सबका ध्यान रखें, अल्प अवधि के लिए बूचड़खाने और मांस की दुकानें बंद हैं, तो यह असंवैधानिक नहीं हैः हाईकोर्ट
By भाषा | Updated: September 4, 2019 17:50 IST2019-09-04T17:50:27+5:302019-09-04T17:50:59+5:30
बंबई उच्च न्यायालय ने बुधवार को कहा, "हमारे विचार में समाज के किसी विशेष वर्ग की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए अगर अल्प अवधि के लिये बूचड़खाने और मांस की दुकानें बंद हैं, तो यह असंवैधानिक नहीं है।"

अदालत ने कोई राहत देने से इनकार करते हुए कहा कि वह बाद में किसी तारीख पर इन याचिकाओं पर अंतिम सुनवाई करेगा।
बंबई उच्च न्यायालय ने बुधवार को कहा कि समाज के किसी विशेष वर्ग की भावनाओं को ध्यान में रखकर अल्प अवधि के लिये बूचड़खानों और मांस की बिक्री बंद किया जाना असंवैधानिक नहीं है।
मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नंद्राजोग और न्यायमूर्ति भारती डांगरे ने इस मामले में बॉम्बे मटन डीलर्स एसोसिएशन और मेहुल मेपानी नामक व्यक्ति की याचिकाओं पर राहत देने से इनकार कर दिया। याचिकाकर्ताओं ने बृह्नमुंबई नगर निगम और मीरा भायंदर नगर निगम के परिपत्रों को चुनौती दी थी जिसमें जैन समुदाय के 'पर्युषण' पर्व के दौरान बूचड़खानों और मांस बेचने वाली दुकानों को बंद रखने का निर्देश दिया गया था।
सितंबर 2015 में निगमों ने परिपत्र जारी किये थे कि हर साल चार से दस दिन तक चलने वाले पर्युषण के दौरान सभी बूचड़खाने और मांस बेचने की दुकानें बंद रखी जाएंगी। पर्युषण आमतौर पर अगस्त और सितंबर में मनाया जाता है। जैन समुदाय इसे पवित्र अवधि मानता है और इस दौरान उपवास और 'ध्यान' करता है।
याचिकाकर्ताओं का दावा था कि दुकाने बंद रखने का निर्देश आजीविका के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है। उन्होंने परिपत्रों पर रोक लगाने की अपील की है। अदालत ने कहा, "हमारे विचार में समाज के किसी विशेष वर्ग की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए अगर अल्प अवधि के लिये बूचड़खाने और मांस की दुकानें बंद हैं, तो यह असंवैधानिक नहीं है।"
अदालत ने कोई राहत देने से इनकार करते हुए कहा कि वह बाद में किसी तारीख पर इन याचिकाओं पर अंतिम सुनवाई करेगा।