CAA पर पश्चिम बंगाल बीजेपी के नेता चंद्र कुमार बोस ने उठाए सवाल, पूछा- 'मुस्लिमों को भी शामिल क्यों नहीं करते'
By विनीत कुमार | Updated: December 24, 2019 11:02 IST2019-12-24T11:00:45+5:302019-12-24T11:02:28+5:30
चंद्र कुमार बोस की ये प्रतिक्रिया सोमवार को उस समय आई जब पश्चिम बंगाल में बीजेपी पूरी तैयारी के साथ नागरिकता संशोधन कानून के समर्थन में मार्च कर रही थी।

पश्चिम बंगाल बीजेपी के नेता चंद्र कुमार बोस ने उठाए सवाल CAA पर सवाल (फाइल फोटो)
बीजेपी पश्चिम बंगाल इकाई के वाइस-प्रेसिडेंट चंद्र कुमार बोस ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) पर सवाल उठाते हुए कहा है कि भारत के दरवाजे सभी धर्मों और जातियों के लिए खुले हैं। बोस ने एक के बाद एक ट्वीट कर पूछा कि अगर सीएए किसी धर्म से जुड़ा हुआ नहीं है तो फिर हिंदू, सिख, बौद्ध, ईसाई, पारसी या जैन की केवल बात क्यों की गई है।
बोस ने साथ ही कहा कि मुस्लिमों को भी इसमें क्यों नहीं शामिल किया गया। बोस यही नहीं रूके और एक ट्वीट कर लिखा, 'भारत की तुलना या बराबरी किसी और देश से नहीं करें क्योंकि ये राष्ट्र सभी धर्मों और समाज के लिए खुला है।'
बोस ने साथ ही लिखा, 'अगर मुस्लिमों के साथ उनके देश में अत्याचार नहीं होता है तो वे आएंगे ही नहीं। ऐसे में उनका नाम शामिल करने में कोई नुकसान नहीं है। हालांकि ये पूरी तरह सच नहीं है। पाकिस्तान और अफगानिस्तान में रह रहे बलूचों का क्या? पाकिस्तान में अहमदियों का क्या?'
If Muslims are not being persecuted in their home country they would not come,so there's no harm in including them. However, this is not entirely true- what about Baluch who live in Pakistan & Afghanistan? What about Ahwadiyya in Pakistan?
— Chandra Kumar Bose (@Chandrabosebjp) December 24, 2019
बोस की ये प्रतिक्रिया सोमवार को उस समय आई जब पश्चिम बंगाल में बीजेपी पूरी तैयारी के साथ कानून के समर्थन में मार्च कर रही थी। इस मार्च में संशोधित कानून के समर्थन में पश्चिम बंगाल भाजपा प्रमुख दिलीप घोष और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय सहित भगवा पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं के साथ जेपी नड्डा ने भी हिस्सा लिया।
इस दौरान बीजेपी कार्यकर्ताओं ने सुबोध मलिक स्क्वॉयर से नॉर्थ कोलकाता के श्यामबाजार फाइव प्वाइंट क्रॉसिंग पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा तक ये मार्च निकाला। पार्टी ने साथ ही सोशल मीडिया पर भी अपने कार्यकर्ताओं के जरिए कानून के समर्थन में कैंपेन शुरू किया। इससे पहले बीजेपी की सहयोगी पार्टी शिरोमणी अकाली दल (एसएडी) ने भी मांग की थी कि मुस्लिमों को सीएए कानून में शामिल किया जाए।
बता दें कि नागरिकता संशोधन कानून पाकिस्तान समेत अफगानिस्तान और बांग्लादेश से 31 दिसंबर, 2014 से पहले भारत आये हिंदुओं, सिख, जैन, पारसी, बौद्ध और ईसाई धर्म के लेगों भारत की नागरिकता का अधिकार देता है।