अंदर की खबर लीकः इन 11 प्रदेशों के विधानसभा चुनाव 2019 लोकसभा चुनाव के साथ कराएगी BJP!
By जनार्दन पाण्डेय | Published: August 15, 2018 02:32 PM2018-08-15T14:32:46+5:302018-08-15T14:32:46+5:30
यह अचानक नहीं हुआ है। बीजेपी लंबे समय से यह तैयारी कर रही थी। यह एक बड़ा चुनावी दांव है।
नई दिल्ली, 15 अगस्तः ट्विटर पर दो दिनों से टॉप ट्रेंड में #OneNationOnePoll ट्रेड चल रहा है। यह यूं ही नहीं है। पहले बीजेपी नेताओं की एक टीम लॉ कमीशन से मिलती है। वह देशभर में एक चुनाव कराने की संस्तुति देती है। फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मीडिया में इंटरव्यू देते हैं और विधानसभा चुनावों को लोकसभा चुनावों के साथ कराने के चलते होने वाले फायदों को गिनाते हैं। इसके बाद भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह चुनाव विधि आयोग को चिट्ठी लिखकर एक साथ चुनाव कराने की मांग करते हैं। फिर पूरे देश में यह चर्चा छिड़ जाती है कि एक साथ चुनाव के कितने फायदे हैं। लोग का सीधा रिएक्शन ट्विटर दिखता है। लोग दो फड़ों में बंट जाते हैं। ऐसे लोगों की संख्या ज्यादा नजर आती है जो एक साथ चुनाव के पक्षधर हैं।
खलबली मचती है। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के बिहार के सहयोगी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) प्रमुख नीतीश कुमार खुद सामने आते हैं और कहते हैं कि यह संभव नहीं है। मुख्य चुनाव आयुक्त ओम प्रकश रावत खुद सामने आते हैं। उन्होंने मंगलवार को 'एक देश, एक चुनाव' अपना बयान दिया। उन्होंने कहा 'अभी हमारे देश में यह संभव नहीं है। इसके लिए पहले कानून में संसोधन करना होगा इसके बाद ही यह संभव हो सकता है।
लोकमत न्यूज ने करीब 10 दिन पहले इस ओर ध्यान खींचा था कि अगर इस साल विधानसभा होने हैं तो अब तक अधिसूचना को लेकर कोई खलबली क्यों नहीं। क्या कुछ तब्दीली सोची जा रही है। लेकिन अब यह बात खुलकर सामने आ गई है। पहले इतनी बात सामने आ रही थी कि बीजेपी 11 राज्यों के चुनाव एक साथ कराना चाहती है। लेकिन अब यह भी सामने आ रहा है कि वे कौन से राज्य हैं जिनमें बीजेपी एक साथ चुनाव कराना चाहती है। इतना ही नहीं पार्टी कुछ विधानसभाओं की सरकारों का कार्यकाल घटाने और कुछ राज्यों में राष्ट्रपति शासन लगाने की भी तैयारी है।
दअरसल, मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ विधानसभाओं का कार्यकाल अगले साल जनवरी तक समाप्त हो जाएगा। जबकि हरियाणा, झारखंड और महाराष्ट्र अगले साल की दूसरी छमाही में। वहीं कांग्रेस शासित मिजोरम का कार्यकाल भी अगले साल दिसंबर तक खत्म हो रहा है। एबीपी न्यूज की एक रिपोर्ट के मुताबिक अगले साल आंध्र प्रदेश, तेलंगना, ओडिशा, हरियाणा, झारखंड, महाराष्ट्र बिहार और जम्मू कश्मीर के चुनाव अगले साल लोकसभा के साथ कराने की तैयारी है।
हाल ही में इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित खबर के लिए चुनाव आयोग अभी इतने चुनावों के लिए तैयार नहीं है। इसके पीछे कोई दूसरी वजह नहीं है। बल्कि वजह ये हैं कि इलेक्शन कमीशन ने हाल ही में 17.4 लाख अतिरिक्त वोटर मतदाता सत्यापन योग्य पेपर (वीवीपीएटी), 13.95 लाख बैलट पेपर मंगाए हैं। फिर भी यह महज लोकसभा चुनावों व पांच राज्यों आंध्र प्रदेश, तेलंगना, ओडिशा, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश के विधानसभा चुनावों के लिए ही नाकाफी है।
हाल ही एक में एक अन्य अंग्रेजी अखबार को दिए इंटरव्यू में मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा था कि इसते बड़े स्तर चुनाव कराने में ईवीएम और वीवीपीएटी की कमी हो जाएगी। सभी पार्टियों को एक साथ बैठकर इस मुद्दे पर बात करनी चाहिए। इसके बाद मुद्दे को लेकर विधि आयोग के पास जाना चाहिए।
ऐसा कहा जा रहा है कि अगर 11 राज्यों के चुनाव एक साथ होता है तो इसमें बीजेपी को बड़ा फायदा होगा। क्योंकि जनता उस तरफ करवट लेगी, जो उसे चुनाव के वक्त अधिक प्रभावी और जीतता हुआ दिखाई देगी।