Muharram 2019: मुहर्रम पर इन 10 कोट्स के जरिए करें इमाम हुसैन की शहादत को याद

By ललित कुमार | Published: September 10, 2019 08:25 AM2019-09-10T08:25:57+5:302019-09-10T08:25:57+5:30

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फिर आज हक के लिए, फिर आज हक के लिए जान फिदा करे कोई वफा भी झूम उठे यूं, वफा करे कोई, नमाज 1400 सालों से इंतजार में है, हुसैन की तरह मुझ को अदा करे कोई

आंखों को कोई ख्वाब, आंखों को कोई ख्वाब तो दिखाई दे, तसबरा में इमाम का जलवा दिखाई दे, ऐ इब्न-ए-मुर्तज़ा तेरे सामने सूरज भी एक छोटा सा जर्रा दिखाई दे

जन्नत की आरजू में कहां जा रहे हैं लोग, जन्नत तो करबाला में खरीदी हुसैन ने, दुनिया-ओ-आंखिरत में जो रहना हो चैन से जीना अलि से सीखो मरना हुसैन से

कर्बला वालों का गम करबला वालों का गम घर घर में मनाया जाएगा मक्सद-ए-शबीर आलम को बताया जाएगा याद कर के जो ना रोया करबला वालों की प्यास कब्र से तिश्ना वो मेहशर में उठाया जाएगा

एक दिन बड़े ग़रूर एक दिन बड़े ग़रूर से कहने लगी जमीन आया मेरे नसीब में परचम हुसैन का, फिर चांद ने कहा मेरे सीने के दाग देख होता है आसमान पे भी मातम हुसैन का

सजदे से कर्बाला को बंदगी मिल गई सबर से उम्मत को जिंदगी मिल गई, एक चमन फतीमा का उजड़ा मगर सारे इस्लाम को जिंदगी मिल गई

तेरे दिल में कैसी गिरह पड़ी तेरे दिल में कैसी गिरह पड़ी तुझे उससे इतना हसद है क्यों, जो नबी की आंख का नूर है, जो अलि की रूह का चैन है, कभी देख अपने खामीर में, कभी पूछ अपने जमीर से, वो जो मिट गया वो यजीद था, जो ना मिट सका वो हुसैन था

यूं ही नहीं चर्चा हुसैन का, कुछ देख के हुआ था जमाना हुसैन का सर दे के दो जहां की हुकूमत खरीद ली महंगा पड़ा यजीद को सौदा हुसैन का

करीब अल्लाह के आओ तो कोई बात बने, इमान फिर से जगाओ तो कोई बात बने, लहू जो बह गया कर्बाला में, उसके मकसद को समझो तो कोई बात बने

जरूरत थी तलवार की ना और किसी हथियार की सिर्फ एक दुआ थी कर्बाला में आलमदार की फ़कत मिल जाए इज्जत अका हुसैन से तो याद दिला दूंगा जंग हैदर-ए-करार की