Sena vs Sena Case: उद्धव ठाकरे को लगा झटका! स्पीकर बोले- "शिंदे गुट ही असली शिवसेना..."
By अंजली चौहान | Published: January 10, 2024 05:58 PM2024-01-10T17:58:23+5:302024-01-10T18:17:28+5:30
Sena vs Sena Case: महाराष्ट्र में उद्धव गुट और शिंदे गुट के विधायकों द्वारा एक दूसरे को आयोग्य ठहराए जाने को लेकर आज विधानसभा अध्यक्ष ने अपना फैसला सुना दिया है।
Sena vs Sena Case:महाराष्ट्र में उद्धव गुट और शिंदे गुट के विधायकों द्वारा एक-दूसरे को आयोग्य ठहराने की मांग करने वाली क्रॉस-याचिकाओं पर महत्वपूर्ण फैसला आ चुका है। यह फैसला महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने सुनाया है। राहुल नार्वेकर ने कहा, "एकनाथ शिंदे को हटाने का अधिकार उद्धव को नहीं...", महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर कहते हैं, "21 जून 2022 को जब प्रतिद्वंद्वी गुट उभरे तो शिंदे गुट ही असली शिवसेना राजनीतिक दल था।"
स्पीकर ने कहा कि शिवसेना के 2018 संशोधित संविधान को वैध नहीं माना जा सकता है क्योंकि यह भारत के चुनाव आयोग के रिकॉर्ड में नहीं है।
स्पीकर ने कहा कि ईसीआई के रिकॉर्ड में असली शिवसेना शिंदे गुट ही है, मैंने ईसीआई के रिकॉर्ड को ध्यान में रखकर यह फैसला किया है। विधानसभी स्पीकर राहुल नार्वेकर ने कहा कि संशोधित संविधान पर दोनों पश्रों को पूरा भरोसा है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट को सही मार्गदर्शन के लिए धन्यवाद दिया और अपना फैसला सुनाया है। राहुल नार्वेकर ने कहा कि ईसीआई द्वारा प्रदान किया गया शिवसेना का संविधान यह निर्धारित करने के लिए शिवसेना का प्रासंगिक संविधान है कि कौन सा गुट वास्तविक राजनीतिक दल है।
Maharashtra Assembly Speaker Rahul Narwekar pronounces verdict in Shiv Sena MLAs'; disqualification case pic.twitter.com/KgW7k1W2Kg
— ANI (@ANI) January 10, 2024
महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर का मानना है, "दोनों पार्टियों (शिवसेना के दो गुटों) द्वारा चुनाव आयोग को सौंपे गए संविधान पर कोई आम सहमति नहीं है। नेतृत्व संरचना पर दोनों पार्टियों के विचार अलग-अलग हैं। एकमात्र पहलू विधायक दल बहुमत है। मुझे विवाद से पहले मौजूद नेतृत्व संरचना को ध्यान में रखते हुए प्रासंगिक संविधान तय करना होगा..."
अयोग्यता याचिकाओं पर नार्वेकर का बहुप्रतीक्षित फैसला 18 महीने से अधिक समय बाद आया है जब शिवसेना को विभाजन का सामना करना पड़ा, जिसके परिणामस्वरूप राज्य में सत्ता परिवर्तन हुआ।
Maharashtra Assembly speaker Rahul Narwekar gives verdict in Shiv Sena MLAs'; disqualification case pic.twitter.com/Uh3FEB0wLY
— ANI (@ANI) January 10, 2024
गौरतलब है कि फैसला आने से पहले एकनाथ शिंदे विधानसभा अध्यक्ष से मिलने पहुंचे। इस मुलाकात को गलत बताते हुए उद्धव गुट ने इसका विरोध किया और गंभीर आरोप लगाए। यूबीटी नेता आदित्य ठाकरे ने कहा, "जज आरोपियों से मिलने जा रहे हैं, अगर संवैधानिक फैसला लिया गया तो 40 विधायक अयोग्य हो जाएंगे...सरकार उन लोगों की आवाज दबाने की कोशिश कर रही है जो सत्ता में नहीं हैं।"
#WATCH | On MLA disqualification verdict, Shiv Sena (UBT) leader Aaditya Thackeray says, "The judge is going to meet the accused, if the constitutional decision is taken then 40 MLAs will be disqualified...The government is trying to suppress the voices of those who are not in… pic.twitter.com/98J7qaQdWq
— ANI (@ANI) January 10, 2024
दरअसल, जून 2022 में शिवसेना में विभाजन से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर सर्वसम्मति से निर्णय सुनाते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को महाराष्ट्र के तत्कालीन राज्यपाल और विधानसभा अध्यक्ष की भूमिका के बारे में कड़ी टिप्पणियाँ कीं। हालाँकि, अदालत ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे सहित 16 विधायकों को अयोग्य ठहराने से संबंधित कार्यवाही में हस्तक्षेप करने से परहेज किया।
फैसले की मुख्य बातों में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अयोग्यता का मुद्दा कानून में स्थापित प्रक्रियाओं के अनुसार तय किया जाना चाहिए और स्पीकर संविधान की दसवीं अनुसूची के तहत इसके लिए उपयुक्त प्राधिकारी है, जो दलबदल विरोधी कानून निर्धारित करता है।
यह उद्धव ठाकरे के लिए भी एक निराशा थी, क्योंकि अदालत ने कहा कि उनकी सरकार को बहाल नहीं किया जा सकता क्योंकि उन्होंने 2022 में राजनीतिक संकट के बाद अपना इस्तीफा दे दिया था।