उत्तराखंड में मुख्यमंत्री बदलने की इनसाइड स्टोरी कुछ और! जानें क्या कहते हैं जानकार

By नितिन अग्रवाल | Published: July 6, 2021 07:39 AM2021-07-06T07:39:36+5:302021-07-06T07:49:35+5:30

उत्तराखंड में पिछले 6 महीनों में जिस तरह दो-दो बार मुख्यमंत्री बदले गए, उसे लेकर चर्चा जारी है। भाजपा पहले भी राज्य में चुनाव से पहले मुख्यमंत्री बदलने का काम करती रही है।

Why Uttarakhand CM Tirath Singh Rawat dropped before Election Inside Story | उत्तराखंड में मुख्यमंत्री बदलने की इनसाइड स्टोरी कुछ और! जानें क्या कहते हैं जानकार

उत्तराखंड में चार महीने में बदल गए मुख्यमंत्री (फोटो- सोशल मीडिया)

Highlightsजानकारों की राय मुख्यमंत्री बदलना भाजपा की राजनीतिक संकट से उबरने की कोशिशपूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एस. वाई. कुरैशी के अनुसार मुख्यमंत्री के मामले में उपचुनाव कराना संभव हैकुछ जानकार ये भी कह रहे हैं कि जिस संवैधानिक बाध्यता का हवाला दिया जा रहा है, उसके बारे में भाजपा को भी पहले से पता रहा होगा

नई दिल्ली: उत्तराखंड में महज चार महीने में मुख्यमंत्री बदलने के फैसले को भले ही संवैधानिक संकट का हल बताया जा रहा है लेकिन जानकार इसे भाजपा के राजनीतिक संकट से उबरने की कोशिश के तौर पर देख रहे हैं। इससे पहले भी राज्य में चुनाव से पहले मुख्यमंत्री बदलने का गणित आजमाया गया जो कभी कामयाब नहीं हुआ।

वरिष्ठ पत्रकार चारु तिवारी के अनुसार त्रिवेंद्र रावत सरकार में पनपे असंतोष को शांत करने के लिए मार्च में उनका इस्तीफा कराया गया। भाजपा ने तब आपसी कलह से बचने की रणनीति के तहत मौजूदा 57 विधायकों के बजाय बाहर से मुख्यमंत्री बनाया।

वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक जय सिंह रावत के अनुसार भाजपा अनुभवी राजनीतिक दल है। ऐसे में मुख्यमंत्री का पद संभालने के 6 महीने के भीतर चुनाव कराने की जिस संवैधानिक बाध्यता और उपचुनाव का संभव नहीं होने का हवाला दिया जा रहा है, यह बात गले नहीं उतरती कि भाजपा को यह पहले नहीं पता था।

'मुख्यमंत्री के लिए उपचुनाव संभव'

पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एस. वाई. कुरैशी के अनुसार मुख्यमंत्री का पद संभालने के 6 महीने के भीतर विधानसभा या विधान परिषद का सदस्य बनने की बाध्यता होती है। साथ ही चुनाव के एक साल के भीतर उपचुनाव नहीं कराए जाते लेकिन मुख्यमंत्री के मामले को अपवाद मानकर चुनाव कराए जाते हैं। पहले भी ऐसा होता रहा है। हालांकि ऐसी स्थिति में मुख्यमंत्री की ओर से उपचुनाव के लिए आवेदन देना होता है।

भाजपा ने बदले सबसे ज्यादा मुख्यमंत्री

साल 2000 में उत्तराखंड राज्य के गठन के समय भाजपा ने नित्यानंद स्वामी को अंतरिम सरकार की बागडोर सौंपी गई। एक साल पूरा होने से पहले ही भगत सिंह कोश्यारी को मुख्यमंत्री बनाया गया लेकिन भाजपा चुनाव हार गई।

इसके बाद 2007 में उसरी फिर वापसी हुई और बीसी खंडूरी मुख्यमंत्री बने। दो साल बाद विधायकों में असंतोष के चलते कमान रमेश पोखरियाल निशंक को सौंप दी गई। चुनाव से पहले उन्हें भी जाना पड़ा और खंडूरी को फिर मुख्यमंत्री बनाया गया।

इस बार मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को बनाया गया था। उन्हें भी चुनाव से एक साल पहले कुर्सी छोड़नी पड़ी। उनकी जगह तीरथ सिंह रावत को कमान सौंपी गई। अब महज चार महीने में ही राज्य को नया मुख्यमंत्री मिला। ऐसे में राज्य में अब तक 10 मुख्यमंत्री बदले जा चुके हैं। 

Web Title: Why Uttarakhand CM Tirath Singh Rawat dropped before Election Inside Story

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