#KuchhPositiveKarteHain: ऐसी वीरांगना जिसने पति को गोली लगने के बाद भी अंग्रेजों के सामने फहराया था तिरंगा

By ऐश्वर्य अवस्थी | Published: August 8, 2018 02:12 PM2018-08-08T14:12:57+5:302018-08-08T14:12:57+5:30

भारत  की आजादी का 71वां साल पूरा हो जाएंगे। ऐसे में आज हम एक ऐसी वीरांगना से आपको अवगत करवाएंगे जिसके आगे सारी दुनिया का महानता फीकी है।

Lost Her Husband to British Lathi Charge. Yet This Young Girl Kept the Tricolour Flying! | #KuchhPositiveKarteHain: ऐसी वीरांगना जिसने पति को गोली लगने के बाद भी अंग्रेजों के सामने फहराया था तिरंगा

#KuchhPositiveKarteHain: ऐसी वीरांगना जिसने पति को गोली लगने के बाद भी अंग्रेजों के सामने फहराया था तिरंगा

भारत  की आजादी का 71वां साल पूरा हो जाएंगे। ऐसे में आज हम एक ऐसी वीरांगना से आपको अवगत करवाएंगे जिसके आगे सारी दुनिया का महानता फीकी है। अंग्रेजों को धूल चटाने वाली तारा रानी श्रीवास्तव को भला कौन देश प्रेमी नहीं जानता होगा।

पति के साथ देश सेवा की

बिहार के सारण जिले में जन्मीं तारा रानी श्रीवास्तव की शादी बहुत ही छोटी उम्र में कर दी गई थी। उनकी शादी जाने माने स्वतंत्रता सेनानी फूलेंदु बाबू से हुई थी। पति का जीवन देश के नाम था तो वह भी उनकी ही राह पर चल निकली थीं। कहते हैं तारा रानी भी अपने पति फूलेंदु बाबू के साथ मिलकर गांव के लोगों को इकट्ठा करती थीं और विरोध मार्च निकाला करती थीं।

बापू से हुईं प्ररेरित

कहते हैं जब वह देश की सेवा के लिए सड़तों पर उतरीं उस समय औरतों का घर से बाहर निकलना ठीक नहीं माना जाता था। लेकिन तारा रानी औरतों को इकट्ठा कर के उन्हें आज़ादी की मांग के लिए आन्दोलन करने को प्रेरित करती थीं। वह महात्मा गांधी से खासा प्ररेरित थीं। जब महात्मा गांधी के नेतृत्व में भारत छोड़ो आन्दोलन चल रहा था। उस समय उनके पति फूलेंदु बाबू भी सिवान थाने की तरफ चल दिए। उनके साथ पूरा जमसैलाव था। इन सबको जो लीड कर रहा था वो थीं तारा रानी।  उनका उस समय एक ही मकसद था सिवान थाने की छत पर तिरंगा फहराना। 

पति खोकर भी फहराया तिरंगा

12 अगस्त 1942 का दिन था। तारा सभी तो लेकर आगे बढ़ रही थीं,  पुलिस ने उनको रोका। कहते हैं जब तारा और उनके साथी नहीं रूके तो पुलिस ने लाठी चार्ज शुरू कर दिया। पुलिस की बेहदसा लाठियों के बाद भी ये पीछे नहीं लटे। तो पुलिस ने इनके ऊपर गोलियां बरसानी शुरू कर दीं। इसी दौरान एक गोली तारा के पति फूलेंदु बाबू को भी गोली लगी। गोली लगते है वो वहीं गिर गए। जिस समय उनको गोली लगी और गिरे तारा रानी ये सब देखा था। वो उनके पास गईं और उनके घाव पर पट्टी बांधी। फिर जो उन्होंने किया वो शायद ही कोई कर सकता था वह वहीं से फिर वापिस मुड़ीं, और पुलिस स्टेशन की तरफ चल पड़ीं. तिरंगा लहराना था, तिरंगा लहराया। कहते हैं वो तिरंगा फहराकर जब वापिस आईं तब तक उन्होंने अपने पति खो दिया थाय़ उनके अंतिम संस्कार में भी खुद को मज़बूत बनाये खड़ी रहीं।

देश के लिए हमेशा लड़ी

इसके बाद उन्होंने 15 अगस्त 1942. छपरा शहर में फूलेंदु बाबू की याद में एक प्रार्थना सभा रखी गई। उनके पति फूलेंदु बाबू  तो उनको छोड़कर चले गए थे लेकिन तारा रानी श्रीवास्तव पीछे नहीं हटीं वह देश के लिए हमेशा लड़ती रहीं। उस समय शायद किसी को नहीं मालूम था कि इस 15 अगस्त के ठीक पांच साल बाद यानी 15 अगस्त 1947 को भारत आज़ाद होने वाला है।

Web Title: Lost Her Husband to British Lathi Charge. Yet This Young Girl Kept the Tricolour Flying!

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