AAP को छोड़ दिए या बहुत बेआबरू होकर केजरीवाल के कूचे से निकाले गए ये 4 दिग्गज नेता
By जनार्दन पाण्डेय | Published: August 15, 2018 12:26 PM2018-08-15T12:26:46+5:302018-08-15T12:26:46+5:30
आशुतोष ने आम आदमी पार्टी छोड़ दी है।
नई दिल्ली, 15 अगस्तःआम आदमी पार्टी का उदय नई राजनीति, आम आदमी की राजनीति करने को लेकर हुआ था। इसका आधार बना था साल 2012 का अन्ना आंदोलन। उस वक्त जो लोग अन्ना आंदोलन के कर्ताधर्ता थे, उन्हीं ने एक पार्टी का गठन किया। कुछ लोगों ने पार्टी बनते वक्त ही खुद आंदोलन से अलग कर लिया, जैसे- किरण बेदी, वीके सिंह सरीखे नेता। खुद अन्ना ने पार्टी से खुद को अलग रखा। लेकिन कुछ लोगों ने आगे बढ़कर पार्टी की नीव रखी।
इनमें योगेंद्र यादव, प्रशांत भूषण, कुमार विश्वास सरीखे लोग शामिल हैं। लेकिन इन संस्थापक सदस्यों ने या तो खुद को पार्टी से अलग कर लिया है, या फिर लगातार पार्टी मुखिया केजरीवाल पर हमला कर रहे है। दिल्ली की 70 सीटों में से ऐतिहासिक प्रदर्शन करते हुए 67 सीटें जीतने वाली आम आदमी पार्टी में मतभेदों की अगली कड़ी में शामिल हुए हैं, अपने चरम पर पत्रकारिता छोड़कर राजनीति का रुख करने वाले मशहूर न्यूज एंकर रहे आशुतोष।
उन्होंने पार्टी से अपने सारे रिश्ते तोड़ लिए हैं। जबकि वह पार्टी प्रवक्ता थे। उन्होंने पार्टी की टिकट पर चांदनी चौक की सीट पर लोकसभा चुनाव 2014 का चुनाव लड़ा था। यहां तक कि उनके नाम को राज्यसभा भेजे जाने को लेकर भी काफी चर्चाएं हुई थीं। लेकिन अब उन्होंने खुद को पार्टी से अलग होते हुए बस इतना कहा कि यह यात्रा अच्छी रही। बहरहाल आशुतोष इस सिरीज के चौथे नेता हैं, इससे पहले योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण ने पार्टी छोड़ी थी तब काफी किरकिरी हुई थी। जबकि आप नेता रहे कपिल मिश्रा ने तो पार्टी खिलाफ अभियान ही छेड़ रखा है।
इसके अलावा कभी अरविंद केजरीवाल को अपना बड़ा भाई मानने वाले कविता के रास्ते राजनीति में आए कुमार विश्वास इस वक्त के सबसे ज्यादा अंसंतोष व्यक्त करने वाले आप नेता हैं। उन्होंने राज्यसभा टिकट ना मिलने के बाद से खुलकर पार्टी के भीतर चल रही खामियों पर खुलकर विरोध करना शुरू किया। उन्होंने कांग्रेस से आए नेता को राज्यसभा भेजे का पुरजोर विरोध किया।
पार्टी पर अब अपने मूल उद्देश्यों को छोड़कर अन्य राजनैतिक दलों की तरह राजनीति करने के आरोप हैं। इसे अलावा पार्टी में लोकतंत्र ना होने, एक ही शख्स या एक खास तरह की सोच रखने वालों की ही सुनी जाने और बाकियों की अनसुनी करने के आरोप हैं।