तस्वीरें: ये हैं रामचरितमानस के रचयिता संत तुलसीदास के 10 प्रसिद्ध दोहे

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: August 7, 2019 06:44 AM2019-08-07T06:44:27+5:302019-08-07T06:44:27+5:30

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रामचरितमानस के रचयिता संत तुलसीदास की आज जयंती है। इसे हर साल सावन महीने से शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाई जाती है। 16वीं शताब्दी में जन्में तुलसीदास के बारे में ऐसी मान्यता है कि कलयुग में उन्हें भगवान हनुमान सहित श्रीराम और लक्ष्मण ने दर्शन दिये थे। कई लोग तुलसीदास को महर्षि वाल्मिकी के पुनर्जन्म के रूप में देखते हैं।

दया धर्म का मूल है, पाप मूल अभिमान तुलसी दया न छोडिये, जब तक घट में प्राण

तुलसी मीठे बचन ते, सुख उपजत चहुँ ओर बसीकरन इक मंत्र है, परिहरू बचन कठोर

सचिव बैद गुरु तीनि जौं, प्रिय बोलहिं भय आस राज धर्म तन तीनि, कर होइ बेगिहीं नास

तुलसी साथी विपत्ति, के विद्या विनय विवेक साहस सुकृति सुसत्यव्रत, राम भरोसे एक

तुलसी भरोसे राम के, निर्भय हो के सोए अनहोनी होनी नही, होनी हो सो होए

नामु राम को कलपतरु, कलि कल्यान निवासु जो सिमरत भयो भाँग, ते तुलसी तुलसीदास

तुलसी नर का क्या बड़ा, समय बड़ा बलवान भीलां लूटी गोपियाँ, वही अर्जुन वही बाण

सरनागत कहुँ जे तजहिं, निज अनहित अनुमानि ते नर पावँर पापमय, तिन्हहि बिलोकति हानि

आवत ही हरषै, नहीं नैनन नहीं सनेह तुलसी तहां न जाइये, कंचन बरसे मेह

काम क्रोध मद लोभ की, जौ लौं मन में खान तौ लौं पण्डित मूरखौं, तुलसी एक समान