अर्जुन पुरस्कार के लिए अपनी अनदेखी से खफा बॉक्सर अमित पंघल, खेल मंत्री रिजिजू से किया चयन प्रक्रिया बदलने का आग्रह
By भाषा | Updated: May 15, 2020 17:14 IST2020-05-15T17:12:36+5:302020-05-15T17:14:14+5:30
Amit Panghal: एशियन गेम्स के गोल्ड मेडल विजेता बॉक्सर अमित पंघल ने इस साल अर्जुन पुरस्कार के लिए अपनी अनदेखी से खफा होते हुए खेल मंत्री से किया चयन प्रक्रिया बदलने का अनुरोध

अर्जुन अवॉर्ड के लिए बार-बार अनदेखी किए जाने पर बॉक्सर अमित पंघल ने जताई नाराजगी (File Photo)
नई दिल्ली: एशियाई खेलों के स्वर्ण पदक विजेता मुक्केबाज अमित पंघल ने शुक्रवार को खेल मंत्री कीरेन रिजिजू से राष्ट्रीय खेल पुरस्कारों के लिये चयन प्रक्रिया बदलने का अनुरोध किया और मौजूदा तरीके को ‘भेदभावपूर्ण’ करार दिया। वर्ष 2012 में ‘अनजाने’ में हुए डोप अपराध के लिये लगातार अर्जुन पुरस्कार के लिये उनकी अनदेखी होती रही है। मंत्री को लिखे पत्र में पंघल ने कहा कि खिलाड़ियों को खुद का नामांकन कर आवेदन नहीं करना चाहिए। पि
छले साल विश्व चैम्पियनशिप का रजत पदक जीतने वाले भारत के पहले पुरुष मुक्केबाज बने पंघल ने पत्र में कहा, ‘‘मौजूदा प्रक्रिया में एक खिलाड़ी को आवेदन भेजना होता है और फिर खेल समिति इन आवेदनों के आधार पर चयन करती है। पुरस्कार चयन में खेल समिति के सदस्यों द्वारा भेदभावपूर्ण फैसले होते हैं जिनकी कोई जवाबदेही नहीं है।’’
दो बार अर्जुन पुरस्कार के लिए नामित हो चुके हैं अमित पंघल
पंघल दो बार अर्जुन पुरस्कार के लिये नामांकित किये जा चुके हैं लेकिन पूर्व के डोप उल्लंघन के कारण उनके नाम पर विचार नहीं किया गया। उन्होंने 2012 में चेचक के उपचार के लिये दवाई ली थी। इस साल राष्ट्रीय खेल पुरस्कारों को चुनने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और नामांकन भरने की अंतिम तारीख तीन जून है।
पंघल ने कहा, ‘‘खेल मंत्रालय और भारतीय खेल प्राधिकरण के पास सारे रिकॉर्ड हैं, वे जानते हैं कि कौन हकदार है और कौन नहीं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘अगर इस साल नहीं तो, भले ही अगले साल लेकिन कभी तो बदलाव आना चाहिए।’’ नामांकन के बाद खेल मंत्रालय द्वारा चुना पैनल अंक प्रणाली के आधार पर विजेताओं का चयन करता है जिसमें ओलंपिक और विश्व चैम्पियनशिप पदकों को सबसे ज्यादा अहमियत दी जाती है।
भारतीय सेना में सूबेदार पंघल ने कहा, ‘‘सेना मेरा मामला आगे बढ़ा रही है और मुझे उम्मीद है कि डोप उल्लंघन इस बार सामने नहीं आयेगा क्योंकि वह अनजाने में हुआ था। मैं लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रहा हूं, मेरे नाम पर विचार किया जाना चाहिए। ’’ खुद नामांकन करना या राष्ट्रीय महासंघों द्वारा नामांकन करना प्रक्रिया का पहला कदम होता है।
उन्होंने कहा, ‘‘यह प्रक्रिया पारदर्शी नहीं है और ऐसे कई उदाहरण हैं जहां हकदार खिलाड़ियों को पुरस्कार हासिल करने के लिये अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ा। यह खिलाड़ियों के लिये और खेल प्रशासकों के लिये काफी असहज होता है। ’’ राष्ट्रमंडल खेलों का रजत पदकधारी पंघाल इस समय भारतीय मुक्केबाजी में सबसे सफल मुक्केबाज हैं लेकिन उसके नाम पर इस साल भी विचार किये जाने की संभावना नहीं है क्योंकि मापदंड के हिसाब से डोप उल्लंघन करने वाले खिलाड़ियों को नामांकित नहीं किया जा सकता।
इस 24 वर्षीय मुक्केबाज ने कहा, ‘‘दुनिया में ज्यादातर प्रतिष्ठित पुरस्कार नामांकन पूछे बिना ही दिये जाते हैं क्योंकि सही मायने में एक पुरस्कार खिलाड़ियों की उपलब्धियों का सम्मान है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मौजूदा प्रक्रिया ब्रिटिश युग की पुरानी प्रक्रिया जैसी है जब उपलब्धि हासिल करने वाले को खुद ही पुरस्कार के लिये आवेदन करना होता था। अगर इन पुरस्कारों को नामांकन मुक्त कर दिया जायेगा तो आप भारतीय खेल प्रक्रिया में मजबूत बदलाव करोगे। आपसे अनुरोध है कि इस बदलाव पर विचार किया जाये। मैं आपका आभारी रहूंगा।