गोडसे समर्थक बाबूलाल चौरसिया को कांग्रेस की सदस्यता दिलाए जाने पर निशाने पर आये कमलनाथ
By शिवअनुराग पटैरया | Published: February 27, 2021 06:44 PM2021-02-27T18:44:29+5:302021-02-27T18:45:51+5:30
बीते बुधवार को बाबूलाल चौरसिया को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के द्बारा कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कराई गई थी।
भोपाल, 27 फरवरी। गोडसे समर्थक हिन्दू महासभा के नेता बाबूलाल चौरसिया को कांग्रेस की सदस्यता दिलाए जाने पर कांग्रेस की गुटबाजी खुलकर सामने आ गई है। बाबूलाल चौरसिया के कांग्रेस में प्रवेश का सबसे पहले पूर्व केन्द्रीय मंत्री और पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव ने सबसे पहले विरोध किया था।
इसके बाद कांग्रेस के दूसरे कई नेता इस विरोध में जुड़ गए। इसी बीच प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ और उनके समर्थक डैमेज कंट्रोल में जुट गए हैं। इसी के तहत बाबूलाल चौरसिया ने कहा कि इस बीच आज चौरसिया का बयान सामने आया कि मैं जन्मजात कांग्रेसी हूं और प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए अरुण यादव ने मेरा टिकट काटा था, लिहाजा मुझे हिंदू महासभा से चुनाव लड़ना पड़ा।
बाबूलाल चौरसिया के कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण करने के बाद से ही कांग्रेस के भीतर से स्वर उठाने लगे सबसे पहले अरुण यादव ने इसका विरोध किया। उन्होंने संवाददाताओं से बातचीत करते हुए कहा कि कमलनाथ सरकार में ही बाबूलाल चौरसिया पर गोडसे का मंदिर बनाने और पूजा करने पर प्रकरण कायम किया गया था।
आज गोडसे की पूजा करने वाले के कांग्रेस में प्रवेश पर सब खामोश क्यों हैं। इसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह ने कहा कि गोडसे उपासको के लिए कांग्रेस नहीं सेन्ट्रल जेल उपयुक्त है। इसी तरह पूर्व मंत्री सुभाष सोजतिया ने कहा कि ऐसे शख्स को कांग्रेस पार्टी से तुरन्त निकाला जाना चाहिए। इसके साथ ही पूर्व सांसद मीनाक्षी नटराजन और प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री वीरसिंह राघुवंशी ने भी बाबूलाल चौरसिया के कांग्रेस मे प्रवेश पर नाराजगी जताई।
आज इस मुहिम में कांग्रेस के कद्दावर नेता मानक अग्रवाल भी जुड़ गए उन्होंने कमलनाथ पर सीधा हमला करते हुए कहा कि उन्हें यह बताना चाहिए कि किन स्थितियों में बाबूलाल चौरसिया को कांग्रेस की सदस्यता दिलाई गई। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष को यह साफ करना चाहिए की वह गोडसे की विचारधारा साथ हैं या गांधी की विचारधरा के साथ हैं। अग्रवाल ने आरोप लगाया कि कमलनाथ सदैव से ही पार्टी के विचारधारा के विपरीत कार्य करते रहे हैं।