बंगाल में CAA पर अमित शाह का बड़ा बयान, कहा- कोविड समाप्त होते ही धरातल पर करेंगे लागू
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: May 5, 2022 06:55 PM2022-05-05T18:55:43+5:302022-05-05T19:10:31+5:30
अमित शाह ने कहा, टीएमसी सीएए के बारे में अफवाहें फैला रही है कि इसे जमीन पर लागू नहीं किया जाएगा, लेकिन मैं यह कहना चाहूंगा कि हम सीएए को जमीन पर लागू करेंगे।
सिलीगुड़ी: पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नागरिकता संशोधित कानून (सीएए) को लेकर बड़ा बयान दिया है। गुरुवार को अमित शाह ने एक जन सभा को संबोधित करते हुए कहा कि हम कोविड की लहर समाप्त होते ही सीएए को धरातल पर लागू करेंगे और हमारे भाइयों को नागरिकता देने का काम करेंगे।
केंद्रीय गृहमंत्री ने आगे यह कहा, टीएमसी सीएए के बारे में अफवाहें फैला रही है कि इसे जमीन पर लागू नहीं किया जाएगा, लेकिन मैं यह कहना चाहूंगा कि हम सीएए को जमीन पर लागू करेंगे, जैसे ही कोविड की लहर समाप्त होगी।
शाह ने बंगाल की सीएम को घेरते हुए कहा कि ममता दीदी, आप तो यहीं चाहती हैं कि घुसपैठ चलती रहे और बंगाल से जो शरणार्थी आए हैं उनको नागरिकता न मिले। मकर कान खोलकर टीएमसी वाले सुन लें, सीएए वास्तविकता था, वास्तविकता है और वास्तविकता लेने वाला है। इसमें आप कुछ नहीं बदल सकते हो।
#WATCH TMC is spreading rumours about CAA that it won't be implemented on ground, but I would like to say that we'll implement CAA on ground the moment Covid wave ends...Mamata Didi wants infiltration...CAA was, is & will be a reality:Union Home minister Amit Shah in Siliguri, WB pic.twitter.com/E1rYvN9bHM
— ANI (@ANI) May 5, 2022
शाह के बंगाल दौरे को लेकर सीएम ममता बनर्जी ने कहा कि "सीएए विधेयक समाप्त हो गया है। वे इस विधेयक को संसद में क्यों नहीं ला रहे हैं? मैं नहीं चाहता कि नागरिकों के अधिकारों पर अंकुश लगे। हम सभी को एक साथ रहना है, एकता हमारी ताकत है। आज, वह (अमित शाह) यहां बीएसएफ की राजनीतिक क्षेत्र में घुसपैठ करने आए थे।"
क्या है सीएए?
नागरिकता (संसोधित) अधिनियम को साल 2019 में मोदी सरकार के कार्यकाल में पास किया गया था, जो नागरिकता अधिनियम 1955 में बदलाव के लिए लाया गया था। सीएए के प्रावधानों के अनुसार, 31 दिसंबर, 2014 को या उससे पहले अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से भारत आए हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों, पारसियों एवं ईसाइयों को अवैध प्रवासी नहीं माना जाएगा, इस कानून के माध्यम से उन्हें भारत की नागरिकता मिलेगी।