हमारे यहां एक देश-एक कर, एक देश-एक चुनाव हो सकता है, लेकिन एक देश एक संस्कृति, एक देश एक भाषा कभी नहींः जयराम

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: September 16, 2019 17:55 IST2019-09-16T17:55:27+5:302019-09-16T17:55:27+5:30

राज्यसभा सदस्य जयराम रमेश ने यह भी कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु की विरासत को ‘‘धूमिल करने और उसे मिटाने’’ के लिए उन पर कुछ ताकतों द्वारा प्रतिदिन हमले किये जा रहे हैं। यदि उनके विचारों का परित्याग किया गया तो भारत का विचार ही समाप्त हो जाएगा।

We can have one country-one tax, one country-one election, but one country one culture, one country one language never: Jairam | हमारे यहां एक देश-एक कर, एक देश-एक चुनाव हो सकता है, लेकिन एक देश एक संस्कृति, एक देश एक भाषा कभी नहींः जयराम

कांग्रेस ने भी कहा कि संविधान ने जिन ‘‘संवेदनशील’’ मुद्दों का समाधान कर दिया था उनको लेकर नए सिरे से विवाद नहीं पैदा किया जाना चाहिए।

Highlightsकेंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने शनिवार को देश की साझी भाषा के तौर पर हिंदी को अपनाने की वकालत की थी।दक्षिण के विभिन्न राजनीतिक दलों ने कहा कि वे भाषा को ‘‘थोपने’’ के किसी भी प्रयास का विरोध करेंगे।

हिंदी को पूरे देश की भाषा के तौर पर अपनाने को लेकर जारी चर्चा के बीच कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने रविवार को कहा कि यह कभी वास्तविकता नहीं बनेगा।

राज्यसभा सदस्य जयराम रमेश ने यह भी कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु की विरासत को ‘‘धूमिल करने और उसे मिटाने’’ के लिए उन पर कुछ ताकतों द्वारा प्रतिदिन हमले किये जा रहे हैं। यदि उनके विचारों का परित्याग किया गया तो भारत का विचार ही समाप्त हो जाएगा।

उन्होंने कहा, ‘‘...हमारे यहां एक देश..एक कर हो सकता है, लेकिन एक देश..एक भाषा कभी वास्तविकता नहीं बनेगा...हम एक देश..हम कई भाषाएं हैं...।’’ रमेश ने अपने भाषण की शुरुआत राज्यपाल, मुख्यमंत्री और अन्य गणमान्य व्यक्तियों को अंग्रेजी, कन्नड़, हिंदी में संबोधित करते हुए की।

उन्होंने कहा,‘‘मैं एक मिनट में तीन भाषाओं में बोला, केवल आपको संदेश देने के लिए...।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमारे यहां एक देश..एक कर हो सकता है, एक देश..एक चुनाव हो सकता है लेकिन किसी भी परिस्थिति में हमारे यहां एक देश एक संस्कृति, एक देश एक भाषा नहीं हो सकती।’’

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने शनिवार को देश की साझी भाषा के तौर पर हिंदी को अपनाने की वकालत की थी जिसके बाद इस मुद्दे पर चर्चा शुरू हो गई थी। दक्षिण के विभिन्न राजनीतिक दलों ने कहा कि वे भाषा को ‘‘थोपने’’ के किसी भी प्रयास का विरोध करेंगे।

कांग्रेस ने भी कहा कि संविधान ने जिन ‘‘संवेदनशील’’ मुद्दों का समाधान कर दिया था उनको लेकर नए सिरे से विवाद नहीं पैदा किया जाना चाहिए। शाह ने कहा था कि भाषा की विविधता भारत की ताकत है लेकिन एक राष्ट्रीय भाषा की जरूरत है ताकि विदेशी भाषाएं और संस्कृतियां देश की भाषा और संस्कृति पर हावी नहीं हों।

रमेश सर एम विश्वेश्वरैया स्मारक व्याख्यान ‘‘ए प्राइम मिनिस्टर एंड ए इंजीनियर’’ पर बोल रहे थे। इस कार्यक्रम का आयोजन फेडरेशन आफ कर्नाटक चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री द्वारा उसके संस्थापक विश्वेश्वरैया की जयंती पर किया गया था।

रमेश ने कहा,‘‘आज हम इस असाधारण व्यक्ति को वार्षिक आधार पर याद करते हैं। यदि हम अन्य 364 दिन भी उनके आदर्शों का पालन करते तो हमारे देश को कितना लाभ होता।’’ रमेश ने कहा कि आधुनिक भारत के निर्माता नेहरु ने एक खुले, उदार, प्रतिनिधित्वकारी लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता, अनेकता में एकता, वैज्ञानिक सोच और योजनाबद्ध आर्थिक विकास को बढ़ावा दिया था जिस पर अब 'प्रतिदिन हमले' किये जा रहे हैं ताकि उनकी विरासत को ‘‘धूमिल किया जा सके और उसे मिटाया जा सके।’’

उन्होंने कहा, ‘‘...यदि हमने नेहरू के विचारों को छोड़ा तो भारत का विचार समाप्त हो जाएगा।’’ कर्नाटक के राज्यपाल वजूभाई वाला और मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा इस कार्यक्रम में मौजूद थे। इस कार्यक्रम में अद्वैत हुंडई निदेशक डा. एस. वी. एस. एस. गुप्ता को भारत रत्न सर एम. विश्वेश्वरैया स्मारक पुरस्कार, 2019 प्रदान किया गया।

गुप्ता द्वारा मुख्यमंत्री से बेंगलुरू में बेहतर आधारभूत ढांचे के लिए अनुरोध का उल्लेख करते हुए रमेश ने उप मुख्यमंत्री गोविंद करजोल का नाम लिये बिना उनके द्वारा हाल में की गई टिप्पणी का माखौल उड़ाया कि अच्छी सड़कें दुर्घटना के लिए जिम्मेदार हैं। रमेश ने कहा, ‘‘कुछ लोग हैं जो यह सोचते हैं कि बेंगलुरू में अच्छी सड़कों से अधिक मौत होती हैं।’’ 

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