महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव: कोई नहीं जीत पाया चौथी बार रामटेक का गढ़, जानें राजनीतिक समीकरण
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: August 29, 2019 08:18 AM2019-08-29T08:18:25+5:302019-08-29T08:18:25+5:30
1999 में आशीष जायस्वाल का मुकाबला कांग्रेस के विधायक आनंदराव देशमुख से हुआ. इसमें देशमुख पराजित हुए. फिर 2004 के चुनाव में शिवसेना के जायस्वाल का कांग्रेस के उम्मीदवार चंद्रपाल चौकसे के साथ मुकाबला हुआ.
नागपुर जिले की रामटेक विधानसभा सीट से 1952 से 1980 तक लगातार 7 बार कांग्रेस के विधायक रहे. 1952 में कांग्रेस के चिंतामण तिड़के विधायक रहे. 1957 में कांग्रेस के ही नरेंद्र तिड़के विधायक बने. 1962 में कांग्रेस के मोहम्मद अब्दुल्ला खान ने जीत दर्ज की. 1967, 1972 और 1978 में लगातार 3 बार कांग्रेस के गुंडेराव महाजन यहां से विधायक चुने गए.
1980 में कांग्रेस के ए. मधुकर किम्मतकर प्रथम बार चुनाव में उतरे. उन्होंने जनता पार्टी के पांडुरंग हजारे को हराया. इसके बाद केवल उपचुनाव में 1992 और 1997 में कांग्र्रेस के आनंदराव देशमुख दो बार ढाई-ढाई साल के लिए विधायक रहे हैं. 1985 से 2014 तक कुल 7 विधानसभा चुनावों में गैरकांग्रेसी विधायक रहे हैं. अभी वर्तमान में भाजपा के डी. मल्लिकार्जुन रेड्डी विधायक हैं.
1985 और 1990 के चुनाव में जनता पार्टी के पांडुरंग हजारे दो बार विधायक रहे. 1985 में पांडुरंग हजारे ने कांग्रेस के पूर्व मंत्री मधुकर किम्मतकर को हराया. 1990 में फिर पांडुरंग हजारे ने कांग्रेस के किम्मतकर को ही हराया. 1995 में निर्दलीय के रूप अशोक गुजर प्रथम बार चुनाव जीते.
अशोक गुजर ने कांग्रेस के विधायक आनंदराव देशमुख को पराजित किया था. गुजर ने 1997 में लोकसभा चुनाव में खड़े रहने के कारण विधानसभा से त्यागपत्र दिया था. फिर 1997 के उपचुनाव में आनंदराव देशमुख विजयी हुए थे. 1999 के चुनाव में प्रथम बार शिवसेना ने एड. आशीष जायस्वाल को मैदान में उतारा. जायस्वाल ने 1999, 2004 और 2009 तक लगातार 3 बार यहां से जीत हासिल की.
1999 में आशीष जायस्वाल का मुकाबला कांग्रेस के विधायक आनंदराव देशमुख से हुआ. इसमें देशमुख पराजित हुए. फिर 2004 के चुनाव में शिवसेना के जायस्वाल का कांग्रेस के उम्मीदवार चंद्रपाल चौकसे के साथ मुकाबला हुआ. इस चुनाव में चंद्रपाल चौकसे पराजित हुए. 2009 के चुनाव में जायस्वाल का कांग्रेस के उम्मीदवार तथा पूर्व सांसद सुबोध मोहिते के साथ मुकाबला हुआ. इस चुनाव में सुबोध मोहिते पराजित हुए.