रहार कर रही है। उन्होंने (न्यायमूर्ति) चेलमेश्वरजी द्वारा प्रधान न्यायाधीश को लिखे एक पत्र का हवाला भी दिया। 

सिब्बल ने कहा कि न्यायपालिका के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ कि केन्द्र सरकार ने कर्नाटक के मुख्य न्यायाधीश को सीधे पत्र लिखा और उनसे एक न्यायाधीश के बारे में जांच कराने को कहा। यह पत्र एक न्यायाधीश के बारे में शिकायत को लेकर था । इसी न्यायाधीश के बारे में कालेजियम ने दो बार सिफारिश की है।

उन्होंने कहा कि न्यायमूर्ति चेलमेश्वर ने इसी मामले का उल्लेख करते हुए कहा कि ऐसा पहले कभी नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि यदि केन्द्र सरकार और न्यायपालिका में तालमेल हो गया तो लोकतंत्र का बचाव नहीं हो सकता।  सिब्बल ने कहा कि यदि सरकार अपने हाथ में न्यायपालिका और मीडिया ले ले तथा उनमें हस्तक्षेप करने लगे तो फिर बच क्या जाएगा? 

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