नियामकीय में होंगे बदलाव, मार्च 2019 तक बंद हो सकते हैं आधे एटीएम
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: December 8, 2018 10:35 AM2018-12-08T10:35:42+5:302018-12-08T10:35:42+5:30
उद्योग के अनुसार उद्योग के लिये स्थिति से पार पाने का एकमात्र रास्ता यह है कि बैंक आगे आये और मानकों के अनुपालन की लागत का वहन करे।
नियामकीय बदलावों के कारण देश में एटीमए का परिचालन मुश्किल होता जा रहा है और मार्च 2019 तक कुल 2.38 लाख मशीनों में से आधे बंद हो सकते हैं। एटीएम उद्योग का परिसंघ ने यह बात कही। उद्योग संगठन ने एक बयान में कहा कि एटीएम के बंद होने से हजारों रोजगार प्रभावित होंगे। साथ ही सरकार के वित्तीय समावेश के प्रयासों पर भी प्रतिकूल असर होगा।
उसने कहा, ‘‘सेवा प्रदाता देश भर में मार्च 2019 तक 1.13 लाख एटीएम बंद करने को मजबूर हो सकते हैं। इन आंकड़ों में करीब एक लाख बैंक शाखाओं से हटकर लगाये गये एटीएम तथा 15,000 से अधिक व्हाइट लेबल एटीएम शामिल हैं।’’ उद्योग ऐसी स्थिति में पहुंच गया है जहां पर व्यापक बदलाव संकट पैदा करेगा।
बयान के अनुसार जो बहुसंख्यक एटीएम बंद हो सकते हैं, वे गैर-शहरी क्षेत्र में होंगे। इससे सरकार का वित्तीय समावेश कार्यक्रम प्रभावित हो सकता है क्योंकि लाभार्थी सरकारी सब्सिडी हासिल करने के लिये एटीएम का उपयोग करते हैं।उद्योग संगठन ने कहा कि नकद प्रबंधन मानकों को अनिवार्य करने के साथ हार्डवेयर और साफ्टवेयर को उन्नत बनाने तथा नकदी डालने की ‘कैसेट’ अदला-बदली व्यवस्था समेत हाल में जो नियामकीय बदलाव किये गये हैं, उससे एटीएम का परिचालन व्यवहारिक नहीं रह जाएगा और परिणामस्वरूप ये बंद हो सकते हैं।
कैटमी के अनुसार नकदी से संबंधित साजो-सामान और ‘कैसेट स्वैप’ तरीके से ही उद्योग को करीब 3,000 करोड़ रुपये की चपत लगी है। एटीएम का रखरखाव करने वाले सेवा प्रदाता, ब्राउन लेबल एटीएम तथा व्हाइट लेबल एटीएम परिचालक अभी भी नोटबंदी के प्रभाव से उबर नहीं पाये हैं।
ब्राउन लेबल एटीएम में सेवा प्रदाता एटीएम की हार्डवेयर मशीनों का जिम्मा संभालते हैं। एटीएम के लिये जगह, पट्टा समझौता समेत सभी कार्य उन्हीं का होता है जबकि प्रायोजक बैंक नकद प्रबंधन का जिम्मा संभालते हैं। वहीं व्हाइट लेबल एटीएम का परिचालन गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां करती हैं।उद्योग के अनुसार उद्योग के लिये स्थिति से पार पाने का एकमात्र रास्ता यह है कि बैंक आगे आये और मानकों के अनुपालन की लागत का वहन करे।