Ramadan 2019: भारत में रमजान का महीना कल से शुरू, दोस्तों को ये खास मैसेज, शायरी भेजकर दें मुबारकबाद

By उस्मान | Published: May 6, 2019 11:51 AM2019-05-06T11:51:18+5:302019-05-06T11:51:18+5:30

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रमजान उल मुबारक का चांद 5 मई को नहीं दिखा। देश के किसी कोने से चांद देखे जाने की कोई सूचना नहीं मिली। जिसकी वजह से 7 मई 2019 को रमजान का पहला रोजा रखा जाएगा।

सहरी का वक्त सुबह 4 बजे से 5 बजे के बीच का हो सकता है। सहरी और इफ्तार का समय सूर्योदय और सूर्यास्त पर निर्भर होता है।

इस्लाम धर्म को मामने वालों के लिए रमजान पाक महीना होता है। इस पूरे महीने मुस्लिम समुदाय के लोग रोजा रखते हैं यानी उपवास करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस पवित्र महीने रोजा रखने, नमाज और कुरआन पढ़ने, दुआ करने, जकात देने आदि से अल्लाह ताला रोजेदारों की तमाम गुनाह माफ कर देते हैं।

सभी शहरों में सहरी और इफ्तारी का समय अलग-अलग हो सकता है। सहरी और इफ्तार का समय सूर्योदय और सूर्यास्त पर निर्भर है, और वे हर दिन बदलते हैं।

माना जाता है कि इन माह में जन्नत के दरवाज खुल जाते है। इस माह में की गई इबादतों का सबाब अन्य माह से दोगुना मिलता है। इस माह का इंतजार बहुत ही शिद्दत के साथ लोगों को होता है।

इस दौरान मुस्लिम समुदाय के सभी स्वस्थ लोग रोजे रखकर अल्लाह की इबादत में लग जाएंगे। सुबह सूरज निकलने से पहले सहरी यानी सुबह खाना खाकर पूरे दिन भूखे-प्यासे रहकर नमाज और कुरआन पढ़ेंगे और शाम का सूरज ढलने के बाद इफ्तारी से रोजा खोलेंगे।

कुरान के अनुसार, अल्लाह ने अपने दूत के रूप में पैगम्बर साहब को चुना तथा रमजान के दौरान ही उनको कुरान के बारे में पता चला था। रमजान के आखिरी 10 दिनों का सबसे ज्यादा महत्व होता हैं क्योंकि इन्हीं दिनों में कुरान पूरी हुई थी।

रमजान के महीने को तीन हिस्सों में बांटा गया है। पहला हिस्सा 1 से 10 रोजे तक होता है, जिसमें बताया गया है कि यह रहमतों (कृपा) का दौर होता है। वहीं दूसरे दस दिन मगफिरत (माफी) का और आखिरी हिस्सा जहन्नुम (नर्क) की आग से बचाने का करार दिया गया है।

माना जाता है कि रमजान के पाक महीने में जन्नत के दरवाजे खोल दिए जाते हैं। इस माह में किए गए अच्छे कर्मों का फल कई गुना ज्यादा बढ़ जाता है। खुदा अपने बंदों के अच्छे कामों पर नजर रखता है, उनसे खुश होता है।

कहते हैं कि रमजान के पाक महीने में नर्क के दवाजे बंद कर दिये जाते हैं। माहे रमजान में नफिल नमाजों का सवाब फर्ज के बराबर माना जाता है। पाक रमजान महीने में फर्ज नमाजों का सवाब 70 गुणा बढ़ जाता है।