Sawan Somwar 2023: भगवान श्री महाकालेश्वर की दूसरी सवारी, श्रद्धालुओं ने जय श्री महाकाल का उद्घोष किया, देखें तस्वीरें

By बृजेश परमार | Published: July 17, 2023 08:03 PM2023-07-17T20:03:18+5:302023-07-17T20:07:36+5:30

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श्रावण के दूसरे सोमवार पर भगवान श्री महाकालेश्वर की दूसरी सवारी मंदिर से निकाली गई। रजत पालकी सामने आते ही श्रद्धालुओं ने जय श्री महाकाल का उद्घोष किया। इस दौरान श्रद्धालुओं ने पालकी में भगवान के चंद्रमौलेश्वर एवं श्यामू हाथी पर मनमहेश स्वरूप के दर्शन किए।

पुरातन मान्यता अनुसार भगवान श्री महाकालेश्वर भक्तों को दर्शन देने और अपनी प्रजा का कुशल-मंगल जानने नगर भ्रमण पर निकले। सोमवार को तीन संयोग सोमवती-हरयाली अमावस्या एवं सावन सोमवार  में भगवान श्री महाकालेश्वर की दुसरी सवारी निकाली गई। सवारी के निकलने के पूर्व सभामंडप में पूजन-अर्चन मुख्य पुजारी पं. घनश्याम शर्मा द्वारा संपन्न् कराया गया।

सर्व प्रथम भगवान श्री महाकालेश्वर भगवान का षोडशोपचार से पूजन-अर्चन किया गया। इसके पश्चात भगवान की आरती की गई।सवारी के निकलने के पूर्व श्री महाकालेश्वर मंदिर परिसर के सभामंडप में खुजराहो सांसद एवं प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वी.डी. शर्मा,  महापौर मुकेश टटवाल सहित मंदिर प्रबंध समिति सदस्य एवं प्रशासनिक अधिकारी आदि ने भगवान श्री महाकालेश्वर का पूजन -अर्चन किया और आरती में सम्मिलित हुए। इस दौरान शहर के अन्य वरिष्ठ नागरिक एवं मार्ग में श्रद्धालुओं ने जय श्री महाकाल के घोष के साथ रजत पालकी पर पुष्प वर्षा की।

भगवान श्री चंद्रमौलेश्वर पालकी में सवार होकर  और मनमहेश स्वरूप में हाथी पर सवार होकर अपनी प्रजा का हाल जानने  और भक्तों  को दर्शन देने के लिए नगर भ्रमण पर निकले।

पालकी जैसे ही श्री महाकालेश्वर मंदिर के मुख्य् द्वार पर पहुंची सशस्त्र पुलिस बल के जवानों द्वारा पालकी में सवार श्री चन्द्रमोलेश्वर को सलामी (गार्ड ऑफ ऑनर) दी गई।

सवारी मार्ग में स्थान-स्थान पर खडे श्रद्धालुओं ने जय श्री महाकाल के घोष के साथ उज्जैन नगरी के राजा भगवान श्री महाकालेश्वर पर पुष्पवर्षा की।

परंपरागत मार्ग से होती हुई सवारी शिप्रा तट राणोजी की छत्री के सामने रामघाट पर पहुंची यहां भगवान के चंद्रमौलेश्वर स्वरूप का शिप्रा जल से अभिषेक किया कर पूजन अर्चन किया गया।

सामने दत्त अखाड़ा घाट से शैव संप्रदाय के सबसे पुरातन पंच दशनाम जूना अखाड़ा की और से भी भगवान की आरती की गई। यहां से सवारी ढ़ाबा रोड गोपालमंदिर होते हुए परंपरागत मार्ग से मंदिर पहुंची।