जब वंदे मातरम् के 100 वर्ष हुए, तब देश आपातकाल की जंजीरों में जकड़ा हुआ था?, पीएम मोदी ने कहा-संविधान का गला घोंट दिया गया था, वीडियो
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: December 8, 2025 13:09 IST2025-12-08T13:08:02+5:302025-12-08T13:09:05+5:30
हमारे जांबाज सपूत बिना किसी डर के फांसी के तख्त पर चढ़ जाते थे और आखिरी सांस तक वंदे मातरम् कहते थे।

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नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को लोकसभा में वंदे मातरम् के गौरवशाली इतिहास का उल्लेख किया और 1975 में लगाए गए आपातकाल का हवाला देते हुए कहा कि जब राष्ट्रीय गीत के 100 वर्ष हुए, तब देश आपातकाल की जंजीरों में जकड़ा हुआ था और संविधान का गला घोंट दिया गया था। उन्होंने सदन में, राष्ट्रीय गीत के 150 वर्ष पूरे होने के अवसर आयोजित विशेष चर्चा की शुरुआत करते हुए यह भी कहा कि वंदे मातरम् स्वतंत्रता आंदोलन का स्वर बन गया था, हर भारतीय का संकल्प बन गया था।
LIVE: PM Shri @narendramodi's reply in the Lok Sabha during special discussion on 150 years of Vande Mataram. #VandeMataram150https://t.co/wqP5nR5VdZ
— BJP (@BJP4India) December 8, 2025
हमारे जांबाज सपूत बिना किसी डर के फांसी के तख्त पर चढ़ जाते थे और आखिरी सांस तक वंदे मातरम् कहते थे। खुदीराम बोस, अशफ़ाक उल्ला ख़ान, राम प्रसाद बिस्मिल, रोशन सिंह, राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी… हमारे अनगिनत स्वतंत्रता सेनानियों ने वंदे मातरम् कहते हुए फांसी को चूम लिया। यह अलग-अलग जेलों में होता था, लेकिन सबका एक ही मंत्र था, वंदे मातरम।
मोदी ने कहा, ‘‘जिस मंत्र ने, जिस जयघोष ने देश की आज़ादी के आंदोलन को ऊर्जा और प्रेरणा दी थी, त्याग और तपस्या का मार्ग दिखाया था, उस वंदे मातरम् का पुण्य स्मरण करना इस सदन में हम सबका बहुत बड़ा सौभाग्य है। हमारे लिए यह गर्व की बात है कि वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूर्ण हो रहे हैं और हम सभी इस ऐतिहासिक अवसर के साक्षी बन रहे हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘वंदे मातरम् की 150 वर्ष की यात्रा अनेक पड़ावों से गुजरी है, लेकिन जब वंदे मातरम् के 50 वर्ष हुए थे, तब देश गुलामी में जीने के लिए मजबूर था। जब वंदे मातरम् के 100 वर्ष हुए, तब देश आपातकाल की जंजीरों में जकड़ा हुआ था और जब वंदे मातरम् का अत्यंत उत्तम पर्व होना चाहिए था, तब भारत के संविधान का गला घोंट दिया गया था।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि जब वंदे मातरम् के 100 वर्ष हुए, तब देशभक्ति के लिए जीने-मरने वाले लोगों को जेल की सलाखों के पीछे बंद कर दिया गया था। उन्होंने कहा, ‘‘जिस वंदे मातरम् गीत ने देश को आजादी की ऊर्जा दी थी, उसके 100 वर्ष पूरे होने पर हमारे इतिहास का एक काला कालखंड दुर्भाग्य से उजागर हो गया।’’