Year Ender 2018: लैंगिक न्याय से लेकर महिलाओं को सबरीमला मंदिर में प्रवेश की इजाजत तक, ये है साल 2018 के बड़े फैसले

By भाषा | Published: December 31, 2018 07:23 AM2018-12-31T07:23:16+5:302018-12-31T07:23:16+5:30

कठुआ में आठ साल की बच्ची से सामूहिक बलात्कार एवं हत्या के मामले में उच्चतम न्यायालय और दिल्ली उच्च न्यायालय ने वकीलों द्वारा बाधा उत्पन्न किए जाने एवं मीडिया द्वारा पीडि़ता की पहचान उजागर किए जाने पर स्वयं कार्यवाही शुरू की.

Year Ender 2018: Adultery, Aadhaar and gay sex top big decisions taken by supreme court in 2018 | Year Ender 2018: लैंगिक न्याय से लेकर महिलाओं को सबरीमला मंदिर में प्रवेश की इजाजत तक, ये है साल 2018 के बड़े फैसले

Year Ender 2018: लैंगिक न्याय से लेकर महिलाओं को सबरीमला मंदिर में प्रवेश की इजाजत तक, ये है साल 2018 के बड़े फैसले

 2018 में लैंगिक न्याय और समानता के लिए संघर्ष को न्यायपालिका से बहुत बढ़ावा मिला. उच्चतम न्यायालय ने सभी आयु वर्ग की महिलाओं को सबरीमला मंदिर में प्रवेश की इजाजत दे दी और निर्भया सामूहिक बलात्कार एवं हत्या मामले में तीन दोषियों की फांसी की सजा की फिर से पुष्टि कर दी. उच्चतम न्यायालय देशभर में आश्रयगृहों में महिलाओं के यौन उत्पीड़न के मामलों में सख्त रुख अपनाया, जिसमें मुजफ्फरपुर आश्रयगृह का मामला भी शामिल है.

अदालत ने मुजफ्फरपुर मामले की जानकारी को ''भयानक'' और ''खौफनाक'' करार दिया, जिसे उसके समक्ष सीबीआई ने पेश किया. सीबीआई ने बिहार की पूर्व मंत्री मंजू वर्मा एवं उनके पति चंद्रशेखर वर्मा के यहां से बड़ी मात्रा में कारतूस बरामद किया था. मुजफ्फरपुर मामला सामने आने पर मंजू वर्मा ने तब बिहार के सामाजिक कल्याण मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया, जब यह खुलासा हुआ कि उनके पति ने जनवरी से जून के बीच गई बार मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर से कथित रूप से बात की थी.शीर्ष न्यायालय ने इसके साथ ही धार्मिक प्रथाओं एवं उन पुराने कानूनों के खिलाफ भी एक कड़ा रुख अपनाया, जो महिलाओं का दमन करते हैं और उन्हें उनकी ''यौन स्वायत्तता'' से वंचित करते हैं.न्यायालय ने भारतीय दंड संहिता की धारा 497 रद्द कर दी जो न तो पत्नी को उनके पति के खिलाफ और न दूसरी महिला को व्याभिचार के लिए मामला दायर करने की अनुमति देती थी.

कठुआ में आठ साल की बच्ची से सामूहिक बलात्कार एवं हत्या के मामले में उच्चतम न्यायालय और दिल्ली उच्च न्यायालय ने वकीलों द्वारा बाधा उत्पन्न किए जाने एवं मीडिया द्वारा पीडि़ता की पहचान उजागर किए जाने पर स्वयं कार्यवाही शुरू की. शीर्ष अदालत ने कठुआ मामले को पंजाब के पठानकोट स्थानांतरित कर दिया, उच्च न्यायालय ने कई मीडिया घरानों को आड़े हाथ लिया और उनके द्वारा पीडि़ता की पहचान उजागर करने के लिए माफी मांगने पर उन्हें 10 लाख रुपए जम्मू कश्मीर पीडि़त मुआवजा कोष में जमा कराने का निर्देश दिया.

शीर्ष अदालत ने इसके साथ ही दिल्ली में 23 वर्षीय युवती से 16 दिसम्बर 2012 को हुए सामूहिक बलात्कार एवं हत्या के मामले के चार दोषियों में से तीन की ओर से दाखिल उनकी फांसी की सजा के खिलाफ पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी.बलात्कार पीडि़ताओं को राशि वितरण में सरकार की उदासीनता तब सामने आई, जब उच्चतम न्यायालय ने यह जानने के बाद हैरानी जताई कि मध्य प्रदेश सरकार की ओर से प्रत्येक बलात्कार पीडि़ता को मात्र 6000 से 6500 रुपए ही दिये जा रहे हैं. दिल्ली उच्च न्यायालय ने दाती महाराज के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों पर कड़ा रुख अपनाया और स्वयंभू बाबा के खिलाफ सीबीआई जांच का आदेश दिया.

 

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