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Basant Panchami Upay: बसंत पंचमी पर मां सरस्वती को कैसे करें प्रसन्न?, पढ़ें सरस्वती वंदना का पाठ, धन-दौलत में होगी वृद्धि

By संदीप दाहिमा | Updated: February 14, 2024 12:55 IST

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Saraswati Puja 2024 Puja Vidhi, Mantra, Timings: बसंत पंचमी का पर्व हर साल माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता हैं। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन मां सरस्वती कमल पर विराजमान होकर हाथ में वीणा लेकर और पुस्तक धारण करके प्रकट हुई थीं, यही कारण है कि बसंत पंचमी के दिन वीणा वादिनी की आराधना होती है। मां को इस दिन पीले रंग के वस्त्र, पीले पुष्प, गुलाल, अक्षत, धूप, दीप, गंध आदि अर्पित किए जाते हैं। बसंत पंचमी के दिन मां को प्रसन्न करने के लिए सरस्वती वंदना और सरस्वती मंत्रों का जाप अवश्य करें। आइए जानें।
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विद्यार्थीजन इस दिन माता शारदा को उनके प्रिय भोग अर्पित करके आप करियर या शिक्षा प्रतियोगिता में सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
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हिन्दू धर्म में मां सरस्वती को ज्ञान, सुर, संगीत, कला,बुद्धि और वाणी की देवी माना जाता है। मान्यता है कि मां सरस्वती ने ही इस सृष्टि को वाणी प्रदान की थी। उनसे ही ज्ञान का प्रकाश सभी मनुष्यों को प्राप्त हुआ है। आइए बसंत पंचमी के अवसर पर जानते हैं मां सरस्वती की उत्पत्ति कैसे हुई। क्या हैं इनके अवतरण की कथा।
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पौराणिक कथाओं के मुताबिक, भगवान ब्रह्मा जी ने जब संसार को बनाया तो पेड़-पौधों और जीव जन्तु सब कुछ दिख रहा था। इसके बावजूद वे अपने सृजन से बहुत खुश नहीं थे। उन्हें कुछ कमी महसूस हो रही थी। इसके बाद उन्होंने अपने कमंडल से जल निकालकर छिड़का तो सुंदर स्त्री के रूप में एक देवी प्रकट हुईं। जिनके एक हाथ में वीणा और दूसरा हाथ आशीर्वाद देने के मुद्रा में था।
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वहीं, अन्य दोनों हाथों में पुस्तक और माला थी। मान्यताओं के अनुसार इन सुंदर देवी ने जब वीणा का मधुर नाद किया तो संसार के सभी जीव-जंतुओं को वाणी प्राप्त हुई।
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इससे ब्रह्माजी अति प्रसन्न हुए और उन्होंने सरस्वती को वीणा की देवी के नाम से संबोधित करते हुए वागेश्वरी नाम दिया। हाथों में वीणा होने के कारण उनका एक नाम वीणापाणि भी पड़ा। मां सरस्वती को शारदा, शतरूपा, वाणी, वाग्देवी, वागेश्वरी और भारती भी कहा जाता है। वैसे माता सरस्वती के जन्म को लेकर 'सरस्वती पुराण' और 'मत्सय पुराण' में भी अलग-अलग उल्लेख मिलते हैं।
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