आदर्श घोटाले पर भी कांग्रेस को बड़ी राहत, पूर्व CM अशोक चव्हाण के खिलाफ दायर की गई याचिका रद्द
By स्वाति सिंह | Published: December 22, 2017 01:24 PM2017-12-22T13:24:08+5:302017-12-22T14:05:45+5:30
आदर्श घोटाले में भ्रष्टाचार के आरोप की वजह से ही चव्हाण को मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा था।
आदर्श हाउसिंग सोसायटी घोटाला मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस नेता अशोक चव्हाण के खिलाफ दायर याचिका खारिज कर दिया है। पिछले साल मामले में राज्यपाल सी विद्यासागर राव ने सीबीआई को एक याचिका के आधार पर चव्हाण पर केस चलाने की मंजूरी दी थी। अशोक ने राज्यपाल के इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। इस पर सुनवाई करते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।
इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए चव्हाण ने कहा कि राज्यपाल का आदेश पूरी तरह राजनीति से प्रेरित और पक्षपातपूर्ण था। चव्हाण ने मामले में खुद को निर्दोष बताया।
महाराष्ट्र के गवर्नर सी विद्यासागर राव ने फरवरी 2016 में भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के प्रावधानों के अलावा आपराधिक साजिश और धोखाधड़ी से संबंधित आईपीसी के विभिन्न वर्गों के तहत कांग्रेस नेता पर मुकदमा चलाने की मंजूरी दी थी। बाद में चव्हाण ने राव के आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी।
क्या है आदर्श सोसायटी घोटाला
आदर्श हाउसिंग सोसायटी घोटाला फरवरी 2002 में सामने आया। मुम्बई के पॉश इलाके कोलाबा में एक 31 मंजिला इमारत बनवाई गई थी। यह कारगिल युद्ध के रिटायर सेनानियों और कर्मियों को आवंटित किया जाना था। सासायटी में 102 फ्लैट बनाए गए। योजना के स्तर पर तब इसमें एक फ्लैट को बनाने की कीमत 85 लाख के आसपास आंकी गई थी। लेकिन एक याचिका के मुताबिक सरकार ने पर फ्लैट 10 करोड़ रुपयों में बनवाए।
आरोप था कि आदर्श सोसायटी घोटाला में महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण समेत कई बड़े राजनेता, नौकरशाह, सेना के अधिकारी आदि ने मिलकर नियमों का उल्लंघन किया। याचिका के मुताबिक इन लोगों ने कम दामों पर फ्लैट अपने नाम रजिस्टर कराए। बाद में मामले पर काफी बहसें हुईं। आखिरकार चव्हाण को अपने मुख्यमंत्री पद से हाथ धोना पड़ा।
बाद में सीबीआई रिपोर्ट में 16 बड़े नेताओं की संलिप्तता बताई गई। इसमें पूर्व मुख्यमंत्रियों विलासराव देशमुख, सुशील कुमार शिंदे और अशोक चव्हाण, पूर्व राजस्व मंत्री शिवाजीराव पाटिल, पूर्व शहरी विकास मंत्री सुनील तटकरे और पूर्व शहरी विकास मंत्री राजेश टोपे जैसे नाम शामिल थे। हालांकि अशोक चव्हाण ऐसे अकेले ही व्यक्ति थे जिन्हें सीबीआई ने घोटाले में आरोपी बनाया था।
आदर्श घोटाले में भ्रष्टाचार के आरोप की वजह से ही चव्हाण को मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा था।